सरगुजा : युवाओं के कंधे पर हमारे देश का भविष्य टिका है. आज हर क्षेत्र में युवाओं की मेहनत दिखती है. फिर चाहे औद्योगिक विकास हो या फिर खेती किसानी का मैदान आज हर क्षेत्र में युवा अपनी सोच से भारत को ताकतवर बना रहे हैं. वहीं बात राजनीति की हो तो इसमें भी युवा चेहरों को तवज्जों मिलनी शुरू हो गई है. आज देश के बड़े चुनाव में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है. छत्तीसगढ़ में भी आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों से युवा नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में युवाओं की कितनी भागीदारी है.
विश्व युवा दिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं प्रदेश की राजनीति में युवा नेतृत्व कितना है. किस राजनीतिक दल ने युवाओं को अधिक अवसर और किसने नहीं.देश और प्रदेश की आबादी का बड़ा हिस्सा युवाओं का है. ऐसे में इस वर्ग का प्रतिनिधित्व भी अनुपात के आधार पर अधिक होना चाहिए.
2018 में चुने गए थे 16 युवा विधायक: 2018 में विधानसभा के लिए चुने गए 90 सदस्यों में से युवा नेताओं की संख्या में 15 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2013 विधानसभा में 25-40 वर्ष उम्र के 6 विधायक ही थे. जबकि वर्तमान विधानसभा में इस आयु वर्ग के 16 से अधिक विधायक हैं. कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में युवाओं पर भरोसा दिखाया और वो सफल भी हुए. इसके ठीक उलट बीजेपी में उम्रदराज प्रत्याशियों की होड़ लगी रही. सिर्फ 2 युवा चेहरों को मौका मिला वो भी इसलिए क्योंकि एक सीटिंग विधायक थे और दूसरे कलेक्टर की नौकरी छोड़ बीजेपी में गये थे.
विधानसभा में पहुंची युवा महिला विधायक : छत्तीसगढ़ में पामगढ़ की सीट से बहुजन समाज पार्टी की इंदु बंजारे ने जीत दर्ज की. चुनाव आयोग में दर्ज जानकारी के अनुसार इंदु बंजारे मात्र 27 साल की हैं. छ्त्तीसगढ़ के कसडोल सीट से कांग्रेस की शकुंतला साहू ने जीत दर्ज की, जो 31 साल की हैं. खुज्जी विधानसभा सीट से छन्नी साहू भी युवा विधायक हैं. इनकी उम्र भी करीब 35 वर्ष है.
कांग्रेस की युवा ब्रिगेड : भिलाई से देवेन्द्र यादव, रायपुर पश्चिम से विकास उपाध्याय, सारंगढ़ से उत्तरी जांगड़े, खरसिया से उमेश पटेल, बेमेतरा से आशीष छाबड़ा, पंडरिया से ममता चंद्राकर को टिकट मिला. ये सभी आज विधानसभा में हैं. वहीं कांग्रेस ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए प्रदेशाध्यक्ष का जिम्मा दीपक बैज के कंधों पर डाला है. आपको बता दें कि दीपक बैज महज 39 साल के हैं.
बीजेपी को युवाओं को दरकिनार करना पड़ा महंगा : साल 2018 के विधानसभा चुनाव के लिये कांग्रेस ने कई युवाओं को मौका दिया. लेकिन बीजेपी ने ऐसा नहीं किया. बीजेपी ने अपने पुराने वीरों पर ही भरोसा जताया. लेकिन जब चुनावी रण में दोनों ही पार्टियों का सामना हुआ. बीजेपी के रणबांकुरे धाराशाई हो गए. बीजेपी ने आरंग से नवीन मारकण्डेय और खरसिया से ओपी चौधरी को युवा के तौर पर पेश किया था. लेकिन दुर्भाग्य से ये दोनों ही सीट पर बीजेपी हार गई. ओपी चौधरी ने कलेक्टर का पद त्यागकर बीजेपी की सिंबल पर चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें पहली बार में सफलता नहीं मिली.
कैसी है छत्तीसगढ़ में पंचम विधानसभा की तस्वीर : छत्तीसगढ़ की पांचवीं विधानसभा में मौजूदा समय में एक तिहाई विधायकों की उम्र 45 साल से कम है. पांच विधायकों की उम्र 35 वर्ष से कम है. वहीं 26 विधायक 36 से 45 साल के बीच है. यानी यदि 45 साल की उम्र तक के विधायकों को युवा माना जाए तो विधानसभा में युवाओं की संख्या ज्यादा है. भले ही देश में युवाओं का रुझान राजनीतिक पार्टियों की प्रति बढ़ा है. लेकिन संख्या के हिसाब से युवाओं को मौका नहीं मिलता. कुछ ही राजनीतिक दल हैं, जिनमें युवाओं के लिए दरवाजे खुले हैं. राजनीतिक जानकारों का भी यही मानना है कि राजनीति में युवाओं के पास अवसर की कमी है.
पिछले चुनाव में राजनीतिक दलों में युवाओं पर भरोसा जताया है.लेकिन अन्य वर्ग की तुलना में युवा आयु वर्ग को और प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये, क्योंकि इनकी संख्या अधिक है इसलिए ये ज्यादा सफल भी होते हैं. युवाओं का मानना है कि उनके बीच का युवा राजनीति में आयेगा तो ज्यादा बदलाव करेगा. उसकी जरूरत भी है. -अजय नारायण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक
आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने युवाओं पर दाव नहीं खेला,जबकि कांग्रेस ने बीजेपी की सेना को हराने के लिए यूथ ब्रिगेड की फौज खड़ी की. आज नतीजा सभी के सामने हैं. कांग्रेस की सरकार में युवाओं की भागीदारी भी किसी से कम नहीं. उमेश पटेल मंत्री हैं तो विकास उपाध्याय संसदीय सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वहीं देवेंद्र यादव को ओलंपिक संघ में बड़ा पद दिया गया है.
कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो युवाओ को मौका देती है. दीपक बैज 39 साल की उम्र में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. आम तौर पर इस उम्र में लोग युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बन पाते हैं. विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने दर्जनों युवाओँ को मौका दिया. देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी बने. भूपेश बघेल और विद्याचरण शुक्ल भी छात्र राजनीति में थे. कांग्रेस में हमेशा युवाओं को संवैधानिक रूप से अवसर दिया और आगे बढ़ाया है. -शैलेंद्र प्रताप सिंह, सचिव, पीसीसी
वहीं बीजेपी का मानना है कि आगामी चुनाव में युवाओं के बारे में पार्टी जरूर सोचेगी.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में युवाओं को उतना प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका था. क्योंकि विधानसभा टिकट पर अंतिम फैसला राष्ट्रीय कार्यालय से होता है. लेकिन इस बार उम्मीद है कि पार्टी 50 फीसदी युवा उम्मीदवारों को मौका देगा.क्योंकि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र के अनुरुप युवाओं की मांग पूरी नहीं की है. -रोचक गुप्ता, उपाध्यक्ष, भाजयुमो
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही एक बार फिर आमने सामने होंगे. इस बार आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान में आने से मुकाबला और भी रोचक हो गया है. तीनों ही दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.लेकिन इस बार के चुनाव में पहली बार वोट डालने वालों की संख्या ज्यादा होगी. एक बड़ा युवा वर्ग चुनाव में वोट करेगा. ऐसे में हर दल अपने खेमे में युवाओं की फौज तैयार कर रहा है. ताकि चुनाव से पहले युवाओं पर दाव खेलकर फायदा उठाया जा सके.