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रायपुर की अनोखी गार्डन लाइब्रेरी, पेड़ की छांव में नि:शुक्ल पढ़ते हैं लोग

रायपुर में अनोखी लाइब्रेरी बनाई गई है. इसे गार्डन लाइब्रेरी नाम दिया गया है. इस लाइब्रेरी में बच्चे से लेकर बड़े तक निःशुल्क किताबें पढ़ते (Unique Garden Library of Raipur People study freely in shade of trees ) हैं.

Garden Library
गार्डन लाइब्रेरी
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Published : Jun 17, 2022, 11:47 PM IST

Updated : Jun 18, 2022, 11:27 AM IST

रायपुर: लाइब्रेरी ऐसी जगह होती है, जहां छोटे से लेकर बड़े यानी किसी भी आयु के लोग जाकर पढ़ सकते हैं. कुछ प्राइवेट लाइब्रेरी भी होती है, जहां महीने और साल की फीस भी बच्चों को पढ़ाई के लिए देनी पड़ती है. लेकिन राजधानी रायपुर के सुंदर नगर में एक ऐसी लाइब्रेरी है, जो नि:शुल्क खुले आसमानों के नीचे पेड़ की छांव में गार्डन में संचालित की जाती है. इसे "गार्डन लाइब्रेरी" के नाम से भी जाना जाता (Raipur Unique Garden Library) है. कहते हैं कि शिक्षा जहां से मिले और जितनी मिले बटोर लेना चाहिए. प्रकृति के बीच पढ़ाई करने का एक अलग ही सुकून मिलता है. इसी कॉन्सेप्ट के साथ रायपुर के एक इंजीनियर ने गार्डन लाइब्रेरी की शुरुआत की है.

26 से अधिक नि:शुल्क लाइब्रेरी करते हैं संचालित: इंजीनियर प्रशांत महतो रायपुर में गार्डन लाइब्रेरी के साथ-साथ प्रदेश भर में 26 से अधिक नि:शुल्क लाइब्रेरी भी संचालित करते हैं. प्रशांत ने अपना एक फाउंडेशन भी बनाया है, जिसके माध्यम से वो अलग-अलग संस्थाओं की सहायता से नि:शुल्क लाइब्रेरी संचालित करते हैं. प्रदेशभर के नि:शुल्क लाइब्रेरी में सैकड़ों बच्चे फ्री में शिक्षा ले रहे हैं. 1 जुलाई से प्रशांत अपने नि:शुल्क लाइब्रेरी को ऑनलाइन करने जा रहे हैं, जिससे घर बैठे बच्चे लाइब्रेरी की सुविधा ले सकते हैं. लाइब्रेरी में अलग-अलग संस्था या जो किताब डोनेट करते हैं, उनके माध्यम से किताबों को रखा जाता है.

रायपुर का अनोखा गार्डन लाइब्रेरी

ऐसे नि:शुल्क लाइब्रेरी खोलने का आया आइडिया: चरामेति फाउंडेशन के फाउंडेशन इंजीनियर प्रशांत महतो कहते हैं, " नि:शुल्क लाइब्रेरी के अभियान की शुरुआत 2015 मार्च में हुई थी. एक भेल वाले ने मुझे एक बुक का पन्ना फाड़ कर भेल बना कर दिया था, जिसे देखकर मैंने सोचा कि इतने अच्छे किताब कि आज क्या दुर्गति हो गई है. जिसके बाद से ही हम लगातार किताबें संग्रहित कर रहे हैं. 2015 में हमने सिर्फ 2 महीने में 17500 किताबें जमा की. जिसके बाद हमने प्रदेश भर में जगह-जगह लाइब्रेरी स्थापित की. 26 से ज्यादा नि:शुल्क लाइब्रेरी हमारी प्रदेशभर में संचालित हो रही है. इस लाइब्रेरी में कोई भी अपनी किताबें नि:शुल्क छोड़ सकता है. किताबें ले जा सकता है. हमारी कोशिश सिर्फ इतनी सी है कि पाठकों को पढ़ने के लिए एक बेहतर माहौल मिल पाए.

