रायपुर : बढ़ती जनसंख्या के चलते जानवरों और इंसानों के बीच तकरार भी बढ़ती जा रही है. इंसानों को समझना चाहिए कि जानवर बेजुबान होते हैं और वो बोलकर नहीं बल्कि अपनी हरकतों से अपने प्यार को दर्शाते है. आज विश्व पशु कल्याण दिवस पर के मौके पर हम आपको बताएंगे कि जानवरों के प्रति लोगो के व्यवहार पर क्या कहते हैं जानवरों के विशेषज्ञ और क्यों मनाया जाता है पशु दिवस.
जानवरों के प्रति जागरुक होने की जरुरत : डॉ. संजय जैन
जानवर बेजुबान होते हैं. अपनी हरकतों और अपनी वफादारी से अक्सर यह साबित करते हैं कि वह इंसानों के काफी अच्छे दोस्त हैं. और यदि इंसानों की बात की जाए तो कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जानवरों के प्रति काफी जागरूक हैं. अपने पैट से काफी प्यार भी करते हैं, छोटी से छोटी चोट लगने पर भी तुरंत अपने पैट को डॉक्टर के पास ले जाते हैं. डॉ. संजय ने बताय कि उन्होंने काफी जानवरों का इलाज भी किया है और अक्सर यह पाया है कि जानवरों की आंखों में आंसू आते या जानवरों को दर्द होता देख उनके मालिक भी उस दर्द को महसूस करते हैं. साथ ही कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो जानवरों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. उन्हें मारते पीटते हैं. ऐसे लोगो पर डॉ. संजय का कहना है कि ऐसे लोग खुद मानसिक रोगी होते हैं और अपना गुस्सा या किसी अन्य का गुस्सा किसी बेजुबान जानवर पर दिखाते हैं.
जानवर यदि पीछा करे या दौड़ाए तो रुक जाएं: डॉ. संजय
अक्सर रास्तों पर गाड़ी से पैदल जाते लोगों पर जब जानवर भोंकते हैं या उनका पीछा करते हैं तो लोग उन्हें पत्थर या लाठी से मारने को दौड़ते हैं. लेकिन लोग कभी ये नहीं सोचते कि उनका पीछा करने या उन्हे दौड़ाने के पीछे क्या कारण है. डॉक्टर ने बताया कि जानवरों के साथ पहले ऐसा कुछ हुआ होगा या किसी ने उन्हें नुकसान पहुंचाया होगा. तो जानवरों के अंदर वो चीजे घर कर जाती हैं. इसी कारण से वह आने जाने वाले लोगो पर भोकतें हैं या उनका पीछा करते हैं. अगर उस समय इंसान वहीं रुक जाए तो वो कुछ नहीं करते और चुपचाप वहां से चले जाते हैं.
कुत्तों को बाढ़ में फंसा देखा तो घर ले आयी
जानवरों के बारे में जब हमने कुछ लोगों से बात की तब हमने वहां रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी जी आर चंद्राकर को देखा जो वहां अपने डॉग को वैक्सीन का कंजक्शन दिलवाने आए हुए थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक स्ट्रीट डॉग पाला है. जो उनकी बेटी केरल से लायी थी. उन्होंने बताया कि जब उनकी बिटिया केरल में पढ़ती थी तो वहां पर बाढ़ आयी थी. इसके चलते कुछ स्ट्रीट डॉग्स के बच्चे उन्हें बारिश में एक शटर के नीचे छुपे मिले. उन्होंने बच्चों को बचाया और उनको खाना खिलाया. उसके बाद जब उनकी बेटियां रायपुर शिफ्ट होने लगी तो वो उस डॉग को अपने साथ ले आई.