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EXCLUSIVE: लक्ष्मण जी को जीवित करने और रावण की नाभी में अमृत कलश रखने वाले सुषेण वैद्य की जन्मस्थली चंदखुरी

चंदखुरी इन दिनों माता कौशल्या की जन्मस्थली को लेकर चर्चा में बना हुआ है. अब सुषेण वैद्य की जन्मस्थली को लेकर भी ये चर्चा में आ गया है. इन सब बातों को लेकर ETV भारत ने मंदिर समिति के सदस्य राजेन्द्र वर्मा से खास बातचीत की.

birthplace of Sushen Vaidya
सुषेण वैद्य की जन्मस्थली
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Published : Dec 23, 2020, 8:40 AM IST

Updated : Dec 23, 2020, 9:10 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास स्थित चंदखुरी इन दिनों माता कौशल्या की जन्मस्थली को लेकर चर्चा में बना हुआ है. जहां एक ओर कांग्रेस चंदखुरी में माता कौशल्या का जन्मस्थल होने का दावा करते हुए उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता अजय चंद्राकर चंदखुरी में माता कौशल्या के जन्म होने की बात को ही सिरे से नकार रहे हैं. यही कारण है कि चंदखुरी इन दिनों माता कौशल्या की जन्मभूमि को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है.

सुषेण वैद्य की जन्मस्थली चंदखुरी

इस बीच चंदखुरी में रामायण का एक और प्रसंग चर्चा में आ गया है, जो उस काल के सुषेण वैद्य से संबंधित है. चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर परिसर में ही सुषेण वैद्य की एक मूर्ति स्थापित है. लोगों का मानना है कि इसी स्थल पर सुषेण वैद्य ने समाधि ली थी. जिन्हें स्थानीय लोग सुखैन वैद्य के नाम से भी बुलाते हैं.

यहां सुषेण वैद्य ने ली थी समाधि

मंदिर समिति के सदस्य राजेन्द्र वर्मा से ETV भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि सुषेण वैद्य का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. उनका कहना है कि उन्होंने सुषेण वैद्य से जुड़े विभिन्न प्रसंगों और तथ्यों का अध्ययन किया है. जिसमें यह प्रमाणित होता है कि सुषेण वैद्य की जन्मस्थली चंदखुरी है. जिन्हें रावण लंका ले गया था. हालांकि रावण वध के बाद सुषेण वैद्य वापस चंदखुरी लौट आए और यहीं पर उन्होंने समाधि ली.

birthplace of Sushen Vaidya
सुषेण वैद्य

सुषेण वैद्य ने किया था लक्ष्मण जी का इलाज

राजेंद्र वर्मा ने बताया कि वाल्मीकि कृत रामायण में भगवान राम के जीवन की गाथा है. इसमें राम और रावण का जब युद्ध चल रहा था, तब मेघनाद के प्रहार से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे. ऐसे में सुग्रीव के कहने पर सुषेण वैद्य को बुलाया जाता है. सुषेण वैद्य लक्ष्मण के उपचार के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए कहते हैं. जिसके बाद हनुमानजी को संजीवनी बूटी लाने भेजा गया. हनुमान संजीवनी बूटी को नहीं पहचानते थे, ऐसे में वे पूरे पहाड़ को ही उठाकर ले आए. जिसके बाद सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर दिया.

पढ़ें: कैसा है भगवान राम का ननिहाल, माता कौशल्या के जन्म को लेकर क्या कहते हैं चंदखुरी के लोग ?