अच्छे इन्वायरमेंट में बच्चों को मिल सके अच्छी शिक्षा: चरामेति फाउंडेशन के फाउंडेशन इंजीनियर प्रशांत महतो कहते हैं कि "प्रकृति के बीच रहना एक अलग ही सुकून प्रदान करता है. पिछले 2 साल से घरों में कैद रहकर बच्चे भी ऊब चुके हैं. इसी सोच से हमने गार्डन लाइब्रेरी शुरू की है. गार्डन लाइब्रेरी का कॉन्सेप्ट ही प्रकृति के बीच रहकर पढ़ना है. इस अवधारणा पर हमने गार्डन लाइब्रेरी शुरू की है. रायपुर के सुंदर नगर स्थित आम बगीचे में हमारे द्वारा गार्डन लाइब्रेरी संचालित की जाती है. इस गार्डन लाइब्रेरी में बच्चे नि:शुल्क आकर पढ़ाई करते हैं. गार्डन लाइब्रेरी में लगभग सभी प्रकार के पुस्तकें उपलब्ध हैं. इसके साथ-साथ जैसे-जैसे पाठकों की संख्या बढ़ने लगती है और नए-नए किताबों की डिमांड आती है. तो हम वह किताब पर भी अवेलेबल करवा देते हैं."

जल्द नि:शुल्क कोचिंग खोलने की तैयारी: इंजीनियर प्रशांत महतो कहते, "इस गार्डन लाइब्रेरी में बच्चे से लेकर बूढ़े तक नि:शुल्क आकर पढ़ाई करते हैं. लाइब्रेरी में जो एक्सपर्ट्स पढ़ने आते हैं. छोटो को उनके द्वारा आगे के लिए मार्गदर्शन मिल जाता है. हम यह भी कोशिश कर रहे हैं कि जल्द ही हम नि:शुल्क एक कोचिंग सेंटर भी खोलें, जिससे स्लम एरिया के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मिल पाए."

आकर प्रकृति के बीच शिक्षा: नारायणी साहित्यिक संस्था के मेंबर राजेंद्र ओझा कहते हैं कि " शाम को जब बच्चे, बड़े, बूढ़े कोई भी गार्डन में घूमने आते हैं तो वह खुद देखते हैं कि यहां पर बहुत से लोग किताबें पढ़ रहे हैं. लोग खुद आकर हमसे पूछते हैं और जब हम नि:शुल्क लाइब्रेरी के बारे में बताते हैं तो बच्चे खुद दिलचस्पी दिखा कर किताबें पढ़ना शुरू कर देते हैं. हमारी कोशिश यही है कि प्रकृति के बीच अच्छे माहौल में हम नि:शुल्क बच्चे से लेकर बड़े तक को शिक्षा प्रदान करा सकें. हमारे पास प्रतियोगी परीक्षा नीट और अन्य किताबें भी मौजूद है, जिससे सभी आयु वर्ग और सभी कॉम्पिटेटिव एक्जाम के बच्चे आकर यहां पर नि:शुल्क शिक्षा ले सकें."

शाम को होता है अच्छा माहौल: छात्र अमन साहू ने बताया, "एक शाम मैं भी गार्डन में घूमने आया था. तब मैंने देखा कि यहां पर कुछ लोग पेड़ की छांव में बैठ कर पढ़ाई कर रहे हैं. जिसके बाद मैंने इसे जानना चाहा और जब मुझे फ्री गार्डन लाइब्रेरी के बारे में पता चला तभी से मैं हर रोज शाम को आता हूं और पढ़ाई करता हूं. यहां पर बच्चे से लेकर बड़े तक सभी आयु वर्ग के लोग आकर नि:शुल्क पढ़ाई करते हैं. शाम को यहां काफी अच्छा माहौल हो जाता है. "

यह भी पढ़ें: रायपुर का अक्ष चोपड़ा.... शतरंज में बड़े-बड़ों को दे रहा मात

खुले आसमान के नीचे पेड़ों की छांव में पढ़ने से सुकून: छात्रा भूमिका तिवारी कहती है, "मैं अपने दोस्तों के साथ रोज यहां खेलने और पढ़ने आती हूं. शाम को वैसे भी हम थोड़ी देर के लिए बाहर खेलने निकलते हैं. ऐसे में इस तरह की गार्डन लाइब्रेरी में खुले आसमान के नीचे पेड़ों की छांव में हमें पढ़ने से सुकून मिलता है. जो चीजें हमें समझ में नहीं आती है...जो सीनियर यहां पर आते हैं पढ़ाई करने के लिए.. वह हमें उस चीज में गाइड कर देते हैं. यहां पढ़ाई का काफी अच्छा माहौल होता है.

