रायपुर: नारायणपुर घटना में आदिवासी समाज के प्रमुखों ने आज रायपुर प्रेस क्लब पत्रकार वार्ता ली. Narayanpur conversion case जिसमें आदिवासी समाज प्रमुखों ने बताया "बीते 28 दिसंबर और 1 जनवरी को नारायणपुर के एकड़ा पंचायत के गौरा गांव में ईसाइयों की भीड़ ने जनजाति समाज के लोगों पर जानलेवा हमला किया. जिसके बाद कई जनजातीय ग्रामीणों को अपनी जान की रक्षा के लिए घटनास्थल से भागना पड़ा. आज जो पीड़ित हैं, उन्हीं लोगों को जेल में बंद किया जा रहा है. Tribal community demands CBI inquiry हमारी मांग है कि इस घटना में निष्पक्ष जांच सीबीआई से कराई जाए."
ईसाई मिशनरियों पर अवैध तरीके से धर्मांतरण का आरोप: जनजाति सुरक्षा मंच के भोजराज नाग का कहना है कि "पूरे संभाग में ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण की अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है. इस दौरान मिशनरी के सदस्य भोले भाले जनजातियों को निशाना बनाकर उनका धर्मांतरण कर रहे हैं. इसके लिए मिशनरियों के द्वारा जनजातीय समाज के ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिए जा रहे हैं."
देवी-देवताओं के अपमान का लगाया आरोप: प्रेस वार्ता (Raipur press club) में आदिवासी समाज के लोगो ने बताया कि "ईसाई मिशनरियों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में चंगाई सभा के नाम पर जनजाति निवासियों को भ्रम के जाल में फंसाया जा रहा है. press conference in raipur आदिवासियों की सभी संस्कृति, पूजा पद्धति और रीति-रिवाजों को भी ईसाइयों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. पर्वों के दौरान धर्मांतरित समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है. साथ ही जनजातियों के देवी-देवताओं का उपहास भी उड़ाया जाता है."
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पुलिस और सरकार पर लगाये गंभीर आरोप: पत्रकार वार्ता के दौरान आदिवासी समाज प्रमुखों ने छत्तीसगढ़ सरकार, जिला और पुलिस प्रशासन पर भी पक्षपात का आरोप लगाया है. नारायणपुर में हुई हिंसा पर कहा कि "प्रशासन निष्पक्ष नहीं है. जब आदिवासी समाज पर ईसाइयों ने प्राणघातक हमले किए, तब शिकायत के बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. इसके बाद जब इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ घटनाएं घटी, तो पुलिस ने जनजातीय ग्रामीणों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया."
धर्मांतरण मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग: जनजातीय प्रमुखों ने आरोप लगाया कि "ईसाइयों के द्वारा किए गए हमले में जनजातीय ग्रामीण ही नहीं, बल्कि पुलिस बल को भी चोट पहुंची है, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. यदि पुलिस और जिला प्रशासन ईसाई आरोपियों पर त्वरित कार्रवाई करता, तो आदिवासी समाज इतना आक्रोशित नहीं होता." आदिवासी समाज का कहना है कि "पुलिस और प्रशासन की जांच इस मामले में अब निष्पक्ष नहीं रही है. अब इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए."
धर्मांतरण के खिलाफ कानून की मांग: प्रेसवार्ता में जनजातीय प्रमुखों ने मांग की है कि "नारायणपुर में जनजातीयों पर किए गए हमले के दोषी ईसाइयों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए. साथ ही प्रदेश में जिस तरह से धर्मांतरण की अनैतिक गतिविधियां चल रही हैं, उस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए. प्रदेश में भी धर्मांतरण रोकने के लिए कठोरतम कानून बनाए जाएं, जिससे जातीय हितों की रक्षा की जा सके. नारायणपुर में आदिवासी समाज के लोगों को जेल में डाला गया है, उन पर लगे सभी मामले वापस लेकर उनकी रिहाई की जाए."इस प्रेस वार्ता के दौरान पीड़ित आदिवासी भी पहुंचे हुए थे. उन्होंने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि कैसे ईसाई समाज के लोगों ने उन पर हमला किया.