रायपुर : छत्तीसगढ़ में लगातार धान की बर्बादी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. इस समस्या से न केवल शासन-प्रशासन परेशान थे, बल्कि कृषि वैज्ञानिक भी परेशान थे. वे लगातार इस समस्या के निराकरण के लिए शोध कर रहे थे. आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने चावल की अधिकता से बचने के लिए उसमें पाए जाने वाले प्रमुख पोषक तत्वों को अलग किया है. उदाहरण के तौर पर सामान्य भाषा में समझा जाए तो चावल में सर्वाधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट (Sugar syrup separation technology in Chhattisgarh) और प्रोटीन पाए जाते हैं. वैज्ञानिकों ने इन दोनों चीजों को चावल से निकाल दिया है. इन्हें विटामिन सप्लीमेंट के तौर पर उपयोग किया जा सकता है और कार्बोहाइड्रेड से शुगर सिरप बनाया गया है. जिसे बिस्किट या अन्य चीजों के लिए उपयोग किया जा सकता है.
चावल से प्रोटीन निकालने की सोच कैसे आई?
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान की बर्बादी को रोकने के लिए देश में पहली बार एक नई तकनीक ईजाद (New technology invented to stop wastage of paddy in Chhattisgarh) की है. कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ गिरीश चंदेल और डॉ सतीश बी वेरुलकर की टीम ने मिलकर चावल से प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को अलग कर सप्लीमेंट्री और शुगर सिरप विकसित की है. वैज्ञानिक डॉ गिरीश चंदेल बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में चावल का उत्पादन अत्यधिक होता है. पिछले दो-तीन सालों में वृहत मात्रा में छत्तीसगढ़ सरकार ने हाई एमएसपी पर धान की खरीदी की है. इसमें एक समस्या आ रही थी कि सेंट्रल पूल और खाद्य आपूर्ति निगम खाद्य आपूर्ति निगम में देने के बावजूद काफी मात्रा में धान केंद्रों में ही पड़ा रहता था. वहीं मौसम की मार की वजह से बड़ी मात्रा में धान बर्बाद हो जा रहे थे. धान की इसी बर्बादी को रोकने के लिए विश्वविद्यालय के न्यूट्रिशन लैब में वैज्ञानिकों की टीम ने मिलकर सोचा कि अतिरिक्त चावल या धान के उत्पादन की मिलिंग के बाद उसका पूरा उपयोग कैसे किया जाए.
इस दिशा में तीन साल पहले हम लोगों ने चर्चा की. इस चर्चा पर ध्यान आया कि प्रोटीन से भी हम कुछ उपयोगी खाद्य पदार्थ या प्रोटीन या शुगर सिरप क्यों नहीं बना सकते. क्योंकि बहुत से लोग बायोजिकल मटेरियल से बायोएथेनॉल का भी प्रोडक्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही साथ प्रोटीन की डेफिशिएंसी बहुत ज्यादा होने और प्रोटीन का मार्केट अधिक होने की वजह से हम लोगों ने राइस से प्रोटीन निकालने का सोचा और तीन साल बाद चावल से प्रोटीन का सप्रेशन किया गया.
नई तकनीक विकसित करने पर हुई गुणवत्ता की भी जांच
वैज्ञानिक बताते हैं कि जब इस नई तकनीक को विकसित (छत्तीसगढ़ में शुगर सिरप पृथक्करण तकनीक) किया गया तो उसकी गुणवत्ता की भी जांच की गई. हमने इसकी पूरी तकनीक का विकास कर लिया है, जिसमें बहुत ज्यादा उच्च क्वालिटी का प्रोटीन बनाने में हम सफल हुए हैं. साथ ही साथ लेबोरेटरी लेवल पर हमने यह भी प्रूफ किया है कि इस प्रोटीन को खाने से पाचन शक्ति अच्छी और शरीर में उच्च मात्रा में बायो कंवर्जन होता है. इस प्रोटीन क्वालिटी में सल्फर कांटैनिंग एमिनो एसिड्स की मात्रा थोड़ी ज्यादा पाई गई है. अब जब प्रोटीन निकल जाता है तो उसका एक बायोप्रोडक्ट भी होता है, जो शुगर सिरप होगा. इससे हम और भी बहुत से पदार्थ बना सकते हैं. जैसे जागरी बना सकते हैं, शुगर सिरप को लेकर हम एथेनाल प्रोडक्शन भी कर सकते हैं तो शुगर सिरप से हम और भी दूसरी चीजें तैयार कर सकते हैं.
चावल की प्रोसेसिंग से बनने वाला प्रोटीन गुड क्वालिटी का
वैज्ञानिक बताते हैं कि किसान धान को किसान धान बेचकर 2500 की आमदनी होती है. किसानों का एक समूह ऐसा हो, जो उस धन को खरीदे और उसकी प्रोसेसिंग करे. जब वे प्रोसेसिंग करते हैं तो उसमें जो प्रोटीन बनता है यह गुड क्वालिटी का प्रोटीन बनेगा, वह लाभकारी साबित होगा. क्योंकि प्रोटीन का टोटल मार्केट 8 से 10 हजार करोड़ का है. यदि हमारे चावल के प्रोटीन को मार्केट में लांच किया जाए तो यह काफी फायदेमंद होगा. कोई स्टार्टअप यदि इस क्षेत्र में भी शुरू करना चाहे तो किसानों के साथ उन्हें भी काफी ज्यादा प्रॉफिट होगा.
वैज्ञानिकों ने विकसित की चावल से प्रोटीन और शुगर सिरप पृथक्करण विधि
कृषि विश्वविद्यालय के सह संचालक अनुसंधान डॉक्टर विवेक त्रिपाठी बताते हैं कि चावल की इस अतिशेष मात्रा का आर्थिक रूप से कैसे उपयोग किया जा सकता है, इसके लिए हमने चावल से प्रोटीन और शुगर सिरप बनाने की एक नई (Sugar syrup separation technology in Chhattisgarh) सस्ती और सुगम विधि विकसित की है. उन्होंने बताया कि एक किलो चावल में करीब 70 ग्राम तक प्रोटीन होता है. एक किलो चावल से करीब 450 मिलीलीटर तक हम शुगर सिरप तैयार कर सकते हैं. हमारे वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक चावल से प्रोटीन और शुगर सिरप पृथक्करण विधि विकसित की है. अब हम इसे व्यवसाय के स्तर पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं. उसके लिए प्लांट भी लगाया जा रहा है.
...तो किसानों को होगा तीन गुणा फायदा
इस विधि से शुगर सिरप और प्रोटीन पृथक करने से जिस चावल को हम 30 से 35 रुपये किलो तक बेचते थे, उसका मूल्य (Paddy farmers will get three times benefit in Chhattisgarh) अब 100 रुपये प्रति किलो तक हो जाएगा. इससे अतिशेष बचे चावल का सदुपयोग किया जा सकेगा. इससे किसानों को भी फायदा होगा. उन्होंने बताया कि जो चावल वेस्ट हो जाता है या पूरी तरह से जिसका उपयोग नहीं हो पाता, उसको हम व्यावसायिक तरीके से उपयोग कर पाएंगे. इससे किसानों को भी फायदा होगा और चावल के क्षेत्र में जो लोग काम कर रहे हैं, उन्हें भी लाभ मिलेगा।