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जन गण मन: जानिए भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कैसे आया 'हम भारत के लोग' - घनश्याम सिंह गुप्ता ने किया था संविधान का अनुवाद

संविधान को आम लोगों और घर-घर तक पहुंचाने के लिए हिन्दी में अनुवाद की जिम्मेदारी घनश्याम गुप्त को मिली थी. संविधान का अनुवाद करने के साथ ही प्रस्तावना की पहली लाइन- 'हम भारत के लोग' भी घनश्याम गुप्त ने ही लिखी थी. घनश्याम गुप्त दुर्ग के रहने वाले थे.

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Published : Jan 25, 2020, 10:46 PM IST

Updated : Jan 25, 2020, 10:51 PM IST

रायपुर: संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा जाता है. प्रस्तावना की शुरुआत होती है 'हम भारत के लोग' से. भारतीय संविधान को विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना जाता है. अंग्रेजी में लिखे संविधान को हिन्दी में करने का श्रेय छत्तीसगढ़ के घनश्याम गुप्त को है. वैसे ही प्रस्तावना की पहली लाइन 'हम भारत के लोग' लिखने का श्रेय भी उन्हीं के नाम है.

विधान पुरुष घनश्याम गुप्त ने संविधान की आत्मा को दिए शब्द

भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अंग्रेजी में ही भारतीय संविधान को ड्राफ्ट किया था, लेकिन इस संविधान को आम लोगों और घर-घर तक पहुंचाने के लिए हिन्दी में अनुवाद की जिम्मेदारी घनश्याम गुप्त को मिली थी. संविधान का अनुवाद करने के साथ ही प्रस्तावना की पहली लाइन- 'हम भारत के लोग' भी घनश्याम सिंह गुप्ता ने ही लिखी थी.

संविधान सभा में बटोरी थी तारीफ

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि संविधान की प्रस्तावना की पहली लाइन को लेकर उस समय असमंजस की स्थिति थी. इसके बाद घनश्याम गुप्त ने ही 'हम भारत के लोग' लाइन को लिखा था. इसके लिए पूरे संविधान सभा में उनकी तारीफ हुई थी.

घनश्याम गुप्त पर लिख रहे किताब

दुर्ग के वकील संजीव तिवारी 'विधान पुरुष' नाम से पुस्तक भी लिख रहे हैं, जो घनश्याम गुप्त पर केंद्रित है. संजीव तिवारी बताते हैं कि उनके किताब लिखने से पहले एक वाकया हुआ था. पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे जयराम रमेश ने आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक पीटिशन लगायी थी, जिसने उन्होंने घनश्याम गुप्त का जिक्र किया था.

संजीव तिवारी बताते हैं कि जब उन्होंने जानकारी खंगाली तो पता चला कि वो दुर्ग के घनश्याम गुप्त का ही जिक्र कर रहे थे. उसके बाद संजीव तिवारी को उत्सुकता हुई और वे घनश्याम गुप्त के बारे में रिसर्च करने लगे.

प्रदेश के लोगों में नहीं मिली पहचान

लेखक संजीव तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे इस महापुरुष ने भारतीय संविधान के निर्माण और उसे हिन्दी में अनुवाद करने जैसे बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दिया और इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अंकित हो गए. अफसोस इस बात का है कि छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र को उस तरह याद नहीं किया जाता जिसके वे हकदार थे. प्रदेश के ज्यादातर लोगों को उनके विषय में पता भी नहीं है.

रायपुर: संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा जाता है. प्रस्तावना की शुरुआत होती है 'हम भारत के लोग' से. भारतीय संविधान को विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना जाता है. अंग्रेजी में लिखे संविधान को हिन्दी में करने का श्रेय छत्तीसगढ़ के घनश्याम गुप्त को है. वैसे ही प्रस्तावना की पहली लाइन 'हम भारत के लोग' लिखने का श्रेय भी उन्हीं के नाम है.

विधान पुरुष घनश्याम गुप्त ने संविधान की आत्मा को दिए शब्द

भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अंग्रेजी में ही भारतीय संविधान को ड्राफ्ट किया था, लेकिन इस संविधान को आम लोगों और घर-घर तक पहुंचाने के लिए हिन्दी में अनुवाद की जिम्मेदारी घनश्याम गुप्त को मिली थी. संविधान का अनुवाद करने के साथ ही प्रस्तावना की पहली लाइन- 'हम भारत के लोग' भी घनश्याम सिंह गुप्ता ने ही लिखी थी.

संविधान सभा में बटोरी थी तारीफ

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि संविधान की प्रस्तावना की पहली लाइन को लेकर उस समय असमंजस की स्थिति थी. इसके बाद घनश्याम गुप्त ने ही 'हम भारत के लोग' लाइन को लिखा था. इसके लिए पूरे संविधान सभा में उनकी तारीफ हुई थी.

घनश्याम गुप्त पर लिख रहे किताब

दुर्ग के वकील संजीव तिवारी 'विधान पुरुष' नाम से पुस्तक भी लिख रहे हैं, जो घनश्याम गुप्त पर केंद्रित है. संजीव तिवारी बताते हैं कि उनके किताब लिखने से पहले एक वाकया हुआ था. पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे जयराम रमेश ने आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक पीटिशन लगायी थी, जिसने उन्होंने घनश्याम गुप्त का जिक्र किया था.

संजीव तिवारी बताते हैं कि जब उन्होंने जानकारी खंगाली तो पता चला कि वो दुर्ग के घनश्याम गुप्त का ही जिक्र कर रहे थे. उसके बाद संजीव तिवारी को उत्सुकता हुई और वे घनश्याम गुप्त के बारे में रिसर्च करने लगे.

