बस्तर: बस्तर जिले के साकरगांव पंचायत के ग्रामीणों ने पंचायत में तैनात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन पर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. सरपंच समेत पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों ने शुक्रवार को बस्तर जिला पंचायत सीईओ को ज्ञापन सौंपकर पंचायत सचिव और सहायक सचिव को बर्खास्त करने की मांग की है.
ग्रामीणों का कहना है कि दोनों ही सरकारी कर्मचारी सरकारी योजनाओं के नाम पर पैसे का दोहन कर रहे हैं. किसी भी योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है. कई सालों से मनरेगा के तहत मजदूरी किये ग्रामीणों का भी हक का पैसा डकार लिया गया है. जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है और दोनों सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की मांग ग्रामीणों ने की है.
साकरगांव पंचायत के ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत के सरपंच और पूरे ग्रामीणों को धोखे में रखकर सचिव और सहायक सचिव ने योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि का बंदरबांट कर लिया है. यही नहीं 14 वीं वित्त और 15 वें वित्त की राशि में भी जमकर सेंधमारी की है. जिन पैसों से गांव में विकास कार्य होना था. उन पैसों को आहरण कर डकार लिया है. साथ ही ग्रामीणों को कई सालों से मनरेगा के तहत भुगतान भी नहीं किया गया है.
फर्जी दस्तखत और अंगूठे के निशान से फर्जी तरीके से सचिव और सहायक सचिव ने मजदूरों का पैसा खा लिया है. कई बार सचिव और सहायक सचिव को योजनाओं की जानकारी लेने की कोशिश भी की गई. लेकिन उनके द्वारा ग्रामीणों से दुर्व्यवहार कर किसी भी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई. यही नहीं ग्राम पंचायत में हो रहे विकास कार्य सभी अधूरे हैं चाहे वह सड़क हो या कोई तालाब, ऐसे में ग्रामीणों ने सचिव और सहायक सचिव द्वारा किये गए गबन की राशि वसूलने और उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.
बस्तर जिला पंचायत सीईओ प्रकाश कुमार सर्वे ने कहा कि ग्रामीणों की शिकायत मिलने के बाद अब मामले की जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर जरूर सचिव और सहायक सचिव पर कार्रवाई की जाएगी. मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को कुछ ही महीने भुगतान में देरी होती है. लेकिन सभी मजदूरों को समय पर उनका पैसा देने के साथ ही पारदर्शिता रखने को कहा गया है. बावजूद इसके अगर किसी भी तरह की कोई लापरवाही सचिव और सहायक सचिव द्वारा बरती गयी है तो जरूर उन पर कार्रवाई की जाएगी.