रायपुर: शहर से 20 किलोमीटर दूर पठारीडीह में शासकीय नवीन प्राथमिक शाला(Government New Primary School Patharidih ) है. यहां कक्षा पहली से पांचवी तक क्लास लगती है. प्राथमिक स्कूल में ग्रामीणों और शिक्षकों के सहयोग से स्मार्ट क्लासरूम है. स्टूडेंट्स को स्किल डेवलपमेंट एजुकेशन भी दिया जा रहा है.
ऐसे हुई शुरुआत: शासकीय नवीन प्राथमिक शाला पठारीडीह के सहायक शिक्षक उत्तम देवांगन ने बताया, "2008 में शासन से एक नई बिल्डिंग स्वीकृत हुई थी. शिक्षक और संसाधन की कमी थी. 2013 में अध्यापन का तरीका बदला. खुद के खर्च पर स्कूल पर एक कंप्यूटर सेट लिया. बाद में ग्रामीणों के सहयोग से साल 2015 में 44 हजार रुपए की आर्थिक मदद की गई .जिसके बाद हमारा हौसला भी बढ़ता गया और नए तरीके से पढ़ाई की शुरुआत की गई."
सभी कक्षाएं स्मार्टक्लास में तब्दील: शिक्षक उत्तम देवांगन ने बताया, "हमने पढ़ाई का पारंपरिक तरीका छोड़ा. क्लासरूम को डिजिटल क्लासरूम में परिवर्तित किया. बहुत सारे वीडियो हमने डाउनलोड किए. यह वीडियो बच्चों को समझ में नहीं आते थे. हमने बच्चों के लिए वीडियो फॉर्मेट में कंटेंट तैयार किया और बच्चे सीखने लगे. पढ़ाई करने में उनका मन ज्यादा लगने लगा. धीरे-धीरे जन सहयोग से हमने सभी कक्षाओं में स्मार्ट टीवी लगवाई है. बच्चे स्मार्ट टीवी के माध्यम से पढ़ाई करते हैं."
यह भी पढ़ें: रायपुर: निजी स्कूल में काम कर रहे शिक्षकों को नहीं मिल रहा पेमेंट
बेंच पर बैठकर पढ़ाई करते हैं बच्चे: सरकारी स्कूलों के सेटअप की बात की जाए तो शासकीय प्राथमिक विद्यालय के बच्चे जमीन में दरी या टाटपट्टी में बैठकर पढ़ाई करते हैं. लेकिन जन सहयोग से पठारीडीह की प्राथमिक शाला में सभी बच्चे अब बेंच पर बैठकर पढ़ते हैं.
टायपिंग स्किल में महारत हासिल कर रहे बच्चे: पठारीडीह प्राथमिक शाला में जन सहयोग से स्कूल के शिक्षकों ने 10 कंप्यूटर की व्यवस्था की है. छोटी कक्षा में ही बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर की पढ़ाई भी करते हैं. शिक्षकों के प्रयास से बच्चों ने टायपिंग में महारत हासिल कर ली है. टायपिंग स्किल सीखने के दौरान बच्चे अंग्रेजी के वर्ड सीखते हैं ताकि टायपिंग के साथ-साथ वे अंग्रेजी के शब्द सिख जाएं.
क्या कहने हैं ग्रामीणा: गांव के रहवासी ईश्वर निषाद ने बताया, "स्कूल के शिक्षकों की ओर से सहयोग की मांग की गई थी, जिसके बाद ग्रामीणों ने जन सहयोग से राशि एकत्र की और स्कूल की स्थिति सुधारने के लिए सहयोग दिया है. शिक्षक भी बच्चों की अच्छी शिक्षा और स्कूल के सहयोग के लिए सहयोग करते हैं. मुझे गर्व महसूस होता है कि छत्तीसगढ़ के धरसीवा ब्लॉक में पठारीडीह गांव की प्राथमिक शाला बहुत अच्छी है. मैं चाहता हूं कि इस स्कूल को पूरे प्रदेश में जाना जाए."
स्मार्ट क्लासरूम में दी जा रही अच्छी शिक्षा: गांव पठारीडीह के सरपंच हरिशंकर सोनवानी का कहना है, "शिक्षकों के साथ-साथ ग्रामीण जनों का भी सहयोग बहुत अच्छा रहा है. आज यहां से पढ़ने वाले बच्चे बहुत अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं. खास तौर पर यहां के शिक्षकों ने स्कूल के क्लासरूम को स्मार्ट क्लासरूम में बदला है. प्राइवेट स्कूल में जो शिक्षा मिलती है, हमारे गांव के सरकारी स्कूल में उससे कई गुना अच्छी शिक्षा दी जा रही है."
अन्य शासकीय स्कूलों से अलग: ज्यादातर सरकारी स्कूल सुविधाविहीन होते हैं. लेकिन पठारीडीह गांव की प्राथमिक शाला मिसाल पेश कर रही है. सुविधाविहीन होने के बावजूद भी शिक्षकों और ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से आज यह स्कूल किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है. ग्रामीणों और शिक्षकों के सामूहिक प्रयास से आज यह स्कूल प्रदेश के अन्य सरकारी स्कूलों के लिए एक मिसाल बन गया है.