देहरादून: उत्तराखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यहीं वजह है कि राज्य सरकार पर्यटक स्थलों को विकसित करने के साथ ही प्रदेश में मौजूद धार्मिक स्थलों को सर्किट से जोड़ने का काम कर रही है. ताकि इन पौराणिक मंदिरों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा सके.
इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार, प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में मौजूद भगवान शंकर के पौराणिक मंदिरों को शिव सर्किट में शामिल कर रही है. इसके लिए प्रदेश के 24 पौराणिक शिव मंदिरों का चयन भी कर लिया गया है. सर्किट को यात्रियों की सुविधा के अनुसार विकसित करने के साथ ही प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा.
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार हर साल उत्तराखंड में लगभग साढ़े तीन लाख घरेलू पर्यटक आते हैं. इसमें करीब 44.2 फीसदी पर्यटक तीर्थयात्रा के लिए आते हैं. इन तीर्थस्थलों में धर्मनगरी हरिद्वार, चारधाम, हेमकुंड साहिब, पिरान-कलियर के साथ ही प्रदेश के विभिन्न इलाकों में मौजूद मंदिर भी शामिल हैं.
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शिव सर्किट में शामिल किये गए पौराणिक शिव मंदिर
- अल्मोड़ा के जागेश्वर महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- बागेश्वर के बागनाथ में स्थित बागनाथ महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- चंपावत के क्रांतेश्वर महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- नैनीताल के भीमताल में स्थित भीमेश्वर महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- उधमसिंह नगर के काशीपुर में स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- टिहरी जिले के नरेंद्र नगर में स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- केदारनाथ में स्थित केदारनाथ महादेव मंदिर, उखीमठ में स्थित मद्महेश्वर महादेव मंदिर, चोपता में स्थित तुंगनाथ महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- उत्तरकाशी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- हरिद्वार के कनखल में स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- चमोली के रुद्रनाथ में स्थित रुद्रनाथ शिव मंदिर, उर्गम में स्थित कल्पेश्वर महादेव मंदिर, नीति घाटी में स्थित टिंबरसैण महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- पौड़ी में स्थित क्यूंकालेश्वर महादेव मंदिर, यमकेश्वर में स्थित नीलकंठ महादेव, सतपुली में स्थित एकेश्वर महादेव, थैलीसैंण में स्थित बिनसर महादेव, लैंसडाउन में स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
- देहरादून के गढ़ी कैंट में स्थित टपकेश्वर महादेव और लाखामंडल में स्थित पौराणिक शिव मंदिर को शिव सर्किट में शामिल किया गया है.
आराध्य और इष्ट देव का सर्किट बनाने पर जोर
उत्तराखंड पर्यटन विभाग शिव सर्किट के साथ ही प्रदेश के आराध्य और इष्ट देव के भी सर्किट बनाने पर जोर दे रहा है. इसके लिए फिलहाल नागराजा एवं गोलज्यू मंदिर सर्किट, विष्णु राम एवं नरसिंह मंदिर सर्किट और नवग्रह सर्किट के तहत मंदिरों को चिन्हित किया गया है. इसके साथ ही प्रदेश के भीतर बुद्ध सर्किट, गुरुद्वारा सर्किट, सिद्ध बाबा सर्किट और अन्य पौराणिक मंदिरों को धार्मिक सर्किट में शामिल करने की योजना प्रस्तावित है.
नागराजा एवं गोल्ज्यू मंदिर सर्किट
नागदेवता और गोल्ज्यू के 14 पौराणिक मंदिरों को शामिल किया गया है. इसमें अल्मोड़ा जिले के चितई गोल्ज्यू मंदिर और बिनसर में गैराड गोल्ज्यू मंदिर, पिथौरागढ़ जिले के पांखू (बेरीनाग) में पिलंगिनाग और बेरीनाग में बैड़ीनाग मंदिर, बागेश्वर जिले के विजयपुर में धौलीनाग और दूदीला में फैणीनाग मंदिर, चंपावत जिले के नागनाथ मंदिर और गौरलचौड़ मैदान स्थित गोल्ज्यू मंदिर, नैनीताल जिले के करकोटक में नागदेवता मंदिर और घोड़ाखाल में गोल्ज्यू मंदिर, टिहरी जिले के प्रतापनगर में सेममुखेम मंदिर, उत्तरकाशी जिले के डूंडा में तांबेश्वर महादेव (नागदेवता मंदिर) को इस सर्किट में शामिल किया गया है.