सुषेण वैद्य को लंका से लाए थे हनुमान

जब रावण के पुत्र मेघनाद के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे, तो भगवान राम ने विभीषण से सलाह ली कि वैद्य कहां मिल सकते हैं. विभीषण ने कहा कि लंका में एक वैद्य हैं, जिसका नाम सुषेण है, लेकिन वह लक्ष्मण के उपचार के लिए आएंगे कि नहीं यह कहना मुश्किल है. यह बात हनुमान जी ने सुन ली. उन्होंने कहा कि मैं सुषेण वैद्य को उठा लाता हूं. हनुमानजी लंका गए और सुषेन वैद्य को भवन सहित उठा लाए. जिसमें सुषेण वैद्य सोए हुए थे. उन्हें बाद में जगाया गया. सुषेन वैद्य समझदार थे. वे समझ गए कि उन्हें किसी अत्यंत बलशाली व्यक्ति ने बुलाया है. वरना भवन के एक हिस्से को उठाने की ताकत तो किसी में नहीं है. श्रीराम ने सुषेण वैद्य को अपनी समस्या बताई. जिस पर लक्ष्मण के उपचार के लिए सुषेण वैद्य ने कहा कि द्रोणगिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी है. यदि संजीवनी बूटी मिल जाए, तो लक्ष्मण तुरंत होश में आ जाएंगे. उनमें पहले से भी अधिक शक्ति आ जाएगी. हनुमानजी इस कार्य के लिए तत्पर थे. सुषेण वैद्य ने उन्हें बूटी का रंग-रूप और पहचान सबकुछ बता दिया और उसे तुरंत लाने के लिए कहा.

birthplace of Sushen Vaidya
सुषेण वैद्य

रावण की नाभि में सुषेण वैद्य ने ही डाला था अमृत कलश

राजेन्द्र वर्मा ने बताया कि सुषेण वैद्य ने सिर्फ लक्ष्मण जी का ही इलाज नहीं किया, बल्कि रावण की नाभि में अमृत कलश भी उन्होंने ही डाला था. जिसके बाद रावण उन्हें लंका ले गए, तब से वे रावण वध तक लंका में ही रहे.

बहरहाल इन बातों में कितनी सच्चाई है, यह तो शोध का विषय है. लेकिन जिस तरह से स्थानीय लोग चंदखुरी में माता कौशल्या की जन्मस्थली, सुषेण वैद्य की जन्मस्थली सहित समाधि स्थल होने का दावा कर रहे हैं, इससे साफ जाहिर है कि हो न हो इन बातों में कुछ तो सच्चाई हो सकती है. वरना इतने सारे तथ्य एक साथ एक स्थान से कैसे जुड़े हो सकते हैं. सच्चाई जो भी हो, लेकिन इस स्थान से यहां के स्थानीय लोगों की धार्मिक भावना और आस्था जुड़ी हुई है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास स्थित चंदखुरी इन दिनों माता कौशल्या की जन्मस्थली को लेकर चर्चा में बना हुआ है. जहां एक ओर कांग्रेस चंदखुरी में माता कौशल्या का जन्मस्थल होने का दावा करते हुए उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता अजय चंद्राकर चंदखुरी में माता कौशल्या के जन्म होने की बात को ही सिरे से नकार रहे हैं. यही कारण है कि चंदखुरी इन दिनों माता कौशल्या की जन्मभूमि को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है.

सुषेण वैद्य की जन्मस्थली चंदखुरी

इस बीच चंदखुरी में रामायण का एक और प्रसंग चर्चा में आ गया है, जो उस काल के सुषेण वैद्य से संबंधित है. चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर परिसर में ही सुषेण वैद्य की एक मूर्ति स्थापित है. लोगों का मानना है कि इसी स्थल पर सुषेण वैद्य ने समाधि ली थी. जिन्हें स्थानीय लोग सुखैन वैद्य के नाम से भी बुलाते हैं.

यहां सुषेण वैद्य ने ली थी समाधि

मंदिर समिति के सदस्य राजेन्द्र वर्मा से ETV भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि सुषेण वैद्य का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. उनका कहना है कि उन्होंने सुषेण वैद्य से जुड़े विभिन्न प्रसंगों और तथ्यों का अध्ययन किया है. जिसमें यह प्रमाणित होता है कि सुषेण वैद्य की जन्मस्थली चंदखुरी है. जिन्हें रावण लंका ले गया था. हालांकि रावण वध के बाद सुषेण वैद्य वापस चंदखुरी लौट आए और यहीं पर उन्होंने समाधि ली.

