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Wedding special 2021: बेटी के ब्याह के बाद विदाई के वक्त इन खास बातों का रखें विशेष ध्यान

शादी का सीजन (Wedding special 2021) चल रहा है. वहीं, बेटी के शादी में कन्यादान से अधिक विदाई (farewell after daughters marriage) के समय के नियम खास माने जाते हैं. बेटी की विदाई के समय इन खास बातों पर ध्यान देना जरूरी होता (Special things at time of farewell after daughters marriage) है.

Wedding special 2021
शादी का सीजन
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Published : Nov 26, 2021, 10:26 PM IST

रायपुर: शादी का सीजन (Wedding special 2021) चल रहा है. ऐसे में हर घर में किसी न किसी रिश्तेदार के यहां शादी का प्रयोजन रहता ही है. विवाह के दौरान कई ऐसे नियम होते हैं, जिनका पालन आवश्यक हो जाता है. खासकर कन्यादान और विदाई बेला पर नियमों का पालन करना खास हो (Special things at time of farewell after daughters marriage) जाता है. कन्या की विदाई करते समय बहुत सारी बातों (farewell after daughters marriage) का ध्यान रखना चाहिए. विदाई एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसमें कन्या अपने पीहर को छोड़कर ससुराल की ओर गमन करती है. यह बहुत ही भावनात्मक और अविस्मरणीय पल होते हैं. इसमें रुदन विलाप व खुशी के आंसू निकलते हैं. कन्या पक्ष इस बेला में खुशी के आंसुओं के साथ अपनी कन्या को विदा करता है.

विदाई के वक्त इन खास बातों का रखें विशेष ध्यान

इन चार बातों पर विशेष ध्यान

विदाई की महत्वपूर्ण प्रसंग में चार महत्वपूर्ण चीजों को नहीं देना चाहिए. पहला है झाड़ू, दूसरा सुई, तीसरा चलनी और चौथा अचार की बरनी. पुरानी मान्यताओं के अनुसार इन 4 चीजों को नहीं दिया जाता है. विदाई के समय में जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज दी जाती है. वह होता है खाजा इसमें संदेश दिया जाता है कि कन्या अब आपके हाथों में हैं. इसके जीवन के रंग आप अपनी सुविधानुसार भरे इस खाजे के साथ नमक और शक्कर भी दिया जाता है. जिससे वर पक्ष अपनी खुशी के साथ खाजे को नमकीन या मीठा बना सके. इसके साथ ही शक्कर और नमक दिए जाते हैं. इस विदाई परंपरा का महत्वपूर्ण अंग है. इस बतासे को वर पक्ष के लोगों को ग्रहण करना चाहिए. विदाई के समय में गणेश भगवान की प्रतिमा भी नहीं दिए जाने का विधान है.

इन मंत्रों का पाठ है जरूरी

इस पूरे प्रसंग में अच्छे मंत्रों का पाठ करना चाहिए. अधिकांश देखा जाता है कि इस समय पंडित वर्ग नहीं रहता तो जानकार महिला और पुरुषों को इस कार्य को करना चाहिए. विदाई के समय दिशाशूल का ध्यान रखना चाहिए. जैसे मंगलवार के दिन उत्तर दिशा में दिशाशूल रहता है अर्थात मंगलवार के दिन उत्तर दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए. विदाई के समय राहु काल का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. अंतिम विदाई राहु काल में नहीं होनी चाहिए इसके साथ ही दिन विशेष का भी ध्यान रखना चाहिए यदि बुधवार की रात्रि में शादी हुई है. तो बुधवार की रात्रि में और गुरुवार को सूर्योदय के पूर्व शुभ विदाई कर लेनी चाहिए. जिससे गुरुवार के शुभ दिन वर पक्ष के यहां वधू का शुभ आगमन हो सके.

भावनाओं पर नियंत्रण रखकर करना आवश्यक

विदाई एक महत्वपूर्ण स्तंभ है इसे सभी परिजनों को पूरी समझदारी और भावनाओं पर नियंत्रण रखकर करना चाहिए. कई बार लोग भावनात्मक रूप से बहुत दुखी हो जाते हैं. इससे बचने का प्रयास करना चाहिए .विदाई के लाई धान पुष्प आदि शुभ चीजों का प्रयोग करना चाहिए. प्राचीन काल में कन्या को लोहे की अंगूठी भी दी जाती थी और कन्या के आंचल में हींग लगा दिया जाता था ताकि अला बला से रक्षा हो सके. विदाई के समय सुबह हल्दी कुमकुम आदि चीजें प्रदान करनी चाहिए.

