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'चुनौती भरा काम है दूसरे राज्य से अपराधियों को पकड़ना, जान जाने का भी रहता है खतरा'

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Published : Feb 2, 2021, 10:18 PM IST

Updated : Feb 2, 2021, 10:38 PM IST

छत्तीसगढ़ में हाल ही में कई ऐसे केस सामने आए हैं, जिसमें पुलिस की स्पेशल टीम को जांच के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ा है. इस दौरान पुलिस को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार पुलिस पर अपराधी हमला कर देते हैं. कई बार पूरा गांव मिलकर पुलिस पर हमला बोल देते हैं. कई बार तो ऐसा भी हुआ कि गांव वाले या अपराधी तीर कमान, गोली या पत्थर से पुलिस पर हमला कर देते हैं.

special talks to raipur police
रायपुर पुलिस के जांबाज

रायपुर: अभी हाल ही में एक्टर सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी केस में जब बिहार पुलिस जांच के लिए मुंबई गई थी, तब किस तरह से उसके साथ व्यवहार किया गया था, पूरे देश ने देखा था. वहां तो पुलिस वाले ही पुलिस वालों को सहयोग नहीं कर रहे थे. हालांकि हर बार ऐसा नहीं होता है. कई बार दूसरे राज्य की पुलिस सहयोग कर भी देती है, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों से निपटना दूसरे राज्य की पुलिस के लिए काफी चुनौती भरा होता है. कई बार जान तक की बाजी लगानी पड़ जाती है. आज हम आपको बता रहे हैं, दूसरे राज्य में जाकर किसी बड़े अपराधी को पकड़ने में पुलिस को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

चुनौती भरा काम है दूसरे राज्य से अपराधियों को पकड़ना

साइबर सेल प्रभारी रमाकांत साहू ने बताया कि अलग-अलग राज्यों में ऐसे कई अपराधी होते हैं, जो दूसरे राज्य जाकर आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं. जब पुलिस की टीम दूसरे राज्य रेड करने जाती है तो बिना लोकल सपोर्ट के वह कार्रवाई नहीं कर सकती. राजगर्ड, घोड़ा साहेब, साहेबगंज ऐसी कई जगह है, जहां आरोपी को पकड़ने जाने पर वहां के लोगों के विरोध का सामना पुलिस को करना पड़ता है. कई बार उनके द्वारा पुलिस पर हमला भी किया जाता है. जिसमें कई पुलिसवाले घायल होते हैं.

पढ़ें-ठगी के लिए बनाया था हाइटेक कॉल सेंटर, दिल्ली से दबोचे गए

गांव वाले करते हैं पत्थरबाजी

साइबर सेल सब इंस्पेक्टर अमित कश्यप ने बताया कि जब भी वो आरोपी को पकड़ने जाते हैं तो लोकल पुलिस का सपोर्ट लिया जाता है. लोकल लोगों का सपोर्ट न लें तो कई ऐसे गिरोह होते हैं, जो पत्थरबाजी करते हैं. गांव में कई ऐसे लोकल ग्रुप बने होते हैं, जो आरोपियों का साथ देते हैं. बाहर से आए किसी भी अधिकारी और पुलिस के बारे में आरोपियों को सूचित करते हैं. ऐसे में सतर्कता बहुत जरूरी होती है.

पढ़ें-कोरबा : युवक की हत्या के आरोपी मध्यप्रदेश से गिरफ्तार

तीर-धनुष से भी हुआ हमला

साइबर सेल के आशीष राजपूत ने बताया कि लोग गाड़ी देखकर यह समझ जाते हैं कि ये पुलिस की गाड़ी है. फिर वे बिल्कुल भी साथ नहीं देते. कभी-कभी गांव वाले पथराव कर देते हैं. कहीं गुलेल से तो कहीं तीर धनुष से भी गांव वाले पुलिस पर हमला करते हैं. इन सभी कठिनाइयों का सामना पुलिस वालों को करना पड़ता है.

