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मरवाही का महासमर: नेताओं के बाद अब मतदाताओं की बारी, आज हो रही वोटिंग - जोगी परिवार

मरवाही विधानसभा उपचुनाव के लिए आज वोटिंग हो रही है. आज प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद हो जाएगी. 10 नवंबर को मरवाही उपचुनाव के नतीजे आएंगे.

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मरवाही का महासमर
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Published : Nov 2, 2020, 9:18 PM IST

Updated : Nov 9, 2020, 4:29 PM IST

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: मरवाही का महासंग्राम अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है. मरवाही में उपचुनाव के लिए आज वोटिंग हो रही है. 10 नवबंर को परिणाम घोषित किए जाएंगे. . कोरोना वायरस की चुनौतियों के बीच मतदान दल विशेष सावधानी के साथ मतदान करा रहे हैं.

मरवाही विधानसभा उपचुनाव के लिए आज वोटिंग होगी

मरवाही विधानसभा सीट पर एक नजर

  • अनुसूचित जनजाति के लिए मरवाही सीट आरक्षित
  • कुल मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 91 हजार 244
  • पुरुष मतदाता - 93 हजार 843
  • महिला मतदाता - 97 हजार 397
  • ट्रांसजेंडर वोटर्स - 04
  • मतदान केंद्र की संख्या - 286
  • मूल मतदान केंद्र - 237
  • सहायक मतदान केंद्र - 49
  • संवेदनशील मतदान केंद्र - 126
  • वोटिंग का समय - सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक
  • कोरोना मरीजों के लिए भी वोटिंग की व्यवस्था
  • मतपत्रों के जरिए वोट दे सकेंगे कोरोना मरीज
  • वोटिंग के अंतिम 1 घंटे में कोरोना मरीज डालेंगे वोट

कोरोना के बीच मतदान केंद्रों में विशेष व्यवस्था

मरवाही उपचुनाव में कुल 286 मतदान केंद्र में से 126 मतदान केंद्रों को संवेदनशील के रूप में चिन्हित किया गया है. इन मतदान केंद्रों में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल मौजूद है. इसके अलावा केंद्रीय माइक्रो ऑब्जर्वर की नियुक्ति भी की गई है. सभी सेंटर्स पर मतदाताओं को सिंगल हैंड ग्लब्स दिया जा रहा है और सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है. मतदान दल के सभी कर्मचारियों को भी सारे संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं.

Marwahi assembly by election
उम्मीदवारों की सूची

कोरोना संक्रमित भी दे सकेंगे वोट

मरवाही उपचुनाव में दिव्यांग और 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग डाक मतपत्र का इस्तेमाल कर सकेंगे. कोरोना महामारी को देखते हुए कोरोना संक्रमित या संदिग्ध मरीज जिनकी रिपोर्ट न आई हो, या होम आइसोलेटेड मरीज भी मतपत्र के जरिए अपना मत दे सकेंगे. इस निर्वाचन में कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोरोना प्रभावित मतदाताओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं. जिसके तहत कोरोना प्रभावित मतदाताओं को वोटिंग के अंतिम 1 घंटे में मतदान की सुविधा प्रदान की गई है.

Marwahi assembly by election
उम्मीदवारों की सूची

बेस्ट सेल्फी को मिलेगा इनाम

मतदान केंद्रों में माय वोट माय सेल्फी थीम के तहत वोटर्स के लिए सेल्फी जोन बनाए गए हैं. इनमें मतदाता वोटिंग के बाद अपनी स्याही लगी उंगली उठाकर सेल्फी लेंगे और सेल्फी को अधिकारियों को भेजेंगे. 10 सबसे बेस्ट सेल्फी को 2 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा.

कांग्रेस-बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला

मरवाही उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. कांग्रेस ने डॉक्टर केके ध्रुव को मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने डॉक्टर गंभीर सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है. इसके अलावा 6 अन्य प्रत्याशी चुनाव में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं. मरवाही के महासमर में इस बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं है. अमित जोगी का नामांकन जाति मामले की वजह से निरस्त कर दिया गया था. उसके बाद उन्होंने बीजेपी को अपनी पार्टी का समर्थन दिया है. एक नजर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों पर.

