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'हरा सोना' पर बारिश की मार, कहीं लक्ष्य न पूरा होने का डर तो कहीं बर्बादी का

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Published : May 15, 2021, 10:07 PM IST

छत्तीसगढ़ में बेमौसम बारिश की वजह से तेंदूपत्ता संग्राहक परेशान हैं. उन्हें तेंदूपत्ता खराब होने का डर सता रहा है. जिससे उनकी आय प्रभावित हो सकती है.

unseasonal rains in Chhattisgarh
कहीं लक्ष्य न पूरा होने का डर तो कहीं बर्बादी का

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बेमौसम बारिश ने किसानों और तेंदूपत्ता संग्राहकों के माथे पर बल डाल दिए हैं. कोरोना महामारी के दौर में पहले ही मुश्किल थी. अब मौसम की मार ने इस बार तेंदूपत्ते के संग्रहण में लगे ग्रामीणों के सामने आजीविका का संकट खड़ा कर दिया है. स्थिति ऐसी है कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष लक्ष्य से कम तेंदूपत्ता का संग्रहण हो सका है. प्रदेश के कई जिलों के तेंदूपत्ता संग्राहक परेशान हैं.

unseasonal rains in Chhattisgarh
तेंदूपत्ता संग्रहण पर बारिश की मार

बारिश और लॉकडाउन से पड़ने वाले प्रभाव पर एक नजर-

कोरबा में तेंदूपत्ता संग्राहकों पर तिहरी मार

कोरबा वन मंडल के वनांचल क्षेत्र लेमरू और उसके आस-पास जंगलों में देश के सर्वोत्तम क्वालिटी का तेंदूपत्ता पाया जाता है. पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के ठेकेदार 4 महीने पहले ही लेमरू के तेंदूपत्ता की ऊंची बोली लगाकर इसे खरीदते हैं. संग्रहण के बाद जब तेंदूपत्ता को ठेकेदार खरीदकर भुगतान करते हैं, तब वनांचल क्षेत्र में बसने वाले ग्रामीणों को अतिरिक्त बोनस भी मिलता है. लेकिन इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्राहकों पर तिहरी मार पड़ी है. जंगल में हाथियों की मौजूदगी के अलावा लॉकडाउन की दुश्वारियों और मौसम की मार ने इस बार तेंदूपत्ते के संग्रहण में लगे ग्रामीणों के समक्ष मुश्किल खड़ी कर दी है. हालात ऐसे हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लक्ष्य से आधे तेंदूपत्तों का ही संग्रहण हो सका है. लक्ष्य प्राप्त करना भी अब बेहद कठिन है.

unseasonal rains in Chhattisgarh
बारिश की वजह से तेंदूपत्ता संग्राहक परेशान

कोंडागांव में बेमौसम बारिश ने बढ़ाई तेंदूपत्ता संग्राहकों की मुसीबतें

कोंडागांव में कहीं बंद न करनी पड़ जाए खरीदी

जिले के बड़ेराजपुर ब्लॉक के लघु वनोपज समिति बांसकोट के तहत आने वाले 18 गांवाों के तेंदूपत्ता संग्राहकों को बेमौसम बारिश से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. लगातार कई दिनों से अचानक मौसम परिवर्तन के बाद भारी बारिश की वजह से ग्रामीणों के साथ-साथ फड़ मुंशियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. फड़ मुंशियों ने गांववालों से घर में ही पत्ते सुखाने को कहा है क्योंकि फड़ में जगह-जगह पानी जमा हुआ है. कई गांवों के फड़ में संग्रह किए गए हजारों बंडल को बारिश का पानी बहा कर ले गया. हालात ऐसे ही रहे तो तेंदूपत्ता खरीदी बंद करनी पड़ सकती है.

