रायपुर: प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ते नजर आ रहे हैं. इस वक्त प्रदेश में 259 केस सामने आए हैं, जिनमें से 13 मरीज डिस्चार्ज होकर घर जा चुके हैं, हालांकि 16 ने अपनी जान गंवाई है. रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Raipur AIIMS) की बात की जाए, तो रायपुर एम्स में अब तक डॉक्टर्स ने 79 मरीजों के ऑपरेशन कर म्यूकोर माइकोसिस का इलाज किया है. एम्स के डॉक्टर्स बताते हैं कि अब तक (Black Fungus) ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) के 4 जटिल ऑपरेशन पिछले एक सप्ताह में किए गए हैं. इन ऑपरेशन में 8 से 12 घंटे तक का समय लगा है, जबकि अन्य रोगियों के ऑपरेशन की तैयारियां की जा रही हैं. एम्स दिल्ली के बाद रायपुर में यह किसी केंद्रीय संस्थान द्वारा किए जा रहे ऑपरेशन की सर्वाधिक संख्या है.
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रायपुर एम्स में रोजाना ब्लैक फंगस के 6 से 7 ऑपरेशन
एम्स के सात विभागों के 100 से अधिक चिकित्सकों की टीम प्रतिदिन औसतन 6 से 7 ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) के जटिल ऑपरेशन कर रही है. इसके लिए 5 ऑपरेशन थियेटर चिन्हित कर इन रोगियों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं. प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों से बढ़ते रोगियों की संख्या को देखते हुए ब्लैक फंगस के रोगियों के लिए 8 वार्ड बनाए गए हैं. इसके अतिरिक्त आईसीयू और कोविड वार्ड में भी ब्लैक फंगस के रोगियों को रखा जा रहा है. चिकित्सकों की टीम का नेतृत्व निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम नागरकर कर रहे हैं. प्रोफेसर नागरकर ने बताया कि प्रदेश में पहले भी एम्स द्वारा ब्लैक फंगस के रोगियों का इलाज किया जा रहा है. इस वर्ष रोगियों की संख्या काफी अधिक हो गई है. इसे देखते हुए ऑप्थोमोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, मेडिसिन, सर्जरी, एनेस्थिसिया सहित सात विभागों के 100 चिकित्सकों की टीम बनाई गई है, जिसमें वरिष्ठ डॉक्टर्स से लेकर जूनियर डॉक्टर्स तक शामिल हैं. वे प्रतिदिन 6 से 7 ऑपरेशन कर रहे हैं.
पिछले एक हफ्ते में स्कलबेस्ड और मस्तिष्क आधारित चार ऑपरेशन किए जा चुके हैं, जिसमें ब्रेन के कुछ हिस्से में फैल गए ब्लैक फंगस को भी ठीक किया गया है. इनमें रायगढ़ का 30 वर्षीय, पचपेड़ी का 48 वर्षीय, धमतरी का 47 वर्षीय और बरला का 47 वर्षीय पुरुष रोगी शामिल है. बढ़ते हुए रोगियों की संख्या को देखते हुए एम्स ने हर बुधवार को ब्लैक फंगस की स्पेशल क्लीनिक शुरू की है, जिसमें इस प्रकार के रोगियों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं.
एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की पर्याप्त मात्रा में आवश्यकता
प्रो. नागरकर ने बताया कि रोगियों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए एम्स रायपुर को प्रतिदिन 600 एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की आवश्यकता है. अभी औसतन 200 इंजेक्शन मिल पा रहे हैं. इंजेक्शन न मिलने की स्थिति में इनके सबस्टीट्यूट से मदद ली जा रही है. इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से भी एम्स निरंतर संपर्क में है और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को भी इसकी जानकारी दी गई है. प्रो. नागरकर ने बताया कि एम्स को पिछले दिनों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 600 वॉयल एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन दिए गए हैं.