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Ukraine Russia War 2022: रायपुर के राजदीप सिंह यूक्रेन बॉर्डर पर कर रहे लोगों की मदद - रायपुर के राजदीप सिंह

यूक्रेन रूस युद्ध (Ukraine Russia War 2022) के बीच पीड़ितों की मदद के लिए रायपुर का युवा आगे आया है. रायपुर के राजदीप सिंह यूक्रेन बॉर्डर पर लोगों की मदद कर रहे हैं

Ukraine Russia War 2022
यूक्रेन रूस युद्ध 2022
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Published : Mar 4, 2022, 9:36 PM IST

रायपुर: भौतिक सुख सुविधाएं भले ही लोगों को क्षणिक खुशी देती हो, लेकिन इंसान को आत्मीय खुशी किसी जरूरतमंद की सहायता करके ही मिलती है. कुछ ऐसी ही सोच छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रहने वाले राजदीप सिंह की है. जो इन दिनों यूक्रेन के बॉर्डर पर फंसे भारतीय और विदेशी छात्रों को मदद पहुंचा रहे हैं. राजदीप वहां लोगों को (Indian students trapped in Ukraine border) को दवा, खाना, जूस, पानी और अन्य जरूरत की सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं.

यूक्रेन बॉर्डर पर रायपुर के राजदीप सिंह कर रहे लोगों की मदद

युद्ध के दौरान लोगों के मददगार बने रायपुर के राजदीप सिंह के पास दो गाड़ियां है, जिनमें ये जरूरतमंदों के लिए सामान रखकर अलग-अलग बॉर्डर में जाकर लोगों की सहायता कर रहे हैं. रायपुर के राजदीप सिंह जर्मनी से करीब 13 सौ किलोमीटर दूर बॉर्डर्स पर जा रहे हैं. जहां पर भारतीय और विदेशी छात्र मौजूद हैं. ईटीवी भारत ने बॉर्डर के हालात और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों को लेकर राजदीप सिंह से वीडियो कॉल पर खास बातचीत की..

यह भी पढ़ें: Ukraine-Russia War 2022: यूक्रेन से लौटे छात्र ने बताया रुस-यूक्रेन युद्ध का खौफनाक मंजर

सवाल : राजदीप आपके मन में यह कैसे आया कि, संकट के दौर में आप बॉर्डर पर जाकर भारतीयों और विदेशियों का सहयोग करें ?

जवाब : इतना बड़ा संकट है.सभी परेशान हैं. ऐसे में मैने कुछ दोस्तों से मिलकर तय किया कि बॉर्डर पर जाकर परेशान लोगों की सहायता करूंगा. हम जर्मनी से दो अलग-अलग बॉर्डर पर गए और अभी तीसरे बॉर्डर पर जा रहे हैं.

सवाल : राजदीप जी क्या आपको कोई छत्तीसगढ़ या रायपुर का छात्र भी इस दौरान मिला? यह सवाल आपसे इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि एक अपनेपन का एहसास होता है. यदि उनके शहर या राज्य से कोई अनजान एकाएक मिल जाए तो?

जवाब : हम लगातार बच्चों और परेशान नागरिकों की सहायता कर रहे हैं. इस दौरान भारत के कई छात्र हमसे मिले. हमने उनका सहयोग भी किया. लेकिन हमने उनसे यह नहीं पूछा कि वह किस प्रदेश के हैं.हम तो सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि अन्य देशों के लोगों की भी मदद कर रहे हैं.

सवाल : आप स्पोर्ट्समैन भी हैं और आपका यह काम काफी सराहनीय है. कैसा महसूस कर रहे हैं ?

जवाब : आपको बता दूं कि हम ही अकेले ऐसे नहीं हैं जो इस कार्य में जुटे हुए हैं, बल्कि भारत से ही कई संस्थाएं और लोग इस काम में जुटे हुए हैं. जहां तक बात रही स्पोर्ट्समैन होने की तो हमारा बस चलता तो हम बॉर्डर पार कर सहयोग करने का भी जज्बा रखते हैं. लेकिन वहां अभी काफी सुरक्षा घेरा है और हमें वहां जाने की अनुमति भी नहीं है.

रायपुर: भौतिक सुख सुविधाएं भले ही लोगों को क्षणिक खुशी देती हो, लेकिन इंसान को आत्मीय खुशी किसी जरूरतमंद की सहायता करके ही मिलती है. कुछ ऐसी ही सोच छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रहने वाले राजदीप सिंह की है. जो इन दिनों यूक्रेन के बॉर्डर पर फंसे भारतीय और विदेशी छात्रों को मदद पहुंचा रहे हैं. राजदीप वहां लोगों को (Indian students trapped in Ukraine border) को दवा, खाना, जूस, पानी और अन्य जरूरत की सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं.

यूक्रेन बॉर्डर पर रायपुर के राजदीप सिंह कर रहे लोगों की मदद

युद्ध के दौरान लोगों के मददगार बने रायपुर के राजदीप सिंह के पास दो गाड़ियां है, जिनमें ये जरूरतमंदों के लिए सामान रखकर अलग-अलग बॉर्डर में जाकर लोगों की सहायता कर रहे हैं. रायपुर के राजदीप सिंह जर्मनी से करीब 13 सौ किलोमीटर दूर बॉर्डर्स पर जा रहे हैं. जहां पर भारतीय और विदेशी छात्र मौजूद हैं. ईटीवी भारत ने बॉर्डर के हालात और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों को लेकर राजदीप सिंह से वीडियो कॉल पर खास बातचीत की..

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सवाल : राजदीप आपके मन में यह कैसे आया कि, संकट के दौर में आप बॉर्डर पर जाकर भारतीयों और विदेशियों का सहयोग करें ?

जवाब : इतना बड़ा संकट है.सभी परेशान हैं. ऐसे में मैने कुछ दोस्तों से मिलकर तय किया कि बॉर्डर पर जाकर परेशान लोगों की सहायता करूंगा. हम जर्मनी से दो अलग-अलग बॉर्डर पर गए और अभी तीसरे बॉर्डर पर जा रहे हैं.

सवाल : राजदीप जी क्या आपको कोई छत्तीसगढ़ या रायपुर का छात्र भी इस दौरान मिला? यह सवाल आपसे इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि एक अपनेपन का एहसास होता है. यदि उनके शहर या राज्य से कोई अनजान एकाएक मिल जाए तो?

जवाब : हम लगातार बच्चों और परेशान नागरिकों की सहायता कर रहे हैं. इस दौरान भारत के कई छात्र हमसे मिले. हमने उनका सहयोग भी किया. लेकिन हमने उनसे यह नहीं पूछा कि वह किस प्रदेश के हैं.हम तो सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि अन्य देशों के लोगों की भी मदद कर रहे हैं.

सवाल : आप स्पोर्ट्समैन भी हैं और आपका यह काम काफी सराहनीय है. कैसा महसूस कर रहे हैं ?

जवाब : आपको बता दूं कि हम ही अकेले ऐसे नहीं हैं जो इस कार्य में जुटे हुए हैं, बल्कि भारत से ही कई संस्थाएं और लोग इस काम में जुटे हुए हैं. जहां तक बात रही स्पोर्ट्समैन होने की तो हमारा बस चलता तो हम बॉर्डर पार कर सहयोग करने का भी जज्बा रखते हैं. लेकिन वहां अभी काफी सुरक्षा घेरा है और हमें वहां जाने की अनुमति भी नहीं है.

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