रायपुर : साल 1947 का वो वक्त भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के विभाजन का था. दोनों देशों के बीच हो रही इंसानी अदला-बदली के दौरान महज साल भर के बच्चे के साथ एक परिवार पाकिस्तानी सीमा को लांघकर हिंदुस्तान आ गया. इसी एक साल के बच्चे का नाम था 'विनोद'. वही विनोद जो आगे चलकर बॉलीवुड में सुपरस्टार बन गया. हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रहे विनोद खन्ना की आज 75वीं जयंती है. विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था जबिक 27 अप्रैल 2017 को उन्होंने अंतिम सांस ली थी. आइए उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ अहम किस्से.
दिल्ली पब्लिक स्कूल के टीचर की बदौलत अभिनय से जुड़ा रिश्ता
साल 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पेशावर से निकलकर विनोद के परिवार ने मायानगरी मुंबई (Mumbai) में अपना अस्थायी ठिकाना बनाया. कुछ समय बाद उनका परिवार मुंबई से दिल्ली चला गया और वहां दिल्ली पब्लिक स्कूल में विनोद की पढ़ाई शुरू हो गई. यहीं के एक टीचर ने विनोद खन्ना का अभिनय और ड्रामा से परिचय कराया. फिर यहां से विनोद ने जो एक्टिंग में सफर की शुरुआत की, वह सिल्वर स्क्रीन तक जारी रहा.
1982 में शांति की खोज में चल पड़े थे ओशो रजनीश के आश्रम
विनोद खन्ना आजाद ख्याल के शख्स थे. वे एक ऐसे सेलिब्रेटी थे, जिन्हें स्टारडम से ज्यादा शांति पसंद थी. विनोद ने फिल्मी दुनिया की चकाचौंध के बीच जिस जिंदगी को चुना, वह करियर के टॉप पर होने के बाद भी चुन पाना किसी के लिए बेहद मुश्किल होता है. 1982 में विनोद अचानक दो बच्चे-पत्नी और फिल्मी करियर को छोड़कर शांति की खोज में ओशो रजनीश (Osho Rajneesh) के आश्रम में चले गए. विनोद खन्ना के इस फैसले ने उस वक्त हर किसी को हैरान कर दिया था. इसके बाद विनोद पर कई बार इल्जाम लगाए गए कि वह स्वार्थी हैं और खुद से बाहर नहीं आना चाहते हैं.
विलेन से एक्टर तक पहुंचने का कुछ ऐसा रहा सफर
क्या आपने कभी किसी खूबसूरत डाकू को देखा है? विनोद खन्ना फिल्मों में खूबसूरत डाकू नजर आते थे. धोती कुर्ता पहने और माथे पर बड़ा-सा काला तिलक लगाकर विलेन की भूमिका में नजर आने वाले विनोद फिल्म में लीड रोल कर रहे एक्टर को भी टक्कर देते थे. विनोद को सबसे पहले सुनील दत्त ने मन का मीत (1968) में विलेन के रूप में मौका दिया था. इसके बाद हीरो के रूप में स्थापित होने के पहले तक विनोद ने आन मिलो सजना, पूरब और पश्चिम और सच्चा झूठा जैसी फिल्मों में सहायक या खलनायक के रूप में काम किया था. मेरा गांव मेरा देश फिल्म में तो विनोद ऐसे डाकू बने, जिन्होंने ग्रामीणों से फिरौती तक नहीं ली थी.
महेश भट्ट, विनोद खन्ना को मनाने गए थे अमेरिका
साल 1986 में विनोद खन्ना शत्रुता नाम की एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. इस फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट कर रहे थे. शत्रुता में नसीरुद्दीन शाह और रेखा भी अहम भूमिका में थीं. फिल्म की शूटिंग 75 प्रतिशत तक पूरी हो चुकी थी. इसी बीच विनोद खन्ना ने फिल्म छोड़ने का फैसला कर डाला. संदीप सेठी द्वारा प्रोड्यूस्ड इस फिल्म को बीच में ही छोड़ विनोद खन्ना अमेरिका चले गए. निर्माता ने विनोद खन्ना से इस फिल्म को पूरा करने की बहुत अपील भी की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. जब विनोद ने प्रोड्यूसर का फोन उठाना बंद कर दिया, तब महेश भट्ट खुद विनोद खन्ना को मनाने के लिए अमेरिका गए थे. हालांकि वह महेश भट्ट के कहने पर भी वापस नहीं आए.
कमाल की अभिनय क्षमता के मालिक थे विनोद
ओशो के आश्रम में करीब आठ सालों तक रहने के बाद वहां से लौटकर एक बार फिर से विनोद ने फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख किया. इस समय कमजोर आर्थिक हालात और पत्नी से तालाक की वजह से विनोद हर तरह से टूट गए थे. इन सबके बावजूद विनोद ने दयावान, चांदनी, क्षत्रिय जैसी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय से दिखा दिया कि उनमें अब भी कमाल की एक्टिंग की क्षमता है. विनोद खन्ना एक ऐसे सितारे हैं जिनकी कोई फैमिली बैकग्राउंड नहीं है पर फिर भी उनके अभिनय को देख लगता है उन्हें यह कला बचपन से मिली है. 1990 में विनोद ने कविता से दूसरी शादी की थी.