रायपुर: छत्तीसगढ़ के माटीपुत्रों में ताराचंद साहू का अहम योगदान है. Tarachand sahu birth anniversary 2023 : ताराचंद साहू का जन्म 1 जनवरी 1947 को दुर्ग जिले के कचांदुर में हुआ था. किसान परिवार में जन्मे Tarachand sahu अध्ययन के बाद अध्यापन कार्य से जुड़ गए थे. वे स्कूली शिक्षक के तौर अपने इलाके में कार्य कर रहे थे. लेकिन इस दौरान वे जनसंघ से भी जुड़ गए थे. सन् 1964 में भारतीय जनसंघ के सदस्य बन गए. इसके बाद जनसंघ के लिए सक्रिय तौर पर काम करने लगे. Son of Chhattisgarh Mahtari भारतीय जनता पार्टी के उदय के साथ ही वे पार्टी के कार्यकर्ता और स्थानीय नेता के तौर काम करने लगे. ताराचंद साहू धीर-धीरे दुर्ग जिले में अपनी पकड़ और पार्टी को मजबूत करते चले.
दुर्ग को बनाया भाजपा का गढ़ : BJP ने सन् 1990 में ताराचंद साहू को अविभाजित दुर्ग जिले के गुंडरदेही विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा. ताराचंद पहले चुनाव में जीत गए. इसके बाद वे 1993 में दोबारा विधायक बने. पार्टी उन्हें दुर्ग जिला BJP अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी. सन् 1996 में जिलाध्यक्ष रहते ही उन्हें Durg Lok Sabha Seat से उम्मीदवार बना दिया. उस समय ताराचंद के सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता वासुदेव चंद्राकर प्रतिद्वंदी थे. ताराचंद ने वासुदेव चंद्राकर को हराकर सबको चौंका दिया. यह एक तरह से दुर्ग में कांग्रेस के दुर्ग को ध्वस्त करने जैसा था. इसके बाद वे लगातार 98, 99 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीते और सांसद बने. उनके जीत और कांग्रेस की हार से दुर्ग में कांग्रेस कमजोर और BJP मजबूत होते चली गई.
क्यों हुए बीजेपी से अलग : अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद ताराचंद साहू को BJP ने प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी.लेकिन ये खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रही क्योंकि दो साल बाद 2003 में रमन सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. रमन सिंह के नेतृत्व में BJP जीती और सीएम की कुर्सी भी डॉक्टर साहब को मिली.इन सभी बातों का कहीं ना कहीं चार बार के MP Tarachand sahu को था.क्योंकि Raman singh जब पहली बार सांसद बने तो वे केंद्रीय राज्यमंत्री बन गए थे. जबकि ताराचंद ना तो केंद्रीय मंत्री बनें और ना ही प्रदेश की कमान उनके हाथों में आई.लिहाजा वो साल 2008 में पार्टी से दूर होते गए और आखिरकार बागी तेवर अपना लिया.इसके बाद उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देने से पहले 10 अगस्त 2008 को Chhattisgarhi Swabhiman Manch का गठन कर लिया. यह भाजपा के खिलाफ खुलकर की गई बगावत थी. भाजपा ने 6 जनवरी 2009 को लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें निष्कासित कर दिया.
लोकसभा चुनाव में दी कड़ी टक्कर : साल 2009 में ताराचंद साहू ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, हालांकि वे जीत नहीं सके. 2009 में बीजेपी की Saroj pandey लोकसभा चुनाव जीतीं और ताराचंद साहू 2 लाख 64 हजार मत पाकर दूसरे नंबर रहे, जबकि कांग्रेस पार्टी तीसरे नंबर पर थी.उन्होंने 10 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच का क्षेत्रीय पार्टी के रूप में पंजीयन कराया.लेकिन वो इस पार्टी से कभी चुनाव नहीं लड़ सके क्योंकि 2013 के चुनाव से पहले बीमारी के कारण 11 नवंबर 2012 को मुंबई में उनका निधन हो गया.