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World Animal day : इन बेजुबानों में भी होती हैं संवेदनाएं, जरूरत है तो बस उन्हें समझने की

World Animal Day: यानी विश्व पशु दिवस इस नाम से ही आज के दिन का महत्व समझा जा सकता है. आज जानवरों के प्रति बहुत से लोगों की जागरुकता देखने को मिलेगी, लेकिन क्या आज के अलावा भी कोई जानवरों के साथ बेहतर व्यवहार करता है.

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Published : Oct 4, 2019, 10:33 PM IST

World Animal day

रायपुर : बढ़ती जनसंख्या के चलते जानवरों और इंसानों के बीच तकरार भी बढ़ती जा रही है. इंसानों को समझना चाहिए कि जानवर बेजुबान होते हैं और वो बोलकर नहीं बल्कि अपनी हरकतों से अपने प्यार को दर्शाते है. आज विश्व पशु कल्याण दिवस पर के मौके पर हम आपको बताएंगे कि जानवरों के प्रति लोगो के व्यवहार पर क्या कहते हैं जानवरों के विशेषज्ञ और क्यों मनाया जाता है पशु दिवस.

पैकेज.


जानवरों के प्रति जागरुक होने की जरुरत : डॉ. संजय जैन
जानवर बेजुबान होते हैं. अपनी हरकतों और अपनी वफादारी से अक्सर यह साबित करते हैं कि वह इंसानों के काफी अच्छे दोस्त हैं. और यदि इंसानों की बात की जाए तो कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जानवरों के प्रति काफी जागरूक हैं. अपने पैट से काफी प्यार भी करते हैं, छोटी से छोटी चोट लगने पर भी तुरंत अपने पैट को डॉक्टर के पास ले जाते हैं. डॉ. संजय ने बताय कि उन्होंने काफी जानवरों का इलाज भी किया है और अक्सर यह पाया है कि जानवरों की आंखों में आंसू आते या जानवरों को दर्द होता देख उनके मालिक भी उस दर्द को महसूस करते हैं. साथ ही कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो जानवरों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. उन्हें मारते पीटते हैं. ऐसे लोगो पर डॉ. संजय का कहना है कि ऐसे लोग खुद मानसिक रोगी होते हैं और अपना गुस्सा या किसी अन्य का गुस्सा किसी बेजुबान जानवर पर दिखाते हैं.


जानवर यदि पीछा करे या दौड़ाए तो रुक जाएं: डॉ. संजय
अक्सर रास्तों पर गाड़ी से पैदल जाते लोगों पर जब जानवर भोंकते हैं या उनका पीछा करते हैं तो लोग उन्हें पत्थर या लाठी से मारने को दौड़ते हैं. लेकिन लोग कभी ये नहीं सोचते कि उनका पीछा करने या उन्हे दौड़ाने के पीछे क्या कारण है. डॉक्टर ने बताया कि जानवरों के साथ पहले ऐसा कुछ हुआ होगा या किसी ने उन्हें नुकसान पहुंचाया होगा. तो जानवरों के अंदर वो चीजे घर कर जाती हैं. इसी कारण से वह आने जाने वाले लोगो पर भोकतें हैं या उनका पीछा करते हैं. अगर उस समय इंसान वहीं रुक जाए तो वो कुछ नहीं करते और चुपचाप वहां से चले जाते हैं.


कुत्तों को बाढ़ में फंसा देखा तो घर ले आयी
जानवरों के बारे में जब हमने कुछ लोगों से बात की तब हमने वहां रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी जी आर चंद्राकर को देखा जो वहां अपने डॉग को वैक्सीन का कंजक्शन दिलवाने आए हुए थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक स्ट्रीट डॉग पाला है. जो उनकी बेटी केरल से लायी थी. उन्होंने बताया कि जब उनकी बिटिया केरल में पढ़ती थी तो वहां पर बाढ़ आयी थी. इसके चलते कुछ स्ट्रीट डॉग्स के बच्चे उन्हें बारिश में एक शटर के नीचे छुपे मिले. उन्होंने बच्चों को बचाया और उनको खाना खिलाया. उसके बाद जब उनकी बेटियां रायपुर शिफ्ट होने लगी तो वो उस डॉग को अपने साथ ले आई.

