रायपुर: छत्तीसगढ़ में 27 जनवरी से 31 जनवरी 2022 तक 'इन्वेस्टगढ़ छत्तीसगढ़' का आयोजन किया जाएगा है. इस इन्वेस्टर मीट को लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं. भाजपा शासन में आयोजित इन्वेस्टर मीट के दौरान किए गए सैकड़ों एमओयू पर काम शुरू नहीं हो सका है. सत्ता पर काबिज होते ही कांग्रेस सरकार ने उन्हें निरस्त कर दिया. अब कांग्रेस सरकार इन्वेस्टर मीट बुलाकर एमओयू करने जा रही है. ऐसे में इन नए एमओयू पर आगे काम होगा या नहीं, इसको लेकर संशय बरकरार है. हालांकि दोनों ही पार्टियां एक दूसरों पर सिर्फ कागजों में ही उद्योग लगाने के दावे कर रही है.
ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2022
छत्तीसगढ़ में एक बार फिर उद्योगपतियों को आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसे लेकर राज्य सरकार ने निवेशकों को बुलाने की तैयारी की है. नया रायपुर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2022 (Global Investors Meet 2022) 'इन्वेस्टगढ़ छत्तीसगढ़' का आयोजन 27 जनवरी 2022 से 31 जनवरी 2022 तक किया जाएगा.
158 एमओयू किया गया निरस्त
छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने राज्य में उद्योग लगाने के लिए हुए 158 समझौतों (एमओयू) को निरस्त किया था. यह निर्णय जुलाई 2021 में हुए राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड की 15वीं बैठक में लिया गया था. इसमें सर्वाधिक 103 एमओयू पूर्वर्ती रमन सरकार के कार्यकाल 2012 में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर मीट (Global Investors Meet) के दौरान वे थे. एमओयू करने के करीब 9 वर्ष बाद भी इनमें से किसी भी उद्योग ने उद्योग की स्थापना की पहल नहीं की. इसी वजह से इन को रद्द किया गया था.
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पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में हुए थे 275 एमओयू
भाजपा शासनकाल में साल 2012 में नया रायपुर में 'ग्लोबल इन्वेस्टर मीट' (Global Investor Meet) बुलाया गया था. यह 3 दिनों तक चला था. इसमें 10 देशों के राजदूत समेत कई बड़े उद्योगपति शामिल हुए थे. इस आयोजन में करोड़ों रुपए खर्च किए हुए थे. इस दौरान कुल 275 एमओयू हुए थे. जिसके जरिए कुल 93,830 करोड़ रुपए के निवेश की संभावना जताई गई थी. इसमें से 6 एमओयू के तहत उद्योग की स्थापना और उत्पादन शुरू हो चुका है. जबकि 25 में अभी तक स्थल चयन की प्रक्रिया चल रही है. बाकी अभी फाइलों में ही हैं.
इसके अलावा साल 2001 से 2018 के बीच 3,03,115 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश के 211 एमओयू किए गए थे. वास्तविक पूंजी निवेश 78,776 करोड़ रुपए का हुआ. 67 एमओयू में उत्पादन प्रारंभ हो चुका है. 61 एमओयू क्रियान्वयन प्रारंभ हो गया है. जबकि 55 एमओयू में कार्य प्रारंभ नहीं हुए हैं, जिन्हें निरस्त किया गया है. वहीं 28 एमओयू अभी प्रक्रियाधीन है.
कांग्रेस सरकार ने किए 132 एमओयू
साल 2019 से लेकर सितंबर 2021 तक कांग्रेस सरकार की तरफ से 132 एमओयू किये गये हैं. जिसमें प्रस्तावित पूंजी निवेश 58,950 करोड़ रुपए है. इसमें 78,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है.
1564 नई औद्योगिक इकाई हुई स्थापित
कांग्रेस सरकार आने के बाद प्रदेश में 1,564 नई औद्योगिक इकाई स्थापित हुई है. इसमें 30,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है.