डॉक्टर केके ध्रुव का करियर

  • डॉक्टर कृष्ण कुमार ध्रुव ने राजनीति में कदम रखने के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया है.
  • वे मरवाही विकासखंड में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ थे.
  • कृष्ण कुमार ध्रुव बलौदाबाजार जिले के नटूवा गांव के रहने वाले हैं.
  • जिनकी प्रारंभिक शिक्षा बालको कोरबा में हुई.
  • बाद में जबलपुर के मेडिकल कॉलेज से उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की.
  • इनके पिता स्वर्गीय देव सिंह एसईसीएल कोरबा में कर्मचारी थे. वहीं मां पीला बाई हाउस वाइफ थीं.
  • केके ध्रुव के 3 बच्चे हैं, जिसमे मंझला बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. छोटा बेटा बीएससी सेकंड ईयर का छात्र है
  • वहीं बड़ी बेटी मरवाही ब्लॉक में ही शिक्षाकर्मी हैं.
  • डॉ. ध्रुव साल 2001 से लगातार मरवाही में ही कार्यरत रहे हैं
    Marwahi assembly by election
    कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. केके ध्रुव

डॉक्टर गंभीर सिंह का करियर

  • मरवाही विकासखंड के लटकोनी खुर्द गांव के रहने वाले गंभीर सिंह 11 जून 1968 में गौड़ परिवार में जन्मे और प्राथमिक शिक्षा गांव में ही पूरी करने के बाद 1999 में भारतीय रेलवे के जनरल सर्जन बने.
  • वे ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भी सेवा दे चुके हैं.
  • 2005 में रायपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी.
  • गंभीर सिंह की पत्नी मंजू सिंह जानी-मानी डॉक्टर हैं.
  • गंभीर सिंह के पिता प्रेम सिंह गोंडवाना आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले चुके हैं.
  • साल 2013 के चुनाव में भी गंभीर सिंह का नाम बीजेपी की ओर से प्रमुखता से था लेकिन बाद में समीरा पैकरा को प्रत्याशी बनाया गया.
    Marwahi assembly by election
    बीजेपी प्रत्याशी डॉ. गंभीर सिंह

ये 6 प्रत्याशी भी ठोक रहें हैं ताल

  • उर्मिला सिंह मार्को (राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी)
  • पुष्पा खेलन कोर्चे (अम्बेडकर राईट पार्टी आफ इंडिया)
  • बीर सिंह नागेश (भारतीय ट्राइबल पार्टी)
  • ऋतु पन्द्रम (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी)
  • लक्षमण पोर्ते (अमित ) भारतीय सर्वजन हिताय सामाज पार्टी
  • सोनमती सलाम (निर्दलीय)

अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई सीट

अजीत जोगी के निधन के बाद यह सीट खाली हुई, जिसके बाद फिर से एक बार मरवाही विधानसभा सीट पर उप चुनाव हो रहा है. बिलासपुर से अलग होकर 10 फरवरी 2020 को अलग जिला बने गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही का मरवाही विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से एक बेहद महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है और दिलचस्प सीट माना जाता है. छत्तीसगढ़ की मरवाही विधानसभा सीट से 2013 में अमित जोगी ने जीत दर्ज की थी. 2018 में उन्होंने ये सीट अपने पिता और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत होगी के लिए छोड़ दी थी. पिछले 20 सालों से ये सीट जोगी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती थी.

Marwahi assembly by election
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी

घने जंगलों से घिरा हुआ है मरवाही

मरवाही विधानसभा क्षेत्र मध्यप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. यह आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित सीट है. भौगालिक दृष्टिकोण से यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है. यह करीब डेढ़ लाख हेक्टयेर के जंगल फैला हुआ है. भालुओं के लिए भी ये इलाका काफी मशहूर है और बीयर लैंड के नाम से भी जाना जाता है. इस इलाके में दुर्लभ सफेद भालू भी मिलते हैं. सफेद भालू लगभग विलुप्ति के कगार पर है. जंगल में रहने वाले ग्रामीणों पर लगातार भालू के हमले की खबर आती रहती है. स्व. अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस समस्या से निपटने के लिए ऑपरेशन जामवंत प्रोजेक्ट चलाने की घोषणा की थी.

दलबदलू नेताओं के लिए भी जाना जाता है

मरवाही सीट की कहानी दिलचस्प है. इस विधानसभा क्षेत्र की एक और खासियत है कि ये दलबदलू नेताओं के लिए भी जाना जाता है. मरवाही के हर विधायक ने एक न एक बार अपनी पार्टी बदली है या पार्टी छोड़कर चुनाव लड़े हैं. इसकी शुरूआत बड़े आदिवासी नेता भंवर सिंह पोर्ते से ही हो जाती है, जिन्होंने साल 1972,1977 और 1980 के चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई थी. 1985 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के दीनदयाल विधायक बने. भंवर सिंह ने नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया. साल 1990 में वे बीजेपी से विधायक बने. 1993 में फिर बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के पहलवान सिंह मरावी इस सीट से विधायक बनने में कामयाब हुए.

