रायपुर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों हरा सोना का परिवहन ठप (green gold transport stalled) पड़ गया है. तेंदुपत्ता को राज्य में हरा सोना के नाम से जाना जाता है. तेंदूपत्ता का परिवहन पूरी (Tendupatta transport stopped) तरह बंद है. राज्य के डिपो से 10 दिसंबर से तेंदुपत्ता का उठाव नहीं हो पा रहा है. इसकी मुख्य वजह आरटीओ की तरफ से ओवर हाइट के नाम पर भारी भरकम जुर्माना (fine on over height) वसूला जाना है. यही वजह है कि तेंदूपत्ता परिवहन संघ ने छत्तीसगढ़ में तेंदुपत्ता का परिवहन करना बंद कर दिया है. तेंदुपत्ता का परिवहन नहीं होने से न केवल आदिवासियों को, बल्कि इस व्यवसाय से जुड़े तमाम लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने तेंदुपत्ता का परिवहन करने वाले ट्रक संचालकों से बात की और उनकी पीड़ा को समझने का प्रयास किया.
'25 हजार की गई जुर्माने की राशि'
ईटीवी भारत की टीम ने इस मसले पर छत्तीसगढ़ तेंदुपत्ता परिवहन संघ के अध्यक्ष (President of Tendupatta Transport Association) गुरदीप सिंह गरचा (Gurdeep Singh Garcha) से बातचीत की है. उन्होंने बताया कि 1 दिसंबर से छत्तीसगढ़ में परिवहन विभाग द्वारा ओवरराइट के नाम पर 20 से 25 हजार रुपये का जुर्माना लिया जा रहा है. कुछ जगहों पर तो खड़ी ट्रक से भी जुर्माना वसूला गया है. जिसकी वजह से तेंदुपत्ता का परिवहन करना कठिन हो गया है. परिवहन विभाग की कार्रवाई से परेशान होकर तेंदुपत्ता परिवहन संघ ने तेंदुपत्ता का परिवहन अनिश्चितकाल के लिए बंद (Tendupatta transport closed indefinitely) कर दिया है. गुरदीप सिंह गरचा का आरोप है कि केवल तेंदुपत्ता परिवहन से जुड़े ट्रकों से ही जुर्माना वसूला जा रहा है. जिसका हम विरोध करते हैं. उनका कहना है कि कोरोना के कारण पिछले डेढ़ दो साल से ट्रक व्यवसाय वैसे ही चौपट हो चुका है. तेंदूपत्ता ट्रक की भार क्षमता से कम लोड किया जाता है. बावजूद हमसे जुर्माना वसूला जा रहा है.
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यातायात नियमों का हमेशा करते हैं पालन-गुरदीप सिंह गरचा
परिवहन संघ की माने तो तेंदुपत्ता का काम 6 से 7 महीने चलता है. इस 6 से 7 माह में हर महीने करीब 500-600 ट्रकों से परिवहन होता है. इसमें सबसे अधिक वेस्ट बंगाल ट्रक जाती है. क्योंकि वहां काफी कम दामों पर मजदूर मिल जाते हैं. वहां बीड़ी तैयार किया जाता है. फिर उसे छत्तीसगढ़ में लाकर बेचा जाता है. उन्होंने बताया कि जब भी कोई दुर्घटना होती है. उसमें तेंदूपत्ता से जुड़ी तस्वीरें छपती है, जबकि तेंदूपत्ता के वाहन से अब तक एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. न ही किसी तरह की कोई दुर्घटना हुई है. तेंदुपत्ता बहुत ही हल्का होता है. ओवर लोड भी नहीं होता. हम ट्रैफिक नियमों का पूरी तरह पालन करते है.
तेंदुपत्ता का परिवहन रुकने से आदिवासियों को हो रहा नुकसान
परिवहन संघ के सदस्य हरप्रीत सिंह का कहना है कि, तेंदुपत्ता का परिवहन नहीं होने से ट्रक संचालकों के साथ ही माल लोड करने वाले मजदूरों का भी नुकसान हो रहा है. इस वजह से तेंदुपत्ता संग्रहण से जुड़े आदिवासियों का भी नुकसान हो रहा है.
राज्य में इन जिलों से होता है तेंदुपत्ता का संग्रहण
संघ के पदाधिकारियों की माने तो प्रदेश में धमतरी, कांकेर, बस्तर, भानुप्रतापपुर, राजनांदगांव, अंबिकापुर, खरसिया सहित अन्य वनांचल से तेंदुपत्ता की आपूर्ति होती है. जिसे छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों तक परिवहन किया जाता है. ऐसे में राज्य के इन सभी जिलों में लोगों को नुकसान हो रहा है.