रायपुर: साइंस कॉलेज मैदान में दुर्ग, रायगढ़, सूरजपुर, कांकेर और बालोद जिले के कलाकारों ने पारम्परिक परिधानों से सज-धज कर मुख्य मंच पर अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी. करमा नृत्य दर्शकों को खूब भाया. छत्तीसगढ़ की संस्कृति में प्रचलित अनेक लोक नृत्यों में से करमा नृत्य एक है.
छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय जनजाति के लोग करते हैं करमा: करमा नृत्य राज्य में निवास करने वाली जनजातियों के लोग करते हैं. ये जनजातियां सरई एवं करम वृक्ष के नीचे इकठ्ठा होकर करमा गीत गाकर नृत्य करते हैं. जनजाति समूह वर्ष में एक बार इकठ्ठा होकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करके उत्सव मनाते हैं. करम वृक्ष की टहनी को जमीन में गाड़कर चारों और घूम-घूमकर आनंदपूर्वक करमा नृत्य करते हैं. करमा नृत्य कर्म का संदेश देता है.
कई जिलों के कलाकार हुए शामिल: मुख्य मंच पर सरगुजा संभाग से सूरजपुर जिला. बिलासपुर संभाग से रायगढ़ जिला. दुर्ग संभाग से बालोद जिला. बस्तर संभाग से कांकेर जिला और रायपुर संभाग से महासमुंद जिले के 15 से 40 आयु वर्ग के कलाकारों ने पारंपरिक गीतों और धुन पर समूह में नृत्य कर सबका मन मोह लिया. सूरजपुर जिले के युवाओं ने स्थानीय लोकगीत के साथ डांस किया. वहीं रायगढ़ जिला के लोक कलाकारों ने सफेद वेशभूषा में मधुर संगीत की धुन पर नृत्य दिखाया. बालोद जिले के युवाओं ने छत्तीसगढ़ महतारी और भारत माता की जयकारे के साथ करमा नृत्य की प्रस्तुति दी.
राज्य स्तरीय युवा महोत्सव की खास बातें : राजधानी रायपुर में शनिवार 28 जनवरी को राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन हुआ. युवा महोत्सव में छत्तीसगढ़ की ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंधित खेल फुगड़ी, भौंरा और गेड़ी दौड़ के आदि खेलों को शामिल किया गया है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ी लोक गीत और लोक नृत्य करमा, राउत नाचा, पंथी, सरहुल, सुवा, बस्तरिया नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति भी युवा महोत्सव में होंगी. कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी संस्कृति से संबंधित चित्रकला, छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा और व्यंजनों का फूड फेस्टिवल का आयोजन महोत्सव में किया जा रहा है.