रायपुर: केंद्र सरकार के खिलाफ ट्रेड यूनियन ने मोर्चा खोल दिया है. आज ट्रेड यूनियन की देशव्यापी हड़ताल है. हड़ताल में 25 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने का दावा किया गया है. छत्तीसगढ़ में भी संगठनों ने देशव्यापी हड़ताल को समर्थन दिया. इससे कई सेक्टरों में कामकाज प्रभावित हो सकता है. श्रम संगठनों ने कोल इंडिया के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का एलान किया है. श्रम संगठनों ने मोदी सरकार पर मजदूर विरोधी होने का आरोप लगाया है. कोरबा जिले की सभी कोयला खदानें इससे प्रभावित होंगी.
हड़ताल में भाग लेने वाले 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) हैं.
28 संगठनों ने दिया समर्थन
छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन के देशव्यापी में हड़ताल के मद्देनजर 28 संगठनों ने समर्थन दिया. इससे कई सेक्टर में कामकाज प्रभावित हो सकता है. कोरबा में 10 श्रमिक संगठन एकजुट होकर हड़ताल करेंगे. कोल इंडिया में कोयले का उत्पादन प्रभावित होगा. बिलासपुर में महंगाई, निजीकरण समेत अन्य मुद्दों पर ट्रेड यूनियन का देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा. बिलासपुर के नेहरू चौक पर प्रदर्शन किया जाएगा. दुर्ग-भिलाई स्टील प्लांट के विभिन्न यूनियन के लोग राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहेंगे. श्रमिकों की विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल में ठेका श्रमिक कर्मचारी रहेंगे. राजधानी रायपुर के अलावा बिलासपुर में भी महंगाई, निजीकरण समेत अन्य मुद्दों पर ट्रेड यूनियन का देशव्यापी आंदोलन होगा. बिलासपुर के नेहरू चौक पर श्रमिक प्रदर्शन करेंगे.
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ट्रेड यूनियन की प्रमुख मांगें:
- सभी गैर आयकर दाता परिवारों के लिए हर महीने 7 हजार 500 रुपये का नकद हस्तांतरण
- सभी जरुरतमंदों को प्रति व्यक्ति हर महीने 10 किलो मुफ्त राशन
- ग्रामीण क्षेत्रों में एक साल में 200 दिनों का काम बढ़ी हुई मजदूरी पर उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा का विस्तार
- शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी का विस्तार
- सभी किसान विरोधी कानूनों और मजदूर विरोधी श्रम संहिता को वापस लेने की मांग
- वित्तीय क्षेत्र सहित सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण को रोकने की मांग
- रेलवे, आयुध कारखानो, बंदरगाह आदि जैसे सरकारी विनिर्माण उपक्रम और सेवा संस्थाओं का निगमीकरण बंद करने की मांग
- सरकार और पीएसयू कर्मचारियों की समय से पहले सेवानिवृत्ति पर ड्रैकियन सर्कुलर को वापस लेना
- एनपीएस को खत्म कर और पहले की पेंशन को बहाल कर ईपीएफ में सुधार