रायपुर: 21 सितंबर गुरुवार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा. इसे बलराम जयंती के रूप में भी मनाई जाएगी. इस शुभ दिन पर अनुराधा नक्षत्र प्रीति और आनंद योग वव और विश्व कुंभकरण तैतिल और गरकरण के शुभ प्रभाव में सूर्य षष्ठी मनाई जाएगी.
सूर्य षष्ठी का महत्व: सूर्य समस्त ग्रहों के अधिपति देवता माने जाते हैं. सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं. इस दिन सूर्य की कृपा पाने के लिए सुबह उठकर सूर्य नमस्कार करते हुए विभिन्न मंत्रों का पाठ कर आसान करना चाहिए. इसके साथ ही पूर्व दिशा की ओर मुंह कर ध्यान करना चाहिए. भगवान सूर्य को अर्ध्य देने का विधान है. भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही रोली और लाल फूल भी अर्पित करें.
सूर्य षष्ठी पर ऐसे करें पूजा: पंडित विनीत शर्मा बताते हैं कि इस दिन पवित्र गायत्री मंत्र, आदित्य हृदय स्त्रोत, सूर्य सहस्त्रनाम, सूर्य चालीसा का पाठ किया जाता है. इस दिन कोई भी महत्वपूर्ण कार्य पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना शुभ होता है. लाल वस्त्र, हल्के गुलाबी रंग के कपड़े पहनना चाहिए. पिता, दादा और पूर्वजों की सेवा करने का विधान है. इससे पिता तुल्य सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है.
चंपा षष्ठी: इस दिन चंपा षष्ठी का पर्व भी मनाया जाता है. छठ माता की पूजा से संतीनहीन लोगों को संतान की प्राप्ति होती है. सुहागिन महिलाएं इस व्रत को रखती हैं. चंपा देवी की पूजा करती है. आज के शुभ दिन पूरे आस्थापूर्वक गायत्री मंत्र का लेखन, जाप, अनुष्ठान और यज्ञ करने पर अनुकूल परिणाम मिलते हैं. पूर्वजों की याद में आज के दान पुण्य करें. सूर्य षष्ठी के दिन व्रत, उपवास, साधना, योग ध्यान करने पर कई चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं. सूर्य षष्टी के शुभ दिन निर्जला, निराहार और एकासना उपवास करने का भी विधान है.
सूर्य षष्ठी पर क्या ना करें: सूर्य षष्ठी के शुभ दिन सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए. सूर्य की उपस्थिति में ही खाना खाएं यानी सूर्यास्त के बाद अन्न ग्रहण ना करें. सूर्य की उपस्थिति में भोजन करने पर पुण्य मिलता है. सूर्यास्त के बाद भोजन करने पर बहुत सारे दोष लगते हैं. पूर्व जन्मों के अनेक कर्म फल के दोष को दूर करने के लिए सूर्य षष्टी का व्रत पूरी आस्था और श्रद्धा से करना चाहिए.