unseasonal rains in Chhattisgarh
तेंदूपत्ता संग्राहक

कोरिया में बारिश ने बढ़ाई तेंदूपत्ता संग्राहकों की चिंता, हरे सोने पर खतरा बढ़ा

कोरिया में पत्तों पर गांठ पड़ने का डर

कोरिया विकासखंड भरतपुर में बारिश होने से तेंदूपत्ता संग्रहण पर प्रभाव पड़ा है. तेंदूपत्ते धूल से सन गए हैं. जिससे बड़े नुकसान की आशंका है. जिले में शासन की ओर से तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए प्रति सैकड़ा 400 रुपए और 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा दर निर्धारित किया गया है. संग्रहण से ग्रामीण खुश हुए ही थे कि बारिश का ग्रहण लग गया. गांववालों को डर है कि कहीं पत्ते खराब न हो जाएं. सामान्य तौर पर जब पत्ता कोमल होता है तो उस पर पानी गिरने के बाद दाने के रूप में गांठ बनने की आशंका बढ़ जाती है. इससे पत्तों में छेद होने का खतरा बना रहता है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बेमौसम बारिश ने किसानों और तेंदूपत्ता संग्राहकों के माथे पर बल डाल दिए हैं. कोरोना महामारी के दौर में पहले ही मुश्किल थी. अब मौसम की मार ने इस बार तेंदूपत्ते के संग्रहण में लगे ग्रामीणों के सामने आजीविका का संकट खड़ा कर दिया है. स्थिति ऐसी है कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष लक्ष्य से कम तेंदूपत्ता का संग्रहण हो सका है. प्रदेश के कई जिलों के तेंदूपत्ता संग्राहक परेशान हैं.

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तेंदूपत्ता संग्रहण पर बारिश की मार

बारिश और लॉकडाउन से पड़ने वाले प्रभाव पर एक नजर-

कोरबा में तेंदूपत्ता संग्राहकों पर तिहरी मार

कोरबा वन मंडल के वनांचल क्षेत्र लेमरू और उसके आस-पास जंगलों में देश के सर्वोत्तम क्वालिटी का तेंदूपत्ता पाया जाता है. पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के ठेकेदार 4 महीने पहले ही लेमरू के तेंदूपत्ता की ऊंची बोली लगाकर इसे खरीदते हैं. संग्रहण के बाद जब तेंदूपत्ता को ठेकेदार खरीदकर भुगतान करते हैं, तब वनांचल क्षेत्र में बसने वाले ग्रामीणों को अतिरिक्त बोनस भी मिलता है. लेकिन इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्राहकों पर तिहरी मार पड़ी है. जंगल में हाथियों की मौजूदगी के अलावा लॉकडाउन की दुश्वारियों और मौसम की मार ने इस बार तेंदूपत्ते के संग्रहण में लगे ग्रामीणों के समक्ष मुश्किल खड़ी कर दी है. हालात ऐसे हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लक्ष्य से आधे तेंदूपत्तों का ही संग्रहण हो सका है. लक्ष्य प्राप्त करना भी अब बेहद कठिन है.

unseasonal rains in Chhattisgarh
बारिश की वजह से तेंदूपत्ता संग्राहक परेशान

कोंडागांव में बेमौसम बारिश ने बढ़ाई तेंदूपत्ता संग्राहकों की मुसीबतें

कोंडागांव में कहीं बंद न करनी पड़ जाए खरीदी

जिले के बड़ेराजपुर ब्लॉक के लघु वनोपज समिति बांसकोट के तहत आने वाले 18 गांवाों के तेंदूपत्ता संग्राहकों को बेमौसम बारिश से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. लगातार कई दिनों से अचानक मौसम परिवर्तन के बाद भारी बारिश की वजह से ग्रामीणों के साथ-साथ फड़ मुंशियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. फड़ मुंशियों ने गांववालों से घर में ही पत्ते सुखाने को कहा है क्योंकि फड़ में जगह-जगह पानी जमा हुआ है. कई गांवों के फड़ में संग्रह किए गए हजारों बंडल को बारिश का पानी बहा कर ले गया. हालात ऐसे ही रहे तो तेंदूपत्ता खरीदी बंद करनी पड़ सकती है.

unseasonal rains in Chhattisgarh
तेंदूपत्ता संग्राहक

कोरिया में बारिश ने बढ़ाई तेंदूपत्ता संग्राहकों की चिंता, हरे सोने पर खतरा बढ़ा

कोरिया में पत्तों पर गांठ पड़ने का डर

कोरिया विकासखंड भरतपुर में बारिश होने से तेंदूपत्ता संग्रहण पर प्रभाव पड़ा है. तेंदूपत्ते धूल से सन गए हैं. जिससे बड़े नुकसान की आशंका है. जिले में शासन की ओर से तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए प्रति सैकड़ा 400 रुपए और 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा दर निर्धारित किया गया है. संग्रहण से ग्रामीण खुश हुए ही थे कि बारिश का ग्रहण लग गया. गांववालों को डर है कि कहीं पत्ते खराब न हो जाएं. सामान्य तौर पर जब पत्ता कोमल होता है तो उस पर पानी गिरने के बाद दाने के रूप में गांठ बनने की आशंका बढ़ जाती है. इससे पत्तों में छेद होने का खतरा बना रहता है.

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