रायपुर: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को काफी खास माना गया है. कहते हैं कि अगर इस व्रत को सच्चे मन से रखा जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है. इस बार आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा. ये व्रत गुरुवार के दिन पड़ रहा है. इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी करनी चाहिए क्योंकि गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का होता है. इसलिए इस दिन शिव के साथ विष्णु को पूजना शुभ माना गया है. इस दिन सुकर्मा योग भी बन रहा है, जो कि काफी शुभ होता है.
गुरु प्रदोष व्रत तिथि: हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जून गुरुवार को पड़ रहा है. इस दिन सुबह 8 बजकर 31 मिनट से प्रदोष शुरू हो रहा है. 16 जून शुक्रवार को सुबह 8 बजकर 38 मिनट में प्रदोष खत्म होगा. इस दिन शाम को खास विधि से भगवान शिव की पूजा की जाती है.
गुरु प्रदोष व्रत में पूजा का मुहूर्त: प्रदोष व्रत के दिन शाम को 7 बजकर 21 मिनट से रात 9 बजकर 20 मिनट के बीच पूजा का मुहूर्त है.अगर कुछ लोग सुबह के वक्त पूजा करना चाहते हैं तो भक्त सुबह 5 बजकर 22 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 37 मिनट के बीच पूजा कर सकते हैं.
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व: कहते हैं कि गुरु प्रदोष व्रत रखने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से दुश्मन पर जीत हासिल करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. जिन लोगों की कुंडली में गुरु दोष हो उसे ये व्रत रखना चाहिए. इसी के साथ महिलाएं यह व्रत अखंड सौभाग्य की कामना, परिवार की खुशहाली, सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए रख सकती है.
बन रहा सुकर्मा योग: आषाढ़ के पहले प्रदोष व्रत के दिन सुकर्मा योग बन रहा है. ये योग 15 जून सुबह से लेकर देर रात 2 बजकर 2 मिनट तक रहेगा. यह योग घर में पूजा-पाठ और कोई भी मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है. इसी के साथ इस योग में पूरे सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से दोगुना फल प्राप्त होता है.