रायपुर: देशभर में जेईई और नीट जैसे एग्जाम को क्वालिफाई करने के लिए राजस्थान के कोटा की अपनी एक अलग पहचान है. कोटा में देशभर के स्टूडेंट्स कोचिंग के लिए जाते हैं. वहां पढ़ाई करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स क्लवलिफाई भी करते हैं. आज हम आपको छत्तीसगढ़ के कोटा के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां हर साल बड़ी संख्या में नक्सलगढ़ के बच्चों का राष्ट्रीय स्तर के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजेस में सिलेक्शन हो रहा है. हम बात कर रहे हैं राज्य सरकार की ओर से संचालित प्रयास आवासीय विद्यालय की. इस विद्यालय से पिछले 3 साल में करीब 150 बच्चों का चयन राष्ट्रीय स्तर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में हुआ है.
प्रयास आवासीय विद्यालय में जिन बच्चों का चयन हुआ है, वे अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आते हैं. उन्होंने कभी राजधानी रायपुर नहीं देखा था. यहां आने के बाद आज उड़ान आसमां छूने की है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे इंजीनियर, साइंटिस्ट या डॉक्टर बनना चाहते हैं.
नक्सलगढ़ के होनहार इंजीनियर बनकर अपने गांव को करेंगे डेवलप: अति नक्सल प्रभावित जिला माने जाने वाले नारायणपुर के रहने वाले जितेंद्र कुमार कावड़े भी यहां पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि "कक्षा 9 वीं से प्रयास आवासीय विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. यहां पढ़ाई बहुत अच्छी होती है. इससे पहले कभी रायपुर नहीं आया. यहां मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. वर्तमान में 12 वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा हूं. मैं आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहता हूं. उसके बाद अपने गांव और नारायणपुर जिले को डेवलप करने की सोचा हूं. सुकमा के रहने वाले दीपक कुमार ने बताया " 2018 से प्रयास में पढ़ाई कर रहा हूं. इंजीनियर बनकर अपने जिले को संवारना चाहता हूं."
सुबह से लेकर रात तक होती है पढ़ाई: प्रयास विद्यालय के कैमेस्ट्री के टीचर आशीष टिकरिया बताते हैं कि "हमारे यहां के ज्यादातर बच्चों का सिलेक्शन नीट, आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी में हो रहा है. प्रयास एक रेसिडेंशियल स्कूल है. इस वजह से बच्चे और शिक्षक दोनों साथ-साथ रहते हैं. यहां रहकर शिक्षक पढ़ाई करवाते हैं. हमारा पूरा फोकस सुबह 6 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक बच्चों पर रहता है. हम लोग यहां रह कर बच्चों को पढ़ाते हैं. इससे टीचर और स्टूडेंट की बॉन्डिंग बहुत अच्छी हो जाती है. जिसकी वजह से बच्चे पूरी बात टीचर से शेयर करते हैं. शिक्षक भी बच्चों की बातों को समझते हैं. पढ़ाई से सम्बंधित किसी भी तरह की कोई परेशानी होती है तो हम उनकी हर समय मदद के लिए तैयार रहते हैं. मुझे लगता है कि पूरे भारत में कहीं ऐसा नहीं है कि सुबह 7 बजे से लेकर 2 बजे तक बच्चे नॉन स्टॉप पढ़ते हों. सिर्फ उन्हें ब्रेकफास्ट का समय मिलता है. 1 घंटे ब्रेकफास्ट के बाद बच्चों को पढ़ाई में लगा देते हैं. उसके बाद कुछ समय के लिए एक्सटर्नल एक्टिविटी होती है. इसी वजह से यहां का रिजल्ट बहुत बढ़िया आता है.''
150 बच्चों का हुआ चयन: प्रयास आवासीय विद्यालय की प्रिंसिपल प्रमिला शुक्ला ने बताया ''हमारे यहां 9 वीं से बच्चे आते हैं. उसी समय से कॉम्पिटिटिव एग्जाम के बारे में बच्चों को बताना शुरू कर देते हैं. एनटीएसई एग्जाम और ओलंपियाड एग्जाम के बारे में बताने लग जाते हैं. फिर बच्चों को पढ़ाया जाता है. बच्चे धीरे-धीरे एनटीएससी क्लियर करने लगते हैं. एनटीएसई में पिछले 3 वर्षों में हमारे यहां के 17 बच्चों का सिलेक्शन हो चुका है. हमारे यहां बच्चों को जेईई और नीट एग्जाम के बारे में बताया जाता है. टीचर्स पूरे टाइम उनके साथ रहते हैं. सुबह 7 बजे से उनकी क्लासेस शुरु होती है. इनकी ब्रेकफास्ट सुबह 9 बजे होती. उसके बाद 2 बजे तक बच्चे स्टडी करते हैं.''
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प्रिंसिपल प्रमिला शुक्ला ने यह भी कहा ''यहां आने वाले सारे बच्चे पर पढ़ाई के माहौल में ढल जाते हैं. हम उन्हें 9 वीं कक्षा से ही पढ़ाई के माहौल में ढाल देते हैं. उनका टाइम टेबल पूरी तरह से सेट किया जाता है. बच्चे भी फिर धीरे-धीरे उसी रूटीन में आ जाते हैं. मोबाइल यहां ज्यादा उपयोग करने नहीं दिया जाता. जहां जरूरत होती है, उसी समय मोबाइल दिया जाता है. पिछले 3 साल में करीब 150 बच्चों का राष्ट्रीय संस्थानों में चयन हो चुका है, जहां नीट की पढ़ाई कर रहे कुछ बच्चे एमबीबीएस की तैयारी कर रहे हैं. बहुत से पढ़ाई पूरी कर लौट चुके हैं. आईआईटी, एनआईटी और सभी जगह हमारे बच्चे बड़ी-बड़ी संस्थानों में हैं. हमारे यहां के बच्चों को अच्छा खासा पैकेज मिल रहा है. वास्तव में देखा जाए तो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों के लिए यह बड़ी उपलब्धि है. यहां आने के बाद बच्चे शर्माते थे. चूंकि बच्चे कभी बाहर नहीं निकले थे. लेकिन यहां आने के बाद पढ़ाई के माहौल में ढल गए हैं. इसी की बदौलत वे सारे एग्जाम अच्छे से समझने लगते हैं.''
सीट बढ़ाने का भेजा गया प्रपोजल: सहायक संचालक जितेश वर्मा ने बताया कि "यहां नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों का एडमिशन होता है. 8 वीं के बाद उन्हें प्रवेश दिया जाता है. इनकी एक प्रवेश परीक्षा ली जाती है. फिर मेरिट लिस्ट के आधार पर यहां बच्चों को प्रवेश दिया जाता है. मेरिट लिस्ट में जो आते हैं उन्हें रायपुर में प्रवेश दिया जाता है. उसके बाद दुर्ग, बिलासपुर समेत लगभग पूरे प्रदेश में 9 प्रयास विद्यालय हैं. उस हिसाब से सीट भरी जाती है. हमने सीट बढ़ाने का प्रपोसल भेजा है. वहीं जितनी भी टेक्नोलॉजी है. उन माध्यमों से भी पढ़ाई यहां करवाई जा रही है.
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प्रयास स्कूल की कामयाबी का ग्राफ
साल | IIT | NIT | IIIT | GEC | MBBS |
2019 | 8 | 25 | 3 | 12 | 1 |
2020 | 13 | 22 | 4 | 11 | 2 |
2021 | 23 | 12 | 0 | 12 | 1 |