रायपुर: मसाला की खेती के लिए सबसे सही समय नवंबर से 15 मार्च तक है. इस दौरान धनिया, मेथी अजवाइन, करायत, खसखस और सौंफ जैसी मसाला फसल आसानी से ले सकते हैं. छत्तीसगढ़ के किसान दिवाली के समय धान फसल की कटाई करने के तुरंत बाद ठंड के मौसम में गेहूं और चना की फसल लेते हैं. इसके विकल्प के रूप में मसाला की खेती बेहतर है. राजस्थान और गुजरात के किसान भी ठंड के मौसम में मसाला की खेती करते हैं.
मसाला खेती के लिए टिप्स: छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए ठंड का मौसम मसाला की खेती करने के लिए उपयुक्त है. खेत की जुताई करने के बाद कतार बद्ध तरीके से मसाला फसलों को 20-20 सेंटीमीटर की दूरियों पर लगाना चाहिए. इसके साथ ही जमीन की मिट्टी को भुरभुरा कर मसाला बीज को लगाकर मसाला की खेती करना चाहिए.
मसाला खेती के लिए बीज लगाते समय एक-एक दाने ही बीज के रूप में डालना चाहिए. यह मसाला फसल 90 दिनों में आसानी से तैयार हो जाती है. ठंड जितनी अधिक पड़ेगी, उत्पादन उतना ज्यादा होगा. मसाला की खेती करते समय बारिश या फिर आंधियां ना चले. ठंड के समय में मसाला फसलों को कम पानी की जरूरत पड़ती है."-डॉ घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय
मसाला खेती में इन बातों का रखें ध्यान: मसाला की खेती करते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि मसाला फसल में कम से कम सप्ताह में एक से दो बार पानी देना चाहिए. मसाला की जैविक खेती करने के लिए किसानों को गोबर खाद या केंचुआ खाद का लेयर बिछाकर इसके साथ ही नाम मात्र की रासायनिक खाद का उपयोग करें. किसानों को जितना मुनाफा गेहूं और चना की फसल से मिलता है, उतना ही मुनाफा मसाला की खेती करके भी कमा सकते हैं.