birthplace of Sushen Vaidya
सुषेण वैद्य

सुषेण वैद्य ने किया था लक्ष्मण जी का इलाज

राजेंद्र वर्मा ने बताया कि वाल्मीकि कृत रामायण में भगवान राम के जीवन की गाथा है. इसमें राम और रावण का जब युद्ध चल रहा था, तब मेघनाद के प्रहार से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे. ऐसे में सुग्रीव के कहने पर सुषेण वैद्य को बुलाया जाता है. सुषेण वैद्य लक्ष्मण के उपचार के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए कहते हैं. जिसके बाद हनुमानजी को संजीवनी बूटी लाने भेजा गया. हनुमान संजीवनी बूटी को नहीं पहचानते थे, ऐसे में वे पूरे पहाड़ को ही उठाकर ले आए. जिसके बाद सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर दिया.

पढ़ें: कैसा है भगवान राम का ननिहाल, माता कौशल्या के जन्म को लेकर क्या कहते हैं चंदखुरी के लोग ?

सुषेण वैद्य को लंका से लाए थे हनुमान

जब रावण के पुत्र मेघनाद के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे, तो भगवान राम ने विभीषण से सलाह ली कि वैद्य कहां मिल सकते हैं. विभीषण ने कहा कि लंका में एक वैद्य हैं, जिसका नाम सुषेण है, लेकिन वह लक्ष्मण के उपचार के लिए आएंगे कि नहीं यह कहना मुश्किल है. यह बात हनुमान जी ने सुन ली. उन्होंने कहा कि मैं सुषेण वैद्य को उठा लाता हूं. हनुमानजी लंका गए और सुषेन वैद्य को भवन सहित उठा लाए. जिसमें सुषेण वैद्य सोए हुए थे. उन्हें बाद में जगाया गया. सुषेन वैद्य समझदार थे. वे समझ गए कि उन्हें किसी अत्यंत बलशाली व्यक्ति ने बुलाया है. वरना भवन के एक हिस्से को उठाने की ताकत तो किसी में नहीं है. श्रीराम ने सुषेण वैद्य को अपनी समस्या बताई. जिस पर लक्ष्मण के उपचार के लिए सुषेण वैद्य ने कहा कि द्रोणगिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी है. यदि संजीवनी बूटी मिल जाए, तो लक्ष्मण तुरंत होश में आ जाएंगे. उनमें पहले से भी अधिक शक्ति आ जाएगी. हनुमानजी इस कार्य के लिए तत्पर थे. सुषेण वैद्य ने उन्हें बूटी का रंग-रूप और पहचान सबकुछ बता दिया और उसे तुरंत लाने के लिए कहा.

birthplace of Sushen Vaidya
सुषेण वैद्य

रावण की नाभि में सुषेण वैद्य ने ही डाला था अमृत कलश

राजेन्द्र वर्मा ने बताया कि सुषेण वैद्य ने सिर्फ लक्ष्मण जी का ही इलाज नहीं किया, बल्कि रावण की नाभि में अमृत कलश भी उन्होंने ही डाला था. जिसके बाद रावण उन्हें लंका ले गए, तब से वे रावण वध तक लंका में ही रहे.

बहरहाल इन बातों में कितनी सच्चाई है, यह तो शोध का विषय है. लेकिन जिस तरह से स्थानीय लोग चंदखुरी में माता कौशल्या की जन्मस्थली, सुषेण वैद्य की जन्मस्थली सहित समाधि स्थल होने का दावा कर रहे हैं, इससे साफ जाहिर है कि हो न हो इन बातों में कुछ तो सच्चाई हो सकती है. वरना इतने सारे तथ्य एक साथ एक स्थान से कैसे जुड़े हो सकते हैं. सच्चाई जो भी हो, लेकिन इस स्थान से यहां के स्थानीय लोगों की धार्मिक भावना और आस्था जुड़ी हुई है.

Last Updated : Dec 23, 2020, 9:10 AM IST
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