प्रदेश के लोगों में नहीं मिली पहचान

लेखक संजीव तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे इस महापुरुष ने भारतीय संविधान के निर्माण और उसे हिन्दी में अनुवाद करने जैसे बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दिया और इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अंकित हो गए. अफसोस इस बात का है कि छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र को उस तरह याद नहीं किया जाता जिसके वे हकदार थे. प्रदेश के ज्यादातर लोगों को उनके विषय में पता भी नहीं है.

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भारतीय संविधान आज आपने स्थापना की 70 वी वर्षगांठ मना रहा है, अपने विश्वासनीयता और भव्यता के लिए भारतीय संविधान को ना केवल पूरे भारत में बल्कि विश्व पटल पर भी सेहत सम्मान के साथ देखा जाता है। भारतीय संविधान की खासियत है कि भारत के संविधान को कई दूसरे देशों ने भी अनुग्रहित किया है। भारतीय संविधान के निर्माण और भव्यता की जब बात हो रही है तो यह जानना भी जरूरी है कि छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र घनश्याम गुप्ता जिसे संविधान पुरुष के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने ने ही भारतीय संविधान का हिंदी अनुवाद किया था। यही नहीं भारतीय संविधान की पहली लाइन "हम भारत के लोग" जिसे पढ़कर ही भारतीय संविधान की शुरुआत होती है यह लाइन भी घनश्याम सिंह गुप्ता ने ही लिखी थी।

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घनश्याम गुप्ता सेंट्रल प्रोविंसेस स्टेट यानी सीपीआर बरार राज्य के 15 सालों तक विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं। संविधान के अच्छे जानकार होने के चलते ही उन्हें भारतीय संविधान को अनुवादित करने वाली समिति की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी गई थी। जब देश में भारतीय संविधान की ड्राफ्टिंग हो रही थी तो समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अंग्रेजी में ही भारतीय संविधान को ड्राफ्ट किया था, लेकिन इस संविधान को आम लोगों और घर-घर तक पहुंचाने के लिए घनश्याम सिंह गुप्ता एवं जिम्मेदारी निभाई थी। आज देशभर में घर घर में भारतीय संविधान को अगर सरल भाषा में पढ़ा और समझा जा रहा है तो इसके पीछे छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र घनश्याम गुप्ता की मेहनत ही है। संविधान के अनुवाद करने के साथ ही भारतीय संविधान की पहली लाइन- हम भारत के लोग भी घनश्याम सिंह गुप्ता ने ही लिखी थी। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यदि कांस्टीट्यूशनल ऑफ इंडिया बनाए हैं तो भारत के संविधान के रचनाकार घनश्याम सिंह गुप्ता है। दरअसल संविधान की पहली लाइन को लेकर उस समय असमंजस की स्थिति थी इसके बाद घनश्याम सिंह गुप्ता ने ही हम भारत के लोग लाइन को लिखा था इसके लिए पूरे संविधान सभा में उनकी तारीफ हुई थी।

बाईट- राजकुमार गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता

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घनश्याम गुप्ता की शख्सियत को लेकर आम लोगों में भी जानकारी ना होना एक बड़ा कारण रहा है लेकिन उन पर अब दुर्ग के एक वकील संजीव तिवारी विधान पुरुष नाम से पुस्तक भी लिख रहे हैं। संजीव तिवारी ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए बताते हैं घनश्याम गुप्ता के बारे में पुस्तक लिखने की सबसे पहले सोच से जुड़ा एक वाकया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे जयराम रमेश ने आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक पीटिशन लगाया था जिसने उन्होंने घनश्याम गुप्ता एक शब्द पर आपत्ति जताई थी। घनश्याम गुप्ता के नाम का जिक्र आने पर मैंने पता किया तो यह जानकारी मिली कि हमारे दुर्ग के ही घनश्याम गुप्ता उन्होंने जिक्र किया था । इसमें आधार कार्ड को केंद्र सरकार मनी बिल के रूप में प्रस्तुत कर रही थी, जयराम रमेश ने तर्क दिया था कि आधार कार्ड को मनी बिल नहीं माना जा सकता। इस घटनाक्रम के बाद मैंने घनश्याम सिंह गुप्ता को लेकर तमाम तरह की चीजें खंगालना शुरू किया तब यह जानकारी लगी कि घनश्याम गुप्ता संविधान सभा के सदस्य थे और हिंदी ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष थे। जो आज संविधान हम आप पढ़ते हैं उसका हिंदी ड्राफ्ट घनश्याम सिंह गुप्ता नहीं लिखा था।

बाईट संजीव तिवारी, वकील व घनश्याम गुप्ता पर पुस्तक लिखने वाले

Conclusion:फाइनल वीओ
तो इस तरह से घनश्याम सिंह गुप्ता की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय संविधान की पहली लाइन लिखने वाले कोई साधारण पुरुष नहीं थे। छत्तीसगढ़ के लोग भले ही उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं लोग उन्हें एक साधारण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में ही जानते हैं। आर्य समाज को स्थापित करने में और महिला शिक्षा के लिए काम करने में उन्होंने सबसे पहले बोर्डिंग महिला स्कूल की स्थापना भी की थी। उन पर रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि उनके देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से भी बेहद अच्छे संबंध रहे हैं। घनश्याम गुप्ता की लेखनी को अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महात्मा गांधी उनके लिए लिखते थे कि घनश्याम गुप्ता आपका पत्राचार मिला है और आपकी भाषा और ज्ञान बहुत अच्छी लगती है। यह कितनी बड़ी बात हो सकती है कि महात्मा गांधी जैसे शख्सियत उनके पत्रों की तारीफ करते हैं यह बात अलग है कि घनश्याम गुप्ता को जो सम्मान मिलना था वह उनको नहीं मिल पाया।

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
Last Updated : Jan 25, 2020, 10:51 PM IST
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