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विष्णु, राम एवं नरसिंह मंदिर सर्किट
प्रदेश में स्थित विष्णु, राम और नरसिंह के 16 पौराणिक मंदिरों को शामिल किया गया है. इसमें अल्मोड़ा जिले के छत्तगुला में स्थित बदरीनाथ मंदिर और नारायणकाली में स्थित राम मंदिर, पिथौरागढ़ जिले के कोटड़ी में स्थित विष्णु मंदिर, बागेश्वर जिले के कपकोट में स्थित मूल नारायण मंदिर, टिहरी जिले के देवप्रयाग में स्थित रघुनाथ मंदिर, गुप्तकाशी में स्थित नारायणकोठी मंदिर समूह, उत्तरकाशी जिले के गैल बनाल में स्थित रघुनाथ मंदिर और ढिकौली में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर, हरिद्वार के मायापुर में स्थित नारायण शिला मंदिर, चमोली का बदरीनाथ मंदिर एवं भविष्यबदरी मंदिर, चमोली जिले के अणीमठ में स्थित वृद्धबदरी मंदिर, चमोली जिले के उर्गम में स्थित ध्यानबदरी मंदिर और पांडुकेश्वर में स्थिति योगबदरी मंदिर, पौड़ी जिले के कोट में स्थित वैष्णव समूह मंदिर देवल, देहरादून जिले के रायवाला स्थित सत्यनारायण मंदिर को शामिल किया गया है.
नवग्रह सर्किट
नवग्रह सर्किट में राज्य के 8 पौराणिक मंदिरों को शामिल किया गया है. इसमें अल्मोड़ा जिले के मानिला में स्थित मानिला देवी, कटारमल में स्थित सूर्य देव मंदिर, खलबाग स्थिति शनिदेव मंदिर, चंपावत जिले के रमक में स्थित सूर्य मंदिर, नैनीताल जिले के ओखलकांडा में स्थित बृहस्पति देव मंदिर, टिहरी जिले के पलेठी गांव में स्थित सूर्य मंदिर, उत्तरकाशी जिले के खरसाली में स्थित शनि मंदिर, पौड़ी जिले के पैठाणी में स्थित राहु मंदिर शामिल हैं.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि प्रदेश के भीतर भगवती सर्किट बन चुका है. लिहाजा अब शिव सर्किट के साथ ही विष्णु सर्किट और प्रदेश में मौजूद दोनों काशी (उत्तरकाशी, काशीपुर) को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार तैयारी कर रही है. ऐसे में जिन पौराणिक मंदिरों का जीर्णोद्धार करने की आवश्यकता होगी, उनके जीर्णोद्धार के लिए पुरातत्व विभाग से परमिशन लेकर सुविधा विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. सतपाल महाराज के मुताबिक प्रदेश में जितने भी पौराणिक मंदिर में मौजूद हैं, उन्हें सर्किट के भीतर लाया जाएगा जिससे न सिर्फ इसका प्रचार-प्रसार हो सकेगा बल्कि श्रद्धालु आसानी से इन पौराणिक मंदिरों के दर्शन भी कर सकेंगे.
सर्किट बनाने का मकसद
प्रदेश के पौराणिक मंदिरों को सर्किट में लाने का मकसद है कि प्रदेश में मौजूद सभी प्राचीन और पौराणिक मंदिरों की जानकारी पर्यटकों को एक साथ उपलब्ध हो सके. यूं तो उत्तराखंड राज्य में सैकड़ों मंदिर मौजूद हैं लेकिन प्रदेश के भीतर मौजूद इन सैकड़ों मंदिरों में से तमाम मंदिर ऐसे हैं जो प्राचीन समय से हैं. ऐसे में इन मंदिरों की क्या मान्यता है, यहां दर्शन करने से किस तरह का पुण्य प्राप्त होता है, इन सभी की जानकारियों को उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों को उपलब्ध हो, इसी सिलसिले में शिव मंदिरों को एक सर्किट में शामिल किया गया है.
मंदिरों को एक चेन में जोड़ने करने के लिए, राज्य सरकार ने सर्किट बनाने की कवायद शुरू की है. शिव सर्किट की अगर बात करें तो इस सर्किट के भीतर प्रदेश में मौजूद उन प्राचीन और पौराणिक मान्यता वाले मंदिरों को शामिल किया गया है जहां दर्शन करने से अलग-अलग पुण्य प्राप्त होते हैं. एक आराध्य देव के सभी पौराणिक मंदिरों को अगर सर्किट में शामिल किया जाता है तो ऐसे में उस आराध्य देव के सभी मंदिरों का एक साथ व्यापक प्रचार-प्रसार हो सकेगा, जिससे उस आराध्य को मानने वाले श्रद्धालु उत्तराखंड के उन सभी मंदिरों में जाकर दर्शन कर सकेंगे, उनको सभी जानकारियां एक साथ मिल सकेंगी.