रायपुर : बढ़ती जनसंख्या के चलते जानवरों और इंसानों के बीच तकरार भी बढ़ती जा रही है. इंसानों को समझना चाहिए कि जानवर बेजुबान होते हैं और वो बोलकर नहीं बल्कि अपनी हरकतों से अपने प्यार को दर्शाते है. आज विश्व पशु कल्याण दिवस पर के मौके पर हम आपको बताएंगे कि जानवरों के प्रति लोगो के व्यवहार पर क्या कहते हैं जानवरों के विशेषज्ञ और क्यों मनाया जाता है पशु दिवस.

पैकेज.


जानवरों के प्रति जागरुक होने की जरुरत : डॉ. संजय जैन
जानवर बेजुबान होते हैं. अपनी हरकतों और अपनी वफादारी से अक्सर यह साबित करते हैं कि वह इंसानों के काफी अच्छे दोस्त हैं. और यदि इंसानों की बात की जाए तो कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जानवरों के प्रति काफी जागरूक हैं. अपने पैट से काफी प्यार भी करते हैं, छोटी से छोटी चोट लगने पर भी तुरंत अपने पैट को डॉक्टर के पास ले जाते हैं. डॉ. संजय ने बताय कि उन्होंने काफी जानवरों का इलाज भी किया है और अक्सर यह पाया है कि जानवरों की आंखों में आंसू आते या जानवरों को दर्द होता देख उनके मालिक भी उस दर्द को महसूस करते हैं. साथ ही कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो जानवरों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. उन्हें मारते पीटते हैं. ऐसे लोगो पर डॉ. संजय का कहना है कि ऐसे लोग खुद मानसिक रोगी होते हैं और अपना गुस्सा या किसी अन्य का गुस्सा किसी बेजुबान जानवर पर दिखाते हैं.


जानवर यदि पीछा करे या दौड़ाए तो रुक जाएं: डॉ. संजय
अक्सर रास्तों पर गाड़ी से पैदल जाते लोगों पर जब जानवर भोंकते हैं या उनका पीछा करते हैं तो लोग उन्हें पत्थर या लाठी से मारने को दौड़ते हैं. लेकिन लोग कभी ये नहीं सोचते कि उनका पीछा करने या उन्हे दौड़ाने के पीछे क्या कारण है. डॉक्टर ने बताया कि जानवरों के साथ पहले ऐसा कुछ हुआ होगा या किसी ने उन्हें नुकसान पहुंचाया होगा. तो जानवरों के अंदर वो चीजे घर कर जाती हैं. इसी कारण से वह आने जाने वाले लोगो पर भोकतें हैं या उनका पीछा करते हैं. अगर उस समय इंसान वहीं रुक जाए तो वो कुछ नहीं करते और चुपचाप वहां से चले जाते हैं.


कुत्तों को बाढ़ में फंसा देखा तो घर ले आयी
जानवरों के बारे में जब हमने कुछ लोगों से बात की तब हमने वहां रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी जी आर चंद्राकर को देखा जो वहां अपने डॉग को वैक्सीन का कंजक्शन दिलवाने आए हुए थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक स्ट्रीट डॉग पाला है. जो उनकी बेटी केरल से लायी थी. उन्होंने बताया कि जब उनकी बिटिया केरल में पढ़ती थी तो वहां पर बाढ़ आयी थी. इसके चलते कुछ स्ट्रीट डॉग्स के बच्चे उन्हें बारिश में एक शटर के नीचे छुपे मिले. उन्होंने बच्चों को बचाया और उनको खाना खिलाया. उसके बाद जब उनकी बेटियां रायपुर शिफ्ट होने लगी तो वो उस डॉग को अपने साथ ले आई.

