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आदिवासियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर की धर्म कोड की मांग - raipur news update

आदिवासियों ने धर्म कोड की मांग को लेकर शहर के बूढ़ातालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन किया. आदिवासियों ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है और मांग की है कि साल 2021 की जनगणना में आदिवासियों को भी जगह मिले.

tribals demand for a religion code
आदिवासियों की धर्म कोड की मांग
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Published : Feb 18, 2020, 8:48 PM IST

रायपुर: बूढ़ातालाब धरना स्थल पर छत्तीसगढ़ के कई जिलों से आए आदिवासियों ने धर्म कोड की मांग को लेकर धरना दिया. जनगणना नहीं होने के कारण आदिवासियों की पहचान खत्म होते जा रही है. इसे लेकर जिला और प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन करने के साथ ही दिल्ली के जंतर मंतर में कई राज्यों से आए आदिवासियों ने भी धर्मकोड़ की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया.

आदिवासियों की धर्म कोड की मांग

आदिवासी धर्म समन्वय समिति छत्तीसगढ़ के प्रांतीय संयोजक संतोष नेताम का कहना है कि अंग्रेजों के शासन काल में आदिवासियों को धर्म कोड मिला हुआ था. जिसके कारण जनगणना में आदिवासियों की भी गणना होती थी. लेकिन साल 1951 के बाद से आदिवासियों की जनगणना बंद हो गई है. इसे लेकर आदिवासियों ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है. उनका कहना है कि किसी साजिश के तहत आदिवासियों को धर्म कोड नहीं दिया गया. आदिवासियों की जनगणना नहीं होने से आदिवासी समुदाय आक्रोशित हैं.

पढ़े:धान खरीदी का टोकन जारी करने की मांग को लेकर किसानों ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव

धीरे-धीरे आदिवासी समाज अपनी पहचान खोते जा रहा है. आदिवासियों की मांग है कि साल 2021 की जनगणना में आदिवासियों की पृथक से जनगणना कर जनगणना प्रपत्र के धर्म कॉलम में भारत के समस्त आदिवासियों के लिए ट्राइबल/आदिवासी शब्द अंकित कर पूर्व में किए गए जनगणना अनुसार फिर से बहाल किया जाए.

रायपुर: बूढ़ातालाब धरना स्थल पर छत्तीसगढ़ के कई जिलों से आए आदिवासियों ने धर्म कोड की मांग को लेकर धरना दिया. जनगणना नहीं होने के कारण आदिवासियों की पहचान खत्म होते जा रही है. इसे लेकर जिला और प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन करने के साथ ही दिल्ली के जंतर मंतर में कई राज्यों से आए आदिवासियों ने भी धर्मकोड़ की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया.

आदिवासियों की धर्म कोड की मांग

आदिवासी धर्म समन्वय समिति छत्तीसगढ़ के प्रांतीय संयोजक संतोष नेताम का कहना है कि अंग्रेजों के शासन काल में आदिवासियों को धर्म कोड मिला हुआ था. जिसके कारण जनगणना में आदिवासियों की भी गणना होती थी. लेकिन साल 1951 के बाद से आदिवासियों की जनगणना बंद हो गई है. इसे लेकर आदिवासियों ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है. उनका कहना है कि किसी साजिश के तहत आदिवासियों को धर्म कोड नहीं दिया गया. आदिवासियों की जनगणना नहीं होने से आदिवासी समुदाय आक्रोशित हैं.

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धीरे-धीरे आदिवासी समाज अपनी पहचान खोते जा रहा है. आदिवासियों की मांग है कि साल 2021 की जनगणना में आदिवासियों की पृथक से जनगणना कर जनगणना प्रपत्र के धर्म कॉलम में भारत के समस्त आदिवासियों के लिए ट्राइबल/आदिवासी शब्द अंकित कर पूर्व में किए गए जनगणना अनुसार फिर से बहाल किया जाए.

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