रायपुर: रायपुर के गोल बाजार के व्यापारियों ने आज व्यवसाय बंद कर शांति प्रदर्शन (Trader Golbazar stopped trading and demonstrated in Raipur) किया. व्यापारियों ने सारा का सारा गोल बाजार हमारा नारा देकर विरोध किया. इस नारे से गोल बाजार गुंजायमान हो गया. दरअसल, नगर निगम रायपुर द्वारा गोल बाजार के दुकानदारों को मालिकाना हक देने की कवायद चल रही है. नगर निगम के कुछ मनमाने फैसले को लेकर व्यापारियों में नाराजगी है. इसके कारण आज गोल बाजार व्यापारी महासंघ ने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन शांति पूर्ण ढंग से किया गया.
व्यापारियों का नगर निगम पर मनमना शुल्क वसूलने का आरोप
व्यापारियों ने कहा कि गोल बाजार का विकास कार्य होना चाहिए. इसमें हम सभी व्यापारियों का समर्थन है. जिस तरह रायपुर नगर निगम ने व्यापारियों के साथ मनमाना शुल्क वसूला है, वह जायज नहीं. व्यापारियों ने बताया कि गोल बाजार को लेकर रजिस्ट्री के लिए अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है. नगर निगम ने आसपास की सड़कों से गोल बाजार के जमीन का दर निकाला है, जिसके कारण व्यापारियों को परेशानी हो रही है.
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राजधानी का सबसे पुराना बाजार
व्यापारियों ने बताया कि गोल बाजार राजधानी का सबसे पुराना बाजार है. 100 साल से भी अधिक समय से उनकी पीढ़ी व्यापार करते हुए आ रहे हैं. नगर निगम द्वारा जिस तरह से विकास शुल्क लिया जा रहा है, वह काफी अधिक है. गोल बाजार व्यापारी महासंघ के लोगों ने बताया नगर निगम रायपुर द्वारा गोल बाजार के व्यापारियों को मालिकाना में देने का प्रस्ताव पारित किया गया है. नगर निगम ने 125 साल पहले भूमि का आवंटन किया था. उस पर व्यापारियों ने खुद के खर्च पर निर्माण कराया गया. लेकिन अब नगर निगम कहता है कि उसे उस निर्माण का शुल्क चाहिए. नगर निगम द्वारा हर फ्लोर का अलग-अलग विकास शुल्क विकसित व विकसित क्षेत्र में 23 से 76 रुपए तक है.
गोल बाजार व्यापारी महासंघ के मीडिया प्रभारी आर.के. गुप्ता ने बताया नगर निगम द्वारा विकास शुल्क, जो लेना चाहिए वह जमीन पर लेना चाहिए. लेकिन नगर निगम द्वारा विकासशील हर एक फ्लोर पर लिया जा रहा है. यदि दुकान 200 वर्ग फीट की है तो 8 लाख सिर्फ विकास शुल्क के नगर निगम को देना होगा.
यह है व्यापारियों की मांगे
- विकास शुल्क माफ किए जाएं.
- जमीन की रजिस्ट्री की जाए.
- गोलबाजार का विकास का मॉडल नगर निगम द्वारा प्रस्तुत किया जाए.
- रजिस्ट्री के बाद हाउस टैक्स में 10 सालों की छूट दी जाए.