रायपुर: विपक्ष में बैठी भाजपा के द्वारा लगातार आदिवासी आरक्षण में की गई कटौती को लेकर कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है. कांग्रेस सरकार ने भी आदिवासियों को आरक्षण वापस दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है. इस सत्र में आरक्षण विधेयक लाया जाएगा. आखिर सत्र को लेकर कांग्रेस सरकार की क्या रणनीति है? प्रदेश में सत्र और सत्र के बाद किस तरह की परिस्थिति देखने को मिलेगी. इस विषय पर ईटीवी भारत संवाददाता प्रवीण कुमार सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव से विस्तार से बात की(TS singhdeo exclusive interview on reservation). आइए आपको सुनाते हैं उन्होंने आरक्षण और छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र को लेकर क्या कहा...Raipur latest news
तमिलनाडु मामले में निर्णय लिया गया कि कुछ राज्यों की स्थितियां भिन्न होती हैं. यदि उसे छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो 45 फीसदी एससी और एसटी की आबादी है. ऐसे में जो ओबीसी वर्ग 27 फीसदी पाने का हकदार है. तो छत्तीसगढ़ में उन्हें पीछे क्यों रहना चाहिए. क्रीमी लेयर को हटाकर ओबीसी को आरक्षण reservation Amendment Bill 2022) दिया गया है. आज की परिस्थिति में उन्हें आगे आने का मौका नहीं मिला हैं, इसलिए उन्हें देश में 27 फीसदी आरक्षण दिया गया है. छत्तीसगढ़ में एससी एसटी की पॉपुलेशन ज्यादा होने के कारण 50 फीसदी में से ओबीसी को 5 फीसदी आरक्षण मिलेगा, तो उनके साथ न्याय कैसे होगा.
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सवाल: कानून के जानकार कहते हैं कि किसी भी परिस्थिति में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता. यदि आरक्षण देना है तो 50 फीसदी के अंदर ही एक-दूसरे वर्ग में कटौती या बढ़ोतरी की जा सकती है.
जवाब: यदि आप तमिलनाडु वाले जजमेंट को पढ़ेंगे, तो आपको पता चल जाएगा कि उन राज्यों की विशेष परिस्थितियों में आरक्षण 50 फीसदी से अधिक दिया जा रहा है.
सवाल: कई ऐसे राज्य, जिन्होंने 50 फीसदी से अधिक आरक्षण दिया, उसमें महाराष्ट्र भी शामिल है. लेकिन बाद में कोर्ट ने सभी राज्यों के 50 फीसदी से अधिक के आरक्षण को खारिज कर दिया है
जवाब: कोर्ट ने इन आदेशों को निरस्त नहीं किया है, बल्कि उन्होंने कहा है कॉन्टिफाएवल डाटा नहीं है. निष्पक्ष प्रमाणित आधार पर जिनको आप आरक्षण देना चाहते हैं, जिनकी वार्षिक आमदनी 8 लाख से कम हो, ऐसे कितने लोग हैं, यह डाटा होना चाहिए. सेंसस के माध्यम से एसटी एससी पॉपुलेशन कितनी है, थोड़ा कम है या ज्यादा, उसे देश भी मानता है और सुप्रीम कोर्ट भी मानता है. एक प्रक्रिया के माध्यम से वह संख्या निकाली गई थी कि किस राज्य में एससी कितने हैं. सेंसस में ओबीसी सहित अन्य वर्गों के सर्वे की बात हुई थी. 2012 में यह सर्वे किया गया था, लेकिन वर्तमान में केंद्र सरकार ने उस आंकड़े को रिलीज नहीं किया, वरना यह स्थिति निर्मित नहीं होती. कॉन्टिफाईवल डाटा जरूरी है हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का भी यही कहना है कि हम किस बेस पर माने कि आप जो आरक्षण की मांग कर रहे, इतनी आबादी है या नहीं. chhattisgarh assembly special session
सवाल: इस पूरे मामले पर विपक्ष ने प्रदेश में आरक्षण लागू न होने को लेकर कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
जवाब: हाईकोर्ट में साल 2012 से या मामला चल रहा था, उस बीच 2012 से 2018 तक के बीच 7 साल भाजपा सरकार थी, आपने क्या किया, कौन सी भूमिका निभाई. भाजपा को ऐसा आरोप नहीं लगाना चाहिए. इस मामले में कांग्रेस ने तो कम से कम कुछ किया है. आप कह रहे हो कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है तो इसके पहले जो सरकार थी, उसकी जिम्मेदारी क्यों नहीं होगी.
सवाल: क्या 3 तारीख से प्रदेश के आदिवासियों को 32 फीसदी आरक्षण मिलना शुरू हो जाएगा. उसके तहत भर्ती प्रक्रिया, रिजल्ट रुके हुए हैं वह सभी सामान्य हो जाएगी?
जवाब: 3 तारीख के बाद प्रदेश की स्थिति सामान्य होना चाहिए. आखिर भर्ती प्रक्रिया कब तक रोक कर रखी जा सकती है. हर वर्ग का एप्लीकेशन लेना प्रारंभ हो जाएगा. ऐसे में जब तक कोई वर्तमान जैसी स्थिति निर्मित नहीं होती है, तब तक आरक्षण लागू रहेगा.