  • 2018 का विधानसभा चुनाव

2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर विधायक बने थे. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से स्व. अजीत जोगी को 74 हजार 41 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के उम्मीदवार अर्चना पोर्ते 27 हजार 579 वोट प्राप्त हुए. कांग्रेस के गुलाब सिंह राज 20 हजार 40 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे.

  • 2013 का विधानसभा चुनाव

इससे पहले मरवाही विधानसभा सीट पर 2013 में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. उस समय कांग्रेस से अमित जोगी ने पिता की विरासत को बचाने में ही नहीं बल्कि रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाबी हासिल की. अमित जोगी को 82 हजार 909 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार समीरा पैकरा को 36 हजार 659 वोट मिले थे. बाकी उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे.

  • 2008 का सियासी दंगल

इसके अलावा साल 2008 विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के अजीत जोगी को 67 हजार 523 वोट मिले थे. और बीजेपी के ध्यानसिंह पोर्ते को 25 हजार 431 वोट मिले थे.

  • 2003 का विधानसभा चुनाव

साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अजीत जोगी को 76 हजार 269 को वोट मिले थे और बीजेपी के नंद कुमार साय को 22 हजार 119 को वोट मिले थे.

2020 में बिन जोगी के चुनाव

मरवाही विधानसभा सीट को जोगी का गढ़ माना जाता है. साल 2001 के बाद से यह विधानसभा जोगी की होकर रह गई है. साल 2003, 2008 में अजीत जोगी लगातार यहां से विधायक रहे. 2013 में अजीत जोगी ने अमित जोगी के लिए यह सीट छोड़ दी थी. हालांकि 2018 में अमित जोगी ने अपने पिता स्व. अजीत जोगी के लिए सीट छोड़ दी थी. बहरहाल राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां से भले ही दो बार बीजेपी के विधायक बने हैं, लेकिन इसकी तासीर कांग्रेसी ही है. जोगी के गढ़ के रूप ख्यात मरवाही की जनता मूल रूप से जोगी और कांग्रेस पार्टी को अबतक चुनते आ रही है. अब देखना ये होगा साल 2020 में जोगी के बिना किसे विधायक की कुर्सी मिलती है. दो डॉक्टरों के दंगल के बीच मरवाही की जनता किसे चुनती है.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: मरवाही का महासंग्राम अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है. मरवाही में उपचुनाव के लिए आज वोटिंग हो रही है. 10 नवबंर को परिणाम घोषित किए जाएंगे. . कोरोना वायरस की चुनौतियों के बीच मतदान दल विशेष सावधानी के साथ मतदान करा रहे हैं.

मरवाही विधानसभा उपचुनाव के लिए आज वोटिंग होगी

मरवाही विधानसभा सीट पर एक नजर

  • अनुसूचित जनजाति के लिए मरवाही सीट आरक्षित
  • कुल मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 91 हजार 244
  • पुरुष मतदाता - 93 हजार 843
  • महिला मतदाता - 97 हजार 397
  • ट्रांसजेंडर वोटर्स - 04
  • मतदान केंद्र की संख्या - 286
  • मूल मतदान केंद्र - 237
  • सहायक मतदान केंद्र - 49
  • संवेदनशील मतदान केंद्र - 126
  • वोटिंग का समय - सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक
  • कोरोना मरीजों के लिए भी वोटिंग की व्यवस्था
  • मतपत्रों के जरिए वोट दे सकेंगे कोरोना मरीज
  • वोटिंग के अंतिम 1 घंटे में कोरोना मरीज डालेंगे वोट

कोरोना के बीच मतदान केंद्रों में विशेष व्यवस्था

मरवाही उपचुनाव में कुल 286 मतदान केंद्र में से 126 मतदान केंद्रों को संवेदनशील के रूप में चिन्हित किया गया है. इन मतदान केंद्रों में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल मौजूद है. इसके अलावा केंद्रीय माइक्रो ऑब्जर्वर की नियुक्ति भी की गई है. सभी सेंटर्स पर मतदाताओं को सिंगल हैंड ग्लब्स दिया जा रहा है और सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है. मतदान दल के सभी कर्मचारियों को भी सारे संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं.

