रायपुर: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में किसान बड़ी संख्या में टमाटर की खेती करते हैं. धमधा गांव के किसान महेश वर्मा ने बताया कि " 20 एकड़ में टमाटर लगाए हैं. एक एकड़ में करीब 7 हजार किलोग्राम टमाटर का उत्पादन होता है. इस साल टमाटर की खेती अधिक हुई है. हर साल बाहरी राज्यों में टमाटर जाता था, लेकिन इस साल जाना बंद हो गया है. हम मजबूरन टमाटर को एक या दो रुपये में बेचने को मजबूर हैं. टमाटर खराब न हो जाए इसलिए सड़कों पर फेंक रहे हैं, ताकि जानवर के काम आ जाए."
सस्ता टमाटर बेचने की मजबूरी: धमधा गांव के एक और किसान खूबलाल साहू कहते हैं कि "हमारे यहां का टमाटर महाराष्ट्र जाता था. इस साल टमाटर के लिए कोई ऑर्डर नहीं मिला है. टमाटर की 20 एकड़ में खेती करते हैं. इसके अलावा 15 एकड़ रेघा लेकर खेती कर रहे हैं, लेकिन माल वाजिब दाम में नहीं जा रहा है. खुद लोकल लोगों से संपर्क कर सस्ते में टमाटर खपाने की तैयारी में हैं."
बाहरी राज्यों में भी टमाटर की बंपर पैदावार: रायपुर सब्जी मंडी अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी कहते हैं कि "इस बार टमाटर की छत्तीसगढ़ में बंपर पैदावार हुई है. पहले छत्तीसगढ़ से पूरे हिंदुस्तान में टमाटर जाता था, लेकिन बाकी जगह भी लोकल टमाटर बिकने शुरू हो गए हैं. इसलिए बाहर कहीं भी छत्तीसगढ़ का टमाटर नहीं जा पा रहा है. ओवर प्रोडक्शन की वजह से भी टमाटर के रेट बहुत ज्यादा गिर गए हैं. वर्तमान में 2 से ढाई रुपए, तीन रुपए किलो थोक का रेट चल रहा है. कहीं निकासी का रास्ता ना होने के कारण किसान भाइयों को इसे फेंकना भी पड़ रहा है.''
ओवर प्रोडक्शन की वजह से भी टमाटर के रेट गिरे: छत्तीसगढ़ से आंध्र प्रदेश, बिहार, राजस्थान और यूपी तक टमाटर जाता था. इस बार हो यह रहा है कि लगभग सभी राज्यों में स्थानीय फसल चालू हो गई है. जिसकी वजह से यहां से निकासी बंद है. पिछले वर्ष किसान भाइयों को बहुत अच्छा रेट मिला था. 50 से 60 रुपये किलो तक टमाटर की बिक्री हुई थी. शायद इस बार ज्यादा मात्रा में लगाया गया है. बंपर प्रोडक्शन के कारण ही इस बार रेट बहुत ज्यादा गिरे हुए हैं.
फिलहाल संभावना ऐसी लग रही है कि अगले एक महीने तक और गिरावट बनी रहेगी. उसके बाद ही जब मई का महीना चालू हो जाएगा, तब थोड़ा बहुत रेट मिलने की संभावना है. छत्तीसगढ़ में दुर्ग संभाग में बहुत ज्यादा टमाटर होता है. अंबिकापुर का मैनपाट क्षेत्र टमाटर के लिए ही मशहूर है.