रायपुर: लाइब्रेरी ऐसी जगह होती है, जहां छोटे से लेकर बड़े यानी किसी भी आयु के लोग जाकर पढ़ सकते हैं. कुछ प्राइवेट लाइब्रेरी भी होती है, जहां महीने और साल की फीस भी बच्चों को पढ़ाई के लिए देनी पड़ती है. लेकिन राजधानी रायपुर के सुंदर नगर में एक ऐसी लाइब्रेरी है, जो नि:शुल्क खुले आसमानों के नीचे पेड़ की छांव में गार्डन में संचालित की जाती है. इसे "गार्डन लाइब्रेरी" के नाम से भी जाना जाता (Raipur Unique Garden Library) है. कहते हैं कि शिक्षा जहां से मिले और जितनी मिले बटोर लेना चाहिए. प्रकृति के बीच पढ़ाई करने का एक अलग ही सुकून मिलता है. इसी कॉन्सेप्ट के साथ रायपुर के एक इंजीनियर ने गार्डन लाइब्रेरी की शुरुआत की है.

26 से अधिक नि:शुल्क लाइब्रेरी करते हैं संचालित: इंजीनियर प्रशांत महतो रायपुर में गार्डन लाइब्रेरी के साथ-साथ प्रदेश भर में 26 से अधिक नि:शुल्क लाइब्रेरी भी संचालित करते हैं. प्रशांत ने अपना एक फाउंडेशन भी बनाया है, जिसके माध्यम से वो अलग-अलग संस्थाओं की सहायता से नि:शुल्क लाइब्रेरी संचालित करते हैं. प्रदेशभर के नि:शुल्क लाइब्रेरी में सैकड़ों बच्चे फ्री में शिक्षा ले रहे हैं. 1 जुलाई से प्रशांत अपने नि:शुल्क लाइब्रेरी को ऑनलाइन करने जा रहे हैं, जिससे घर बैठे बच्चे लाइब्रेरी की सुविधा ले सकते हैं. लाइब्रेरी में अलग-अलग संस्था या जो किताब डोनेट करते हैं, उनके माध्यम से किताबों को रखा जाता है.

रायपुर का अनोखा गार्डन लाइब्रेरी

ऐसे नि:शुल्क लाइब्रेरी खोलने का आया आइडिया: चरामेति फाउंडेशन के फाउंडेशन इंजीनियर प्रशांत महतो कहते हैं, " नि:शुल्क लाइब्रेरी के अभियान की शुरुआत 2015 मार्च में हुई थी. एक भेल वाले ने मुझे एक बुक का पन्ना फाड़ कर भेल बना कर दिया था, जिसे देखकर मैंने सोचा कि इतने अच्छे किताब कि आज क्या दुर्गति हो गई है. जिसके बाद से ही हम लगातार किताबें संग्रहित कर रहे हैं. 2015 में हमने सिर्फ 2 महीने में 17500 किताबें जमा की. जिसके बाद हमने प्रदेश भर में जगह-जगह लाइब्रेरी स्थापित की. 26 से ज्यादा नि:शुल्क लाइब्रेरी हमारी प्रदेशभर में संचालित हो रही है. इस लाइब्रेरी में कोई भी अपनी किताबें नि:शुल्क छोड़ सकता है. किताबें ले जा सकता है. हमारी कोशिश सिर्फ इतनी सी है कि पाठकों को पढ़ने के लिए एक बेहतर माहौल मिल पाए.