रायपुर: शादी का सीजन (Wedding special 2021) चल रहा है. ऐसे में हर घर में किसी न किसी रिश्तेदार के यहां शादी का प्रयोजन रहता ही है. विवाह के दौरान कई ऐसे नियम होते हैं, जिनका पालन आवश्यक हो जाता है. खासकर कन्यादान और विदाई बेला पर नियमों का पालन करना खास हो (Special things at time of farewell after daughters marriage) जाता है. कन्या की विदाई करते समय बहुत सारी बातों (farewell after daughters marriage) का ध्यान रखना चाहिए. विदाई एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसमें कन्या अपने पीहर को छोड़कर ससुराल की ओर गमन करती है. यह बहुत ही भावनात्मक और अविस्मरणीय पल होते हैं. इसमें रुदन विलाप व खुशी के आंसू निकलते हैं. कन्या पक्ष इस बेला में खुशी के आंसुओं के साथ अपनी कन्या को विदा करता है.

विदाई के वक्त इन खास बातों का रखें विशेष ध्यान

इन चार बातों पर विशेष ध्यान

विदाई की महत्वपूर्ण प्रसंग में चार महत्वपूर्ण चीजों को नहीं देना चाहिए. पहला है झाड़ू, दूसरा सुई, तीसरा चलनी और चौथा अचार की बरनी. पुरानी मान्यताओं के अनुसार इन 4 चीजों को नहीं दिया जाता है. विदाई के समय में जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज दी जाती है. वह होता है खाजा इसमें संदेश दिया जाता है कि कन्या अब आपके हाथों में हैं. इसके जीवन के रंग आप अपनी सुविधानुसार भरे इस खाजे के साथ नमक और शक्कर भी दिया जाता है. जिससे वर पक्ष अपनी खुशी के साथ खाजे को नमकीन या मीठा बना सके. इसके साथ ही शक्कर और नमक दिए जाते हैं. इस विदाई परंपरा का महत्वपूर्ण अंग है. इस बतासे को वर पक्ष के लोगों को ग्रहण करना चाहिए. विदाई के समय में गणेश भगवान की प्रतिमा भी नहीं दिए जाने का विधान है.

इन मंत्रों का पाठ है जरूरी

इस पूरे प्रसंग में अच्छे मंत्रों का पाठ करना चाहिए. अधिकांश देखा जाता है कि इस समय पंडित वर्ग नहीं रहता तो जानकार महिला और पुरुषों को इस कार्य को करना चाहिए. विदाई के समय दिशाशूल का ध्यान रखना चाहिए. जैसे मंगलवार के दिन उत्तर दिशा में दिशाशूल रहता है अर्थात मंगलवार के दिन उत्तर दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए. विदाई के समय राहु काल का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. अंतिम विदाई राहु काल में नहीं होनी चाहिए इसके साथ ही दिन विशेष का भी ध्यान रखना चाहिए यदि बुधवार की रात्रि में शादी हुई है. तो बुधवार की रात्रि में और गुरुवार को सूर्योदय के पूर्व शुभ विदाई कर लेनी चाहिए. जिससे गुरुवार के शुभ दिन वर पक्ष के यहां वधू का शुभ आगमन हो सके.

भावनाओं पर नियंत्रण रखकर करना आवश्यक

विदाई एक महत्वपूर्ण स्तंभ है इसे सभी परिजनों को पूरी समझदारी और भावनाओं पर नियंत्रण रखकर करना चाहिए. कई बार लोग भावनात्मक रूप से बहुत दुखी हो जाते हैं. इससे बचने का प्रयास करना चाहिए .विदाई के लाई धान पुष्प आदि शुभ चीजों का प्रयोग करना चाहिए. प्राचीन काल में कन्या को लोहे की अंगूठी भी दी जाती थी और कन्या के आंचल में हींग लगा दिया जाता था ताकि अला बला से रक्षा हो सके. विदाई के समय सुबह हल्दी कुमकुम आदि चीजें प्रदान करनी चाहिए.

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