महिलाओं को आगे कर भाग निकलते हैं आरोपी

साइबर क्राइम आरक्षक प्रमोद बेहरा ने राजस्थान का किस्सा बताया. अपराधी घर के बाहर खटिया पर सोए हुए रहते हैं. जैसे ही गांव वालों को पता चलता है कि पुलिस लोगों को पकड़ने आई है. महिलाएं सामने आ जाती हैं और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया जाता है. बिहार, झारखंड का जामताड़ा, फरीदाबाद, राजस्थान के कई ऐसे इलाके हैं, जहां इस तरह की समस्या सामने आती है.

रायपुर: अभी हाल ही में एक्टर सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी केस में जब बिहार पुलिस जांच के लिए मुंबई गई थी, तब किस तरह से उसके साथ व्यवहार किया गया था, पूरे देश ने देखा था. वहां तो पुलिस वाले ही पुलिस वालों को सहयोग नहीं कर रहे थे. हालांकि हर बार ऐसा नहीं होता है. कई बार दूसरे राज्य की पुलिस सहयोग कर भी देती है, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों से निपटना दूसरे राज्य की पुलिस के लिए काफी चुनौती भरा होता है. कई बार जान तक की बाजी लगानी पड़ जाती है. आज हम आपको बता रहे हैं, दूसरे राज्य में जाकर किसी बड़े अपराधी को पकड़ने में पुलिस को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

चुनौती भरा काम है दूसरे राज्य से अपराधियों को पकड़ना

साइबर सेल प्रभारी रमाकांत साहू ने बताया कि अलग-अलग राज्यों में ऐसे कई अपराधी होते हैं, जो दूसरे राज्य जाकर आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं. जब पुलिस की टीम दूसरे राज्य रेड करने जाती है तो बिना लोकल सपोर्ट के वह कार्रवाई नहीं कर सकती. राजगर्ड, घोड़ा साहेब, साहेबगंज ऐसी कई जगह है, जहां आरोपी को पकड़ने जाने पर वहां के लोगों के विरोध का सामना पुलिस को करना पड़ता है. कई बार उनके द्वारा पुलिस पर हमला भी किया जाता है. जिसमें कई पुलिसवाले घायल होते हैं.

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गांव वाले करते हैं पत्थरबाजी

साइबर सेल सब इंस्पेक्टर अमित कश्यप ने बताया कि जब भी वो आरोपी को पकड़ने जाते हैं तो लोकल पुलिस का सपोर्ट लिया जाता है. लोकल लोगों का सपोर्ट न लें तो कई ऐसे गिरोह होते हैं, जो पत्थरबाजी करते हैं. गांव में कई ऐसे लोकल ग्रुप बने होते हैं, जो आरोपियों का साथ देते हैं. बाहर से आए किसी भी अधिकारी और पुलिस के बारे में आरोपियों को सूचित करते हैं. ऐसे में सतर्कता बहुत जरूरी होती है.

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तीर-धनुष से भी हुआ हमला

साइबर सेल के आशीष राजपूत ने बताया कि लोग गाड़ी देखकर यह समझ जाते हैं कि ये पुलिस की गाड़ी है. फिर वे बिल्कुल भी साथ नहीं देते. कभी-कभी गांव वाले पथराव कर देते हैं. कहीं गुलेल से तो कहीं तीर धनुष से भी गांव वाले पुलिस पर हमला करते हैं. इन सभी कठिनाइयों का सामना पुलिस वालों को करना पड़ता है.

महिलाओं को आगे कर भाग निकलते हैं आरोपी

साइबर क्राइम आरक्षक प्रमोद बेहरा ने राजस्थान का किस्सा बताया. अपराधी घर के बाहर खटिया पर सोए हुए रहते हैं. जैसे ही गांव वालों को पता चलता है कि पुलिस लोगों को पकड़ने आई है. महिलाएं सामने आ जाती हैं और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया जाता है. बिहार, झारखंड का जामताड़ा, फरीदाबाद, राजस्थान के कई ऐसे इलाके हैं, जहां इस तरह की समस्या सामने आती है.

Last Updated : Feb 2, 2021, 10:38 PM IST
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