Marwahi assembly by election
उम्मीदवारों की सूची

कोरोना संक्रमित भी दे सकेंगे वोट

मरवाही उपचुनाव में दिव्यांग और 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग डाक मतपत्र का इस्तेमाल कर सकेंगे. कोरोना महामारी को देखते हुए कोरोना संक्रमित या संदिग्ध मरीज जिनकी रिपोर्ट न आई हो, या होम आइसोलेटेड मरीज भी मतपत्र के जरिए अपना मत दे सकेंगे. इस निर्वाचन में कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोरोना प्रभावित मतदाताओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं. जिसके तहत कोरोना प्रभावित मतदाताओं को वोटिंग के अंतिम 1 घंटे में मतदान की सुविधा प्रदान की गई है.

Marwahi assembly by election
उम्मीदवारों की सूची

बेस्ट सेल्फी को मिलेगा इनाम

मतदान केंद्रों में माय वोट माय सेल्फी थीम के तहत वोटर्स के लिए सेल्फी जोन बनाए गए हैं. इनमें मतदाता वोटिंग के बाद अपनी स्याही लगी उंगली उठाकर सेल्फी लेंगे और सेल्फी को अधिकारियों को भेजेंगे. 10 सबसे बेस्ट सेल्फी को 2 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा.

कांग्रेस-बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला

मरवाही उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. कांग्रेस ने डॉक्टर केके ध्रुव को मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने डॉक्टर गंभीर सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है. इसके अलावा 6 अन्य प्रत्याशी चुनाव में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं. मरवाही के महासमर में इस बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं है. अमित जोगी का नामांकन जाति मामले की वजह से निरस्त कर दिया गया था. उसके बाद उन्होंने बीजेपी को अपनी पार्टी का समर्थन दिया है. एक नजर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों पर.

डॉक्टर केके ध्रुव का करियर

  • डॉक्टर कृष्ण कुमार ध्रुव ने राजनीति में कदम रखने के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया है.
  • वे मरवाही विकासखंड में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ थे.
  • कृष्ण कुमार ध्रुव बलौदाबाजार जिले के नटूवा गांव के रहने वाले हैं.
  • जिनकी प्रारंभिक शिक्षा बालको कोरबा में हुई.
  • बाद में जबलपुर के मेडिकल कॉलेज से उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की.
  • इनके पिता स्वर्गीय देव सिंह एसईसीएल कोरबा में कर्मचारी थे. वहीं मां पीला बाई हाउस वाइफ थीं.
  • केके ध्रुव के 3 बच्चे हैं, जिसमे मंझला बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. छोटा बेटा बीएससी सेकंड ईयर का छात्र है
  • वहीं बड़ी बेटी मरवाही ब्लॉक में ही शिक्षाकर्मी हैं.
  • डॉ. ध्रुव साल 2001 से लगातार मरवाही में ही कार्यरत रहे हैं
    Marwahi assembly by election
    कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. केके ध्रुव

डॉक्टर गंभीर सिंह का करियर

  • मरवाही विकासखंड के लटकोनी खुर्द गांव के रहने वाले गंभीर सिंह 11 जून 1968 में गौड़ परिवार में जन्मे और प्राथमिक शिक्षा गांव में ही पूरी करने के बाद 1999 में भारतीय रेलवे के जनरल सर्जन बने.
  • वे ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भी सेवा दे चुके हैं.
  • 2005 में रायपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी.
  • गंभीर सिंह की पत्नी मंजू सिंह जानी-मानी डॉक्टर हैं.
  • गंभीर सिंह के पिता प्रेम सिंह गोंडवाना आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले चुके हैं.
  • साल 2013 के चुनाव में भी गंभीर सिंह का नाम बीजेपी की ओर से प्रमुखता से था लेकिन बाद में समीरा पैकरा को प्रत्याशी बनाया गया.
    Marwahi assembly by election
    बीजेपी प्रत्याशी डॉ. गंभीर सिंह

ये 6 प्रत्याशी भी ठोक रहें हैं ताल

  • उर्मिला सिंह मार्को (राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी)
  • पुष्पा खेलन कोर्चे (अम्बेडकर राईट पार्टी आफ इंडिया)
  • बीर सिंह नागेश (भारतीय ट्राइबल पार्टी)
  • ऋतु पन्द्रम (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी)
  • लक्षमण पोर्ते (अमित ) भारतीय सर्वजन हिताय सामाज पार्टी
  • सोनमती सलाम (निर्दलीय)

अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई सीट

अजीत जोगी के निधन के बाद यह सीट खाली हुई, जिसके बाद फिर से एक बार मरवाही विधानसभा सीट पर उप चुनाव हो रहा है. बिलासपुर से अलग होकर 10 फरवरी 2020 को अलग जिला बने गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही का मरवाही विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से एक बेहद महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है और दिलचस्प सीट माना जाता है. छत्तीसगढ़ की मरवाही विधानसभा सीट से 2013 में अमित जोगी ने जीत दर्ज की थी. 2018 में उन्होंने ये सीट अपने पिता और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत होगी के लिए छोड़ दी थी. पिछले 20 सालों से ये सीट जोगी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती थी.