अच्छे इन्वायरमेंट में बच्चों को मिल सके अच्छी शिक्षा: चरामेति फाउंडेशन के फाउंडेशन इंजीनियर प्रशांत महतो कहते हैं कि "प्रकृति के बीच रहना एक अलग ही सुकून प्रदान करता है. पिछले 2 साल से घरों में कैद रहकर बच्चे भी ऊब चुके हैं. इसी सोच से हमने गार्डन लाइब्रेरी शुरू की है. गार्डन लाइब्रेरी का कॉन्सेप्ट ही प्रकृति के बीच रहकर पढ़ना है. इस अवधारणा पर हमने गार्डन लाइब्रेरी शुरू की है. रायपुर के सुंदर नगर स्थित आम बगीचे में हमारे द्वारा गार्डन लाइब्रेरी संचालित की जाती है. इस गार्डन लाइब्रेरी में बच्चे नि:शुल्क आकर पढ़ाई करते हैं. गार्डन लाइब्रेरी में लगभग सभी प्रकार के पुस्तकें उपलब्ध हैं. इसके साथ-साथ जैसे-जैसे पाठकों की संख्या बढ़ने लगती है और नए-नए किताबों की डिमांड आती है. तो हम वह किताब पर भी अवेलेबल करवा देते हैं."

जल्द नि:शुल्क कोचिंग खोलने की तैयारी: इंजीनियर प्रशांत महतो कहते, "इस गार्डन लाइब्रेरी में बच्चे से लेकर बूढ़े तक नि:शुल्क आकर पढ़ाई करते हैं. लाइब्रेरी में जो एक्सपर्ट्स पढ़ने आते हैं. छोटो को उनके द्वारा आगे के लिए मार्गदर्शन मिल जाता है. हम यह भी कोशिश कर रहे हैं कि जल्द ही हम नि:शुल्क एक कोचिंग सेंटर भी खोलें, जिससे स्लम एरिया के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मिल पाए."

आकर प्रकृति के बीच शिक्षा: नारायणी साहित्यिक संस्था के मेंबर राजेंद्र ओझा कहते हैं कि " शाम को जब बच्चे, बड़े, बूढ़े कोई भी गार्डन में घूमने आते हैं तो वह खुद देखते हैं कि यहां पर बहुत से लोग किताबें पढ़ रहे हैं. लोग खुद आकर हमसे पूछते हैं और जब हम नि:शुल्क लाइब्रेरी के बारे में बताते हैं तो बच्चे खुद दिलचस्पी दिखा कर किताबें पढ़ना शुरू कर देते हैं. हमारी कोशिश यही है कि प्रकृति के बीच अच्छे माहौल में हम नि:शुल्क बच्चे से लेकर बड़े तक को शिक्षा प्रदान करा सकें. हमारे पास प्रतियोगी परीक्षा नीट और अन्य किताबें भी मौजूद है, जिससे सभी आयु वर्ग और सभी कॉम्पिटेटिव एक्जाम के बच्चे आकर यहां पर नि:शुल्क शिक्षा ले सकें."

शाम को होता है अच्छा माहौल: छात्र अमन साहू ने बताया, "एक शाम मैं भी गार्डन में घूमने आया था. तब मैंने देखा कि यहां पर कुछ लोग पेड़ की छांव में बैठ कर पढ़ाई कर रहे हैं. जिसके बाद मैंने इसे जानना चाहा और जब मुझे फ्री गार्डन लाइब्रेरी के बारे में पता चला तभी से मैं हर रोज शाम को आता हूं और पढ़ाई करता हूं. यहां पर बच्चे से लेकर बड़े तक सभी आयु वर्ग के लोग आकर नि:शुल्क पढ़ाई करते हैं. शाम को यहां काफी अच्छा माहौल हो जाता है. "

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खुले आसमान के नीचे पेड़ों की छांव में पढ़ने से सुकून: छात्रा भूमिका तिवारी कहती है, "मैं अपने दोस्तों के साथ रोज यहां खेलने और पढ़ने आती हूं. शाम को वैसे भी हम थोड़ी देर के लिए बाहर खेलने निकलते हैं. ऐसे में इस तरह की गार्डन लाइब्रेरी में खुले आसमान के नीचे पेड़ों की छांव में हमें पढ़ने से सुकून मिलता है. जो चीजें हमें समझ में नहीं आती है...जो सीनियर यहां पर आते हैं पढ़ाई करने के लिए.. वह हमें उस चीज में गाइड कर देते हैं. यहां पढ़ाई का काफी अच्छा माहौल होता है.

Last Updated : Jun 18, 2022, 11:27 AM IST
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