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SPECIAL: कोरोना काल में कॉपी-किताब और स्टेशनरी का व्यापार ठप, व्यापारियों को राहत का इंतजार

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण शिक्षण संस्थान अब भी बंद हैं. ऐसे में इसका व्यापाक असर शिक्षा से जुड़े सेक्टरों पर पड़ रहा है. कॉपी-किताब और स्टेशनरी के व्यापार से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि फिलहाल उनके सामने आर्थिक मंदी का दौर है. उन्हें राहत का इंतजार है.

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Published : Aug 11, 2020, 10:21 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 10:59 PM IST

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कॉपी-किताब और स्टेशनरी का व्यापार ठप

रायपुर: कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए अब तक शिक्षण संस्थानों के संचालन की अनुमति नहीं दी गई है. लिहाजा अब तक कई संस्थान में तालाबंदी है. बच्चों की पढ़ाई पर इसका व्यापक असर तो पड़ ही रहा है, लेकिन शिक्षा से जुड़े सेक्टर भी आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. खास तौर पर कॉपी-किताब और स्टेशनरी का व्यापार तो लगभग ठप हो चुका है. समान्य दिनों में जून, जुलाई और अगस्त के महीने में कॉपी-किताब की दुकानों में पैर रखने की जगह नहीं हुआ करती थी. लेकिन आज इन दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है.

कॉपी-किताब और स्टेशनरी का व्यापार ठप

आंकड़ों की बात की जाए तो राजधानी में कुल 150 बुक डिपो हैं. जिसमें से सिर्फ 80 से 90 बुक डिपो ही संचालित हो रहे हैं. इस सेक्टर में हर साल सिर्फ राजधानी से ही लगभग 70 करोड़ का कारोबार होता है. जिसमें सिर्फ 3 महीनों में जून, जुलाई और अगस्त में लगभग 45 करोड़ का कारोबार होता है. बाकी पूरे साल 35 करोड़ के आसपास का कारोबार होता है. कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से लगभग 75% कारोबार खत्म हो गया है. बुक डिपो में स्टेशनरी से जुड़े व्यवसाय भी शामिल हैं. जिसमें पेंसिल, रबर, पेन, फाइल, पेपर इत्यादि चीजें भी शामिल हैं.

पढ़ें: पूर्व CM रमन सिंह ने कांग्रेस के आरोपों पर किया पलटवार, गिनाई सरकार की खामियां

पढ़ाई शुरू लेकिन व्यापार ठप
सरकार लगातार बच्चों की पढ़ाई के लिए नई-नई पहल कर रही है. फिलहाल तो ऑनलाइन पढ़ाई पर ही जोर दिया जा रहा है. बच्चे अपने घर पर रहकर इसका लाभ ले रहे हैं. बुक डिपो संचालकों का कहना है कि उनके व्यापार में ऑनलाइन पढ़ाई का कोई खास असर नहीं है. व्यापारियों का कहना है कि शिक्षण संस्थानों के खुलने के बाद ही राहत मिलेगी. दरअसल ऑनलाइन पढ़ाई होने पर बच्चों को किताब कॉपियों की जरूरत भी कम पड़ रही है. इस स्थिति में व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट मंडरा रहा है.

एक ओर कोरोना काल है, जब तक स्कूल कॉलेज नहीं खुलेंगे तब तक बुक डिपो स्टेशनरी का व्यापार भी मंदा ही रहेगा. ऐसे में उम्मीद करते हैं कि जल्द ही कोरोना का ये दौर खत्म हो और कॉपी-किताब के इस व्यापार में भी तेजी आए. साथ ही व्यापार से जुड़े कर्मचारियों की आर्थिक मंदी समाप्त हो.

लोगों में वायरस का डर

प्रदेश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. ऐसे में लोग बजारों में जाने से कतरा रहे हैं. आए दिन सैकड़ों नए मरीजों की पहचान हो रही है. ऐसे में लोग भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचते नजर आ रहे हैं. ETV भारत ने लोगों से बातचीत की जाना की आखिर की पढ़ाई को लेकर उनके क्या विचार हैं, कैसे कॉपी और किताबों की आपूर्ति कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि वायरस का प्रकोप बहुत ज्यादा है. साथ ही बच्चों की पढ़ाई फिलहाल ऑनलाइन चल रही है. छोटी जरूरत की चीजों के लिए आसपास के छोटे दुकानों से ही समान ला रहे हैं.

लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण का डर

रायपुर: कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए अब तक शिक्षण संस्थानों के संचालन की अनुमति नहीं दी गई है. लिहाजा अब तक कई संस्थान में तालाबंदी है. बच्चों की पढ़ाई पर इसका व्यापक असर तो पड़ ही रहा है, लेकिन शिक्षा से जुड़े सेक्टर भी आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. खास तौर पर कॉपी-किताब और स्टेशनरी का व्यापार तो लगभग ठप हो चुका है. समान्य दिनों में जून, जुलाई और अगस्त के महीने में कॉपी-किताब की दुकानों में पैर रखने की जगह नहीं हुआ करती थी. लेकिन आज इन दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है.

कॉपी-किताब और स्टेशनरी का व्यापार ठप

आंकड़ों की बात की जाए तो राजधानी में कुल 150 बुक डिपो हैं. जिसमें से सिर्फ 80 से 90 बुक डिपो ही संचालित हो रहे हैं. इस सेक्टर में हर साल सिर्फ राजधानी से ही लगभग 70 करोड़ का कारोबार होता है. जिसमें सिर्फ 3 महीनों में जून, जुलाई और अगस्त में लगभग 45 करोड़ का कारोबार होता है. बाकी पूरे साल 35 करोड़ के आसपास का कारोबार होता है. कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से लगभग 75% कारोबार खत्म हो गया है. बुक डिपो में स्टेशनरी से जुड़े व्यवसाय भी शामिल हैं. जिसमें पेंसिल, रबर, पेन, फाइल, पेपर इत्यादि चीजें भी शामिल हैं.

पढ़ें: पूर्व CM रमन सिंह ने कांग्रेस के आरोपों पर किया पलटवार, गिनाई सरकार की खामियां

पढ़ाई शुरू लेकिन व्यापार ठप
सरकार लगातार बच्चों की पढ़ाई के लिए नई-नई पहल कर रही है. फिलहाल तो ऑनलाइन पढ़ाई पर ही जोर दिया जा रहा है. बच्चे अपने घर पर रहकर इसका लाभ ले रहे हैं. बुक डिपो संचालकों का कहना है कि उनके व्यापार में ऑनलाइन पढ़ाई का कोई खास असर नहीं है. व्यापारियों का कहना है कि शिक्षण संस्थानों के खुलने के बाद ही राहत मिलेगी. दरअसल ऑनलाइन पढ़ाई होने पर बच्चों को किताब कॉपियों की जरूरत भी कम पड़ रही है. इस स्थिति में व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट मंडरा रहा है.

एक ओर कोरोना काल है, जब तक स्कूल कॉलेज नहीं खुलेंगे तब तक बुक डिपो स्टेशनरी का व्यापार भी मंदा ही रहेगा. ऐसे में उम्मीद करते हैं कि जल्द ही कोरोना का ये दौर खत्म हो और कॉपी-किताब के इस व्यापार में भी तेजी आए. साथ ही व्यापार से जुड़े कर्मचारियों की आर्थिक मंदी समाप्त हो.

लोगों में वायरस का डर

प्रदेश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. ऐसे में लोग बजारों में जाने से कतरा रहे हैं. आए दिन सैकड़ों नए मरीजों की पहचान हो रही है. ऐसे में लोग भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचते नजर आ रहे हैं. ETV भारत ने लोगों से बातचीत की जाना की आखिर की पढ़ाई को लेकर उनके क्या विचार हैं, कैसे कॉपी और किताबों की आपूर्ति कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि वायरस का प्रकोप बहुत ज्यादा है. साथ ही बच्चों की पढ़ाई फिलहाल ऑनलाइन चल रही है. छोटी जरूरत की चीजों के लिए आसपास के छोटे दुकानों से ही समान ला रहे हैं.

लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण का डर
Last Updated : Aug 12, 2020, 10:59 PM IST
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