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पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी

घने जंगलों से घिरा हुआ है मरवाही

मरवाही विधानसभा क्षेत्र मध्यप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. यह आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित सीट है. भौगालिक दृष्टिकोण से यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है. यह करीब डेढ़ लाख हेक्टयेर के जंगल फैला हुआ है. भालुओं के लिए भी ये इलाका काफी मशहूर है और बीयर लैंड के नाम से भी जाना जाता है. इस इलाके में दुर्लभ सफेद भालू भी मिलते हैं. सफेद भालू लगभग विलुप्ति के कगार पर है. जंगल में रहने वाले ग्रामीणों पर लगातार भालू के हमले की खबर आती रहती है. स्व. अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस समस्या से निपटने के लिए ऑपरेशन जामवंत प्रोजेक्ट चलाने की घोषणा की थी.

दलबदलू नेताओं के लिए भी जाना जाता है

मरवाही सीट की कहानी दिलचस्प है. इस विधानसभा क्षेत्र की एक और खासियत है कि ये दलबदलू नेताओं के लिए भी जाना जाता है. मरवाही के हर विधायक ने एक न एक बार अपनी पार्टी बदली है या पार्टी छोड़कर चुनाव लड़े हैं. इसकी शुरूआत बड़े आदिवासी नेता भंवर सिंह पोर्ते से ही हो जाती है, जिन्होंने साल 1972,1977 और 1980 के चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई थी. 1985 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के दीनदयाल विधायक बने. भंवर सिंह ने नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया. साल 1990 में वे बीजेपी से विधायक बने. 1993 में फिर बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के पहलवान सिंह मरावी इस सीट से विधायक बनने में कामयाब हुए.

  • 2018 का विधानसभा चुनाव

2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर विधायक बने थे. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से स्व. अजीत जोगी को 74 हजार 41 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के उम्मीदवार अर्चना पोर्ते 27 हजार 579 वोट प्राप्त हुए. कांग्रेस के गुलाब सिंह राज 20 हजार 40 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे.

  • 2013 का विधानसभा चुनाव

इससे पहले मरवाही विधानसभा सीट पर 2013 में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. उस समय कांग्रेस से अमित जोगी ने पिता की विरासत को बचाने में ही नहीं बल्कि रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाबी हासिल की. अमित जोगी को 82 हजार 909 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार समीरा पैकरा को 36 हजार 659 वोट मिले थे. बाकी उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे.

  • 2008 का सियासी दंगल

इसके अलावा साल 2008 विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के अजीत जोगी को 67 हजार 523 वोट मिले थे. और बीजेपी के ध्यानसिंह पोर्ते को 25 हजार 431 वोट मिले थे.

  • 2003 का विधानसभा चुनाव

साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अजीत जोगी को 76 हजार 269 को वोट मिले थे और बीजेपी के नंद कुमार साय को 22 हजार 119 को वोट मिले थे.

2020 में बिन जोगी के चुनाव

मरवाही विधानसभा सीट को जोगी का गढ़ माना जाता है. साल 2001 के बाद से यह विधानसभा जोगी की होकर रह गई है. साल 2003, 2008 में अजीत जोगी लगातार यहां से विधायक रहे. 2013 में अजीत जोगी ने अमित जोगी के लिए यह सीट छोड़ दी थी. हालांकि 2018 में अमित जोगी ने अपने पिता स्व. अजीत जोगी के लिए सीट छोड़ दी थी. बहरहाल राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां से भले ही दो बार बीजेपी के विधायक बने हैं, लेकिन इसकी तासीर कांग्रेसी ही है. जोगी के गढ़ के रूप ख्यात मरवाही की जनता मूल रूप से जोगी और कांग्रेस पार्टी को अबतक चुनते आ रही है. अब देखना ये होगा साल 2020 में जोगी के बिना किसे विधायक की कुर्सी मिलती है. दो डॉक्टरों के दंगल के बीच मरवाही की जनता किसे चुनती है.

Last Updated : Nov 9, 2020, 4:29 PM IST
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