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जानिये क्या है सिकल सेल जिससे छत्तीसगढ़ में प्रभावित हैं 25 लाख लोग, हर साल बढ़ रहे 1 फीसदी मरीज

सिकल सेल खून से जुड़ी बीमारी (Sickle cell blood disease) है, जो शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) को प्रभावित करती है. यह आमतौर पर माता-पिता से बच्चों को वंशानुगत मिलती है. इस बीमारी से छत्तीसगढ़ में 25 लाख लोग प्रभावित हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

sickle cell disease
सिकल सेल बीमारी
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Published : Dec 19, 2021, 6:06 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सिकल सेल एक बड़ी समस्या (Sickle cell a big problem in Chhattisgarh) है. हर दिन सिकल सेल से पीड़ित 150 से ज्यादा मरीज ओपीडी पहुंचते हैं. जिसमें से 20 फीसदी नए मरीज होते हैं. इस बीमारी से छत्तीसगढ़ में 25 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. प्रदेश में इस बीमारी के हर साल 1 फीसदी मरीज बढ़ रहे हैं.

यह भी पढ़ें: सीएम बघेल पर रमन का तंज...ऐसे नहीं होगा वैतरनी पार, काम कर भाई काम कर

सिकल सेल क्यों है खतरनाक बीमारी

सिकल सेल खून की एक खतरनाक बीमारी (sickle cell blood disease) है. इस बीमारी के बहुतायत मरीज मिले हैं. दरअसल, रक्त में जींस के अनेक सेट होते हैं जो अपने जन्म देने वाले माता-पिता से प्राप्त करते हैं. प्रत्येक सेट आपके शरीर में खास भूमिका निभाता है. जैसे आपकी आंखों के रंग का निर्धारण या आपकी त्वचा के रंग को तय करना. जींस के एक अन्य सेट द्वारा भी निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कैसी बनी है और वह किस प्रकार से काम करती हैं. यह एक ऐसी विशेषता है जिसे आप अपनी आंखों से नहीं देख सकते.

हर साल प्रदेश में 1 फीसदी मरीज बढ़ रहे हैं. सिकल सेल बीमारी वास्तव में विभिन्न प्रकार के रक्त विकारों के समूह को कहा जाता है जो सिकल हीमोग्लोबिन से होता है. विभिन्न प्रकार के सिकल सेल रोग होते हैं. इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स यानी खून की लाल कोशिका विकृति का शिकार होती है और हसिए के आकार की हो जाती हैं. ऐसे मरीजों की औसत उम्र 48 साल होती है. यह बीमारी अनुवांशिक है. यानी यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है.

सिकल सेल बीमारी का नहीं हुआ इलाज तो ऑर्गन डैमेज का रहता है खतरा

सिकल सेल एक अनुवांशिक खून की बीमारी (sickle cell a genetic blood disease) है. इसमें शरीर की लाल रक्त कोशिका ऑक्सीजन की कमी के वजह से हसिए के आकार में हो जाता है. इस वजह से इसको सिकल सेल कहा जाता है. शरीर के किसी भी ऑर्गन में खून की धमनियों को ब्लॉक कर देता है. जिससे उस जगह दर्द होता है. वहां के टिशूज मर जाते हैं और भी काफी कॉम्प्लिकेशंस होते हैं. यह बीमारी अनुवांशिक है.

प्रदेश के कुछ खास जाति वर्गों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है. बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज है. अलग-अलग जातियों में अगर शादी होती है तो इस बीमारी की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं. लेकिन जिन लोगों को यह बीमारी हो गई है, उनका ट्रीटमेंट सही समय पर करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो ऑर्गन डैमेज होने का खतरा रहता है.

यह भी पढ़ें: जीवन की "आकांक्षा"... 'ममता' ने ठुकराया, अपने चार बच्चों के साथ कुत्ते ने नवजात बच्ची को दिया सहारा

सिकल सेल बीमारी के लक्षण

सिकल सेल बीमारी के लक्षण बच्चे के जन्म के 5 या 6 महीने के बाद से ही दिखने शुरू हो जाते हैं. इस बीमारी के सामान्य संकेतों और लक्षणों में ये चीजें शामिल हैं- शरीर में दर्द और कई बार बैक्टीरियल संक्रमण होना, हाथों और पैरों में सूजन, एनीमिया, दृष्टि संबंधी समस्याएं, हड्डियों को नुकसान और प्यूबर्टी या प्रौढ़ता आने में देरी.

