रायपुर: राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में कोरोना काल को शुरू हुए डेढ़ साल का वक्त हो गया है. इन डेढ़ सालों में यदि राजधानी रायपुर में बात करें तो लगभग 700 से अधिक छोटे दुकानदारों की रोजी-रोटी छिन गई. दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद करके दूसरा रोजगार खोज लिया. हालात ऐसे बन गए है कि सैकड़ों दुकाने बंद होने के बाद, दुकान और कांप्लेक्स के मालिक ने दुकान किराए पर देने के लिए बोर्ड लगा रखे हैं. कोरोना काल के दौरान दुकानदारों को रोजी रोटी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
700 से ज्यादा दुकानें शटडाउन
कोरोना वायरस को लगभग डेढ़ साल का वक्त होने वाला है. एक अनुमान के मुताबिक 700 से अधिक दुकानदारों ने आर्थिक तंगी और परिवार चलाने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए, व्यापार को बंद कर दिया है. आलम यह है कि खाली दुकानों को किराए पर लेने के लिए दुकानदार नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में दुकानों के मालिकों ने किराए पर दुकान देने के लिए बोर्ड लगाया गया है, जिसमें लिखा गया है यह दुकान किराए पर देना है और इस मोबाइल नंबर पर संपर्क करें.
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कोरोना ने तोड़ी कमर
इन डेढ़ सालों में कई ऐसे दुकानदार हैं. जिनकी रोजी-रोटी और परिवार नहीं चल पा रहा था. ऐसे में उन्होंने अपना व्यापार बंद कर दिया. इन दुकानों में ज्यादातर फैंसी स्टोर, सैलून, जूते- चप्पल की दुकान, पान की दुकान, कपड़े की दुकान, बर्तन की दुकान, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स बेचने वाले दुकानदार हैं जिनका व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है. अब व्यापारी दूसरा रोजगार कर अपना परिवार पाल रहे हैं.
मेडिकल और किराना छोड़कर सभी तरह के व्यवसाय प्रभावित बंद
ऐसे दुकानों के बारे में जब हमने स्थानीय जानकार से बात की तो उन्होंने बताया कि मेडिकल स्टोर और किराना दुकान को छोड़कर सभी व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. इसकी चपेट में केवल छोटे व्यापारी ही आए हैं. उन्होंने बताया कि कई लोग रोज कमाने खाने वाले और कई लोग महीने में कमाकर खाने वाले होते हैं. ऐसे लोगों की ही दुकानें ज्यादातर बंद हुई है. इस तरह की स्थिति केवल राजधानी ही नहीं बल्कि प्रदेश में है.
रायपुर में छोटे व्यापारी करने वाले व्यापारियों ने कोरोना काल मे उत्पन्न हुई संकट के चलते अपना व्यापार बंद कर दिया था. ऐसे समय में चेंबर ऑफ कॉमर्स या फिर शासन प्रशासन की तरफ से कोई मदद व्यापारियों को नहीं मिली है. जिसके कारण इन्होंने अपना व्यापार ही बंद कर दिया और दूसरे रोजगार की तलाश में जुट गए. जिससे वे अपना परिवार पालन पोषण कर सके.