रायपुर : छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है तीन दिनों तक चलने वाले इस पर्व में महिलाएं सूर्यदेव की उपासना करती हैं. छठ के व्रत को सबसे कठिन व्रत भी कहा जाता है इसमें महिलाएं 36 घंटो तक निर्जला व्रत रखती है. छठ पर्व का पहला दिन नहाए- खाए कहलाता है, इसके बाद दूसरा दिन खरना का होता है इस दिन महिलाएं शाम के समय खीर खाती है. जिसके बाद से व्रत की शुरूआत होती है. व्रत के तीसरे दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है.
इस पर्व की तैयारी महीनों पहले से ही शुरू हो जाती है. लोग छठी मैय्या को खुश करने के लिए पूजापाठ की सामाग्री इकट्ठा करने में जुट जाते हैं. नदियों तालाबों के घाट सजने लगते हैं. छठ पूजा के आते ही बाजारों में रौनक लग जाती है. छठ पूजा में 6 सामाग्रियों का विशेष महत्व होता है. क्या है सामाग्री जिससे छठी मैय्या प्रसन्न होती है और क्या है इन सामाग्रियों की विशेषता चलिए जानते है.
- नारियल- छठ पूजा में नारियल का बड़ा महत्व है. श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति के लिए नारियल चढ़ाने की मन्नत मांगते है, इसलिए कुछ लोगों के डाले में कई-कई नारियल होते हैं.
- केला- केला भगवान विष्णु का प्रिय फल है. इसलिए मनोकामना पूर्ति के लिए केला चढ़ाया जाता है.
- गन्ना- छठ पूजा के दिन शाम के समय आंगन में गन्ने का मंडप बनाकर उसके नीचे हाथी रखकर छठ मैय्या की पूजा की जाती है. कहते हैं इससे आनंद और समृद्धि मिलती है.
- डाभ नींबू- डाभ नींबू सामान्य नींबू से बड़े आकार का एक नींबू होता है. खाने में खट्टा-मीठा लगता है. इसका आवरण मोटा होता है, यही वजह है कि डाभ नींबू भी छठ मैय्या को बहुत प्रिय है.
- सुपारी- किसी भी शुभ काम में सुपारी का प्रयोग अच्छा माना गया है. पान सुपारी लेकर ही पूजा का संकल्प तक किया जाता है. इसे देवी लक्ष्मी के प्रभाव में माना जाता है.
- जल सिंघारा- जल सिंघारा यह माता लक्ष्मी को प्रिय है. इसे रोगनाशक और शक्तिवर्धक माना जाता है.