सिकल सेल बीमारी का इलाज

डायग्नोसिस और उचित चिकित्सीय देखभाल से सिकल सेल रोग को सही तरीके से मैनेज किया जा सकता है. इस तरह के बच्चों को जन्म के तुरंत बाद कुछ वैक्सीन दी जाती है जिसमें पेनीसीलियन प्रोफाइलैक्सिस और न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के लिए दिया जाने वाला टीका शामिल है. साथ ही में फोलिक एसिड सप्लीमेंट भी. सिकल सेल बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जीवनभर चिकित्सीय सहायता की जरूरत होती है, क्योंकि बीमारी के इलाज में एंटीबायोटिक्स, इंट्रावीनस फ्लूइड, नियमित रूप से खून चढ़ाना और कई बार सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सिकल सेल एक बड़ी समस्या (Sickle cell a big problem in Chhattisgarh) है. हर दिन सिकल सेल से पीड़ित 150 से ज्यादा मरीज ओपीडी पहुंचते हैं. जिसमें से 20 फीसदी नए मरीज होते हैं. इस बीमारी से छत्तीसगढ़ में 25 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. प्रदेश में इस बीमारी के हर साल 1 फीसदी मरीज बढ़ रहे हैं.

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सिकल सेल क्यों है खतरनाक बीमारी

सिकल सेल खून की एक खतरनाक बीमारी (sickle cell blood disease) है. इस बीमारी के बहुतायत मरीज मिले हैं. दरअसल, रक्त में जींस के अनेक सेट होते हैं जो अपने जन्म देने वाले माता-पिता से प्राप्त करते हैं. प्रत्येक सेट आपके शरीर में खास भूमिका निभाता है. जैसे आपकी आंखों के रंग का निर्धारण या आपकी त्वचा के रंग को तय करना. जींस के एक अन्य सेट द्वारा भी निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कैसी बनी है और वह किस प्रकार से काम करती हैं. यह एक ऐसी विशेषता है जिसे आप अपनी आंखों से नहीं देख सकते.

हर साल प्रदेश में 1 फीसदी मरीज बढ़ रहे हैं. सिकल सेल बीमारी वास्तव में विभिन्न प्रकार के रक्त विकारों के समूह को कहा जाता है जो सिकल हीमोग्लोबिन से होता है. विभिन्न प्रकार के सिकल सेल रोग होते हैं. इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स यानी खून की लाल कोशिका विकृति का शिकार होती है और हसिए के आकार की हो जाती हैं. ऐसे मरीजों की औसत उम्र 48 साल होती है. यह बीमारी अनुवांशिक है. यानी यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है.

सिकल सेल बीमारी का नहीं हुआ इलाज तो ऑर्गन डैमेज का रहता है खतरा

सिकल सेल एक अनुवांशिक खून की बीमारी (sickle cell a genetic blood disease) है. इसमें शरीर की लाल रक्त कोशिका ऑक्सीजन की कमी के वजह से हसिए के आकार में हो जाता है. इस वजह से इसको सिकल सेल कहा जाता है. शरीर के किसी भी ऑर्गन में खून की धमनियों को ब्लॉक कर देता है. जिससे उस जगह दर्द होता है. वहां के टिशूज मर जाते हैं और भी काफी कॉम्प्लिकेशंस होते हैं. यह बीमारी अनुवांशिक है.

प्रदेश के कुछ खास जाति वर्गों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है. बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज है. अलग-अलग जातियों में अगर शादी होती है तो इस बीमारी की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं. लेकिन जिन लोगों को यह बीमारी हो गई है, उनका ट्रीटमेंट सही समय पर करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो ऑर्गन डैमेज होने का खतरा रहता है.

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सिकल सेल बीमारी के लक्षण

सिकल सेल बीमारी के लक्षण बच्चे के जन्म के 5 या 6 महीने के बाद से ही दिखने शुरू हो जाते हैं. इस बीमारी के सामान्य संकेतों और लक्षणों में ये चीजें शामिल हैं- शरीर में दर्द और कई बार बैक्टीरियल संक्रमण होना, हाथों और पैरों में सूजन, एनीमिया, दृष्टि संबंधी समस्याएं, हड्डियों को नुकसान और प्यूबर्टी या प्रौढ़ता आने में देरी.

सिकल सेल बीमारी का इलाज

डायग्नोसिस और उचित चिकित्सीय देखभाल से सिकल सेल रोग को सही तरीके से मैनेज किया जा सकता है. इस तरह के बच्चों को जन्म के तुरंत बाद कुछ वैक्सीन दी जाती है जिसमें पेनीसीलियन प्रोफाइलैक्सिस और न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के लिए दिया जाने वाला टीका शामिल है. साथ ही में फोलिक एसिड सप्लीमेंट भी. सिकल सेल बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जीवनभर चिकित्सीय सहायता की जरूरत होती है, क्योंकि बीमारी के इलाज में एंटीबायोटिक्स, इंट्रावीनस फ्लूइड, नियमित रूप से खून चढ़ाना और कई बार सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है.

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