बिलासपुर: बुलंद इरादे और हौसलों के दम पर हर चुनौती को स्वीकार कर इंसान सफलता के शिखर तक पहुंच सकता है. जी हां इसका उदाहरण है बिलासपुर के प्रोफेसर डॉक्टर तरूण धर दीवान और उनके मित्र डॉक्टर अनिल पांडेय ने. जिन्होंने कोरोना काल के दौरान कमाल का काम कर दिखाया है. ऑक्सीजन सिलेंडर फटने की घटना (Oxygen cylinder burst incident) से व्यथित होकर ऐसा डिवाइस बनाया जो सिलेंडर के फटने या लीक होने के पहले ही आप को अलर्ट एलर्ट कर देगा. जिसको भारत सरकार ने पेटेंट भी कर दिया है.
बिलासपुर के ई. राघवेंद्र राव कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर तरुण धर दीवान के नाम के आगे एक ऐसी उपलब्धि जुड़ गई है जो देश में उनको विशिष्ट स्थान दिला रही है. जरा सोचिए कि ऑक्सीजन सिलेंडर वह घरेलू उपयोग में आने वाले रसोई गैस सिलेंडर के लीक होने का पता अगर पहले ही चल जाए, तो कितनी सारी दुर्घटनाएं होने से रोकी जा सकती है और कितनों की जान बचाई जा सकती है.
सिलेंडर में ऑक्सीजन लीक से पहले अलर्ट
जी हां बिलासपुर शहर ई राघवेंद्र राव कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर तरुण धर दीवान और उनके मित्र कलिंगा इंस्टिट्यूट आप इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी भुनेश्वर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉक्टर अनिश पांडेय ने इसे तैयार किया है. यह मशीन सेंसर के जरिए किसी भी प्रकार के सिलेंडर में ऑक्सीजन लीक या ब्लास्ट होने के खतरे को पहले ही पता लगा सकती है. ऐसा होने पर बीप की आवाज के साथ अलर्ट कर देती है.
डॉ. तरुण धर दीवान के मुताबिक यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक मशीन है. सिलेंडर में सबसे अधिक दबाव नोब पर होता है खतरा भी यह यही अधिक यही रहता है. इसीलिए मशीन को नोब पर सेट किया जाता है. दबाव बढ़ने पर सेंसरशिप के जरिए सतर्क कर देती है. इसकी मदद से घर अस्पताल होटल फैक्ट्री आदि में सिलेंडर की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.
वाणिज्य मंत्रालय को सौंपा जाएगा
केंद्र सरकार को सौंपे गए रिसर्च मॉडल भारत सरकार के कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स डिजाइन एंड ट्रेडमार्क डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने इस रिसर्च मॉडल को पेटेंट कर दिया है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे वाणिज्य मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा.
डॉक्टर दीवान ने बताया कि मशीन को तैयार करने में मशीन लर्निंग इमेज प्रोसेसिंग लाइट सोर्स, आरजीबी कैमरा इंफ्रारेड सेंसर माइक्रोकंट्रोलर स्टेपर मोटर मशीन बॉडी पेन, एलपीजी सिलेंडर मशीन बॉडी, सेम स्लाइडर और वेल्डिंग मशीन का उपयोग किया गया है. इस शोध को पूरा करने में लगभग 2 साल का समय लगा शोधार्थियों के रूप में डॉक्टर रूबी मिश्रा, डॉ. अश्वनी कुमार और सुरजीत सिंह का भी इसमें अहम योगदान रहा है.