अगली इन्वेस्टर मीट है 'हवा-हवाई': बीजेपी
बीजेपी नेता गौरीशंकर श्रीवास (BJP Leaders Gaurishankar Srivas) का कहना है कि लगातार राज्य सरकार कर्ज पर कर्ज लेती जा रही है. सरकार आर्थिक रूप से दिवालिया होने की कगार पर आ गई है. छत्तीसगढ़ में बिगड़ती कानून व्यवस्था के कारण बड़े उद्योग घराने तो दूर की बात हैं, छोटे इन्वेस्टर भी प्रदेश में निवेश करने के इच्छुक नहीं हैं. ऐसे में राज्य सरकार की ओर से इन्वेस्टर मीट आयोजित किया जा रहा है. यह सिर्फ हवा हवाई और दिखावे वाली बात है. वर्तमान की बात की जाए तो आज प्रदेश में कई कल-कारखाने बंद हो चुके हैं. बाहर के इन्वेस्टर प्रदेश में निवेश करने रुचि नहीं दिखा रहे हैं. जो हाल बंगाल में हुआ है, वही हाल छत्तीसगढ़ में होने जा रहा है. यही कारण है कि इन बातों से घबराकर आज औद्योगिक घरानों को निमंत्रण देकर राज्य सरकार की ओर से माहौल बनाने का काम किया जा रहा है. गौरीशंकर ने कहा कि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है. इसके बावजूद काम नहीं हो रहा है.
रमन सिंह ने विदेशों में घूम घूमकर किया था रोड शो: कांग्रेस
कांग्रेस ने भाजपा और कांग्रेस के इन्वेस्टर मीट में बहुत बड़ा अंतर होना बताया है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि भाजपा शासनकाल में 'इन्वेस्टर मीट' नहीं 'ग्लोबल इन्वेस्टर मीट' किया गया था और रमन सिंह घूम-घूमकर इन्वेस्टर्स को आमंत्रित करने के लिए रोड शो कर रहे थे. ऐसा पहली बार देखा गया कि किसी मुख्यमंत्री को इन्वेस्टर्स को आमंत्रित करने के लिए रोड शो करना पड़ा. उस दौरान जब छत्तीसगढ़ में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट (Global Investor Meet in Chhattisgarh) हुआ था तो हजारों करोड़ रुपए खर्च किए गए. लेकिन धरातल पर एक भी उद्योग स्थापित नहीं हुआ है.
उद्योगपतियों से मांगी जाती थी घुस: कांग्रेस
कांग्रेस का कहना है कि एमओयू करने के बाद जब उद्योगपति उद्योग लगाने के लिए एनओसी सहित अन्य कामों के लिए यहां आते थे तो उनसे घूस मांगी जाती थी. जिस कारण से उद्योगपतियों ने यहां उद्योग स्थापित करने से मना कर दिया है. अब यहां हालात बदल चुके हैं. यहां कांग्रेस की सरकार स्थापित हुई है. इन उद्योग पतियों को राहत पहुंचाने के लिए 'सिंगल विंडो सिस्टम' (Single Window System) लागू किया गया है. एक ही विंडो पर उद्योग लगाने की सारी प्रक्रियाएं संपन्न की जाती हैं. यही वजह है कि अब दुनिया भर के उद्योगपति, छत्तीसगढ़ में उद्योग लगाने के लिए रुचि दिखा रहे हैं. आने वाले समय में होने वाला इन्वेस्टर मीट काफी सार्थक होगा. सिर्फ यह दस्तावेजों तक सिमट कर नहीं रह जाएगा.
पूर्ववर्ती रमन सरकार हो या फिर भूपेश सरकार, सभी ने छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए उद्योगपतियों के साथ कई एमओयू किए. लेकिन धरातल पर काम ना के बराबर देखने को मिला. अब देखने वाली बात है कि आगामी दिनों में होने वाले इस इन्वेस्टर मीट के बाद प्रदेश में कितने देश और विदेश के उद्योगपति निवेश करेंगे या फिर पूर्व की भांति यह सारे निवेश सिर्फ दस्तावेजों तक ही सिमट कर ही रह जाएंगे.