रायपुर: कोरोना और लॉकडाउन में टिफिन सेंटर चलाने वालों का व्यवसाय भी काफी प्रभावित हुआ. मार्च से पहले तक डेढ़ सौ टिफिन देकर अच्छी खासी कमाई करने वाले अब सिर्फ 10 टिफिन पर सिमट गए है. जिससे इनका तो नुकसान हो ही रहा है, इसके साथ ही कई वर्कर्स का भी रोजगार छिन गया है.
कोरोना और लॉकडाउन का प्रभाव
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देश को लॉक डाउन कर दिया गया था. जिसके कारण हर वर्ग और हर क्षेत्र में इस लॉकडाउन का प्रभाव पड़ा. लॉकडाउन की वजह से कई उद्योग धंधे भी बंद हो गए थे. जिससे लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. हालांकि अब धीरे-धीरे व्यवस्थाएं सुधरने लगी है. और बंद पड़ी फैक्ट्रियां, बाजार, दुकानें, ऑफिस सब खुलने लग गए है. लेकिन कई ऐसे भी बिजनेस है जिस पर अब भी इसका असर पड़ा हुआ है.
अनलॉक के बाद भी नहीं चल पा रहे टिफिन सेंटर
राजधानी में टिफिन सेंटर का एक बड़ा व्यवसाय है. कम खर्च और ज्यादा आमदनी के कारण ज्यादातर लोग अब इसे अपनाने लगे है. ना सिर्फ गांव से रोजी-रोटी के चक्कर में शहर आए लोग बल्कि पढ़े-लिखे लोग भी टिफिन सेंटर चला रहे है. घर में रहकर भी उपरी कमाई की इच्छा रखने वाली कई महिलाएं भी टिफिन सेंटर चलाकर अच्छी खासी कमाई कर रही है. या ये कहना सही होगा की अच्छी खासी कमाई हो रही थी, क्योंकि अब पहले जैसे हालात नहीं है. कोरोना और फिर ढाई महीने के लॉकडाउन ने टिफिन सेंटर चलाने वालों को काफी प्रभावित किया है. लॉकडाउन में बंद हुआ इनका बिजनेस अनलॉक होने के बाद भी ठीक से शुरू नहीं हो पाया है. जिससे ना सिर्फ इनकी कमाई प्रभावित हुई है बल्कि इनके पास काम करने वाले वर्कर्स का भी रोजगार छिन गया है.
राजधानी में टिफिन सेंटर का बड़ा व्यवसाय
रायपुर में टिफिन सेंटर्स की बात की जाए तो यहां छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 300 टिफिन सेंटर है. जहां पर कस्टमर की संख्या लगभग 2 लाख के करीब है. इनमें घर से चलने वाले टिफिन सेंटर की संख्या नहीं जुड़ी है. टिफिन सर्विस सेंटर उन्हीं लोगों को टारगेट करती हैं जो शिक्षा, नौकरी या अन्य किसी उद्देश्य से अपने घरों से दूर रहते हैं और अपने घर में खाना नहीं बना पाते या फिर घर का खाना नहीं खा सकते. एक सर्वे के मुताबिक अधिकांश भारतीय अपने रोजाना के खाने में घर का बना खाना पसंद करते हैं. टिफिन सर्विस सेंटर घर से दूर रह रहे लोगों को खाना उपलब्ध करवाते है जिससे घर से दूर रह रहे लोगों को घर का खाना भी मिल जाता है और टिफिन सेंटर की कमाई भी अच्छी हो जाती है.
लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से टिफिन सर्विस सेंटर भी अछूता नहीं है. लॉकडाउन के दौरान टिफिन सर्विस सेंटर बंद हो गए जिससे यहां काम करने वाले वर्कर भी अपने घर चले गए. अब ये सेंटर खुले भी है तो यहां के संचालक मजदूरों की कमी से जूझ रहे है, इसके साथ ही अब उनके पास पहले जितने कस्टमर भी नहीं रह गए है. ETV भारत ने कई टिफिन संचालकों से बात की तो उन्होंने बताया कि पहले उनके करीब 150 से ज्यादा टिफिन हर रोज जाया करते थे. इसके अलावा उनके पास काम करने वाले मजदूरों की संख्या भी 6 से 7 थी, लेकिन लॉकडाउन में बंद के बाद सभी मजदूर वापस अपने घर चले गए. जिससे अब टिफिन सेंटर खुलने के बाद भी काम करने वाले नहीं होने के कारण पूरे परिवार को मिलकर टिफिन सेंटर का काम देखना पड़ रहा है. इसके अलावा टिफिन की डिमांड भी अब पहले जैसे नहीं है. कोरोना का असर इतना ज्यादा पड़ा है कि टिफिन की डिमांड सिर्फ 10 पर आकर रुक गई है.
टिफिन सेंटर, ना सिर्फ लोगों का पेट भरता है बल्कि कई लोगों का पेट भी पालता है. इसके सहारे अपना जीवन चलाने वाले कई परिवारों को अब अपना घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है.