रायपुर: छत्तीसगढ़ में डीलिस्टिंग की मांग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले रविवार को राजधानी में बड़ा आंदोलन किया गया. आंदोलन में दूसरे धर्म को अपनाने वाले आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने की मांग की गई. रायपुर के वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर के मैदान में प्रदेश के अलग-अलग जगहों से हजारों की संख्या में आदिवासी ने एक स्वर में इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग की. कार्यक्रम में आए आदिवासी युवाओं से ईटीवी भारत ने बातचीत की, जानिए उन्होंने क्या कहा.
मूल आदिवसियों को नहीं मिल रहा लाभ: लौलूंगा रायगढ़ से आंदोलन में पहुंची शांता भगत ने डीलिस्टिंग को सही बताते हुए कहा कि "आज की परिस्थिति को देखते हुए डीलिस्टिंग बहुत आवश्यक है. आज धर्म परिवर्तन करने वाले जनजाति समाज के लोग दोहरे आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. यदि डीलिस्टिंग नहीं होगी, तो पात्र आदिवसियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा. आज धर्मान्तरित आदिवसी आरक्षण का भरपुर लाभ उठा लेते हैं, जिस वजह से मूल आदिवसियों को सभी क्षेत्रों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है."
आदिवासी संस्कृति को खतरा: शांता भगत ने कहा" लगातार भोलेभाले आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है, इससे आदिवासी समाज को क्षति पहुच रही है,यह बेहद गम्भीर स्थिति है, आदिवासियों का धर्मांतरण करने का षड्यंत्र धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है, अगर इसे कंट्रोल नही किया गया तो यह और भी बढ़ता जाएगा, इससे आदिवासी संस्कृति को खतरा है, इसलिए डीलिस्टिंग जरूर होनी चाहिए."
धर्मान्तरित लोगों को मिल रहा दोहरा लाभ: जशपुर से आए अजय ने बताया "लंबे समय से डीलिस्टिंग की मांग चल रही है. आज तक इसे लागू करने के लिए कुछ नहीं किया गया है. जो आदिवसी ईसाई धर्म और मुस्लिम धर्म में चले गए हैं वे सभी आरक्षण का दोहरा लाभ ले रहे हैं, वे अनुसूचित जनजाति आरक्षण के साथ अल्पसंख्यक आरक्षण का लाभ लेते हैं, जिस वजह से सिर्फ 20 प्रतिशत आदिवासियों को ही आरक्षण का लाभ मिल पाता है, बाकी लोग वंचित रह जाते हैं."
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लगातार हो रहा धर्मान्तरण: अजय ने बताया कि "हम जशपुर से आए हैं, वहां लगातार धर्मांतरण चल रहा है, क्योंकि वहां बहुत सारे पास्टर हो गए हैं, चंगाई सभा का आयोजन किया जाता है. वे लोग आदिवासी समाज के लोगों के बीच सेंधमारी का काम कर रहे हैं. उरांव जनजातीय के अलावा वहां सभी जातियों के लोगो का भी धर्मांतरण बड़ी तेजी से किया जा रहा है."