Intro:विश्व पशु कल्याण दिवस एक अन्तराष्ट्रीय दिवस है जो कि प्रतिवर्ष 4 अक्टूबर को मनाया जाता है। आज की इस दुनिया में जहां हर किसी को जिंदा रहने के लिए हर दिन प्रयास करना पड़ता है मेहनत करनी पड़ती है चाहे वह इंसान हो या जानवर। दुनिया में जहां हर किसी के लिए लिमिटेड रिसोर्सेज है और पृथ्वी पर जीवन बरकरार रखने के लिए इंसान और जानवरों इसका बराबर उपयोग करे और एक दूसरे के साथ बैलेंस बनाते हुए चले वरना पृथ्वी पर जीवन नामुमकिन है जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे पूर्वज जानवर रह चुके हैं और पृथ्वी पर इंसानों के पहले जानवरों का ही राज चलता था पर जैसे जैसे इंसानों की तादाद बढ़ती गई वैसे वैसे पृथ्वी पर जानवर कम होते गए और तो कुछ ऐसी जानवरों की स्पीशीज है जो कि आज लुप्त हो चुकी है जिसमें काफी हद तक हम इंसानों का दोष है। बढ़ती जनसंख्या के कारण जानवरों और इंसानों के बीच तकरार भी बढ़ती जा रही है पर इंसानों को समझना चाहिए जानवर बेजुबान होते हैं और वह बोलकर नहीं अपनी हरकतों से अपने प्यार को दर्शाते है। दुनिया को यह जानना बहुत जरूरी है कि हम जानवरों के परिवेश को छीन कर अपना परिवेश बना रहे हैं तो कम से कम उन्हें अपने सामान्य समझा जाए और साथ मिलकर एक अच्छी दुनिया बनाई जाए।

Body:वही जब हमने पशु डॉक्टरों से बात की तो डॉक्टरों ने बताया कि जानवर बेजुबान होते हैं और जानवर अपनी हरकतों से और अपनी वफादारी से अक्सर यह साबित करते हैं कि वह इंसानों के काफी अच्छे दोस्त हैं। वही जब इंसानों की बात की जाए तो काफी इंसान जानवरों के प्रति काफी जागरूक हैं और अपने पेट से काफी प्यार भी करते हैं और अक्सर चोटी से चोटी चोट लगने पर भी तुरंत डॉक्टर के पास अपने जानवरों का इलाज करवाने पहुंच जाते है और उन्होंने काफी जानवरों का इलाज भी किया है और अक्सर यह पाया है कि जानवरों की आंखों में आंसू आते या जानवरों को दर्द होता देख उनके मालिक के आंखों में भी आंसू आ जाते हैं और उन्हें भी दर्द का एहसास होने लगता है। कुछ ऐसे लोग हैं जो जानवरों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं और उन्हें मारते पीटते हैं डॉक्टरों ने बताया कि वह खुद मानसिक रोगी होते हैं और अपना गुस्सा या किसी अन्य का गुस्सा किसी बेजुबान जानवर पर दिखाते हैं।

अक्सर रास्तों पर गाड़ी से पैदल जाते लोगों पर जब जानवर भोंकते हैं या उनका पीछा करते हैं तो लोगों ने पत्थर फेंके या लाठी से मारने को देखते हैं पर वह कभी यह नहीं सोचते कि उनकी ऐसी क्या समस्या है कि जानवर उनके गाड़ी और पैदल चते इंसानों का पीछे करते हैं डॉक्टर ने बताया की जानवरों पर पहले ऐसा कुछ हुआ होगा जब गाड़ी चलाने वाले और पैदल चलने वाले उन्हें मारे पीते होंगे जिसे वह अब तक नहीं भुला पाएंगे इसी कारण से वह आने जाने वाले पर भोका करते हैं उन्हें पीछा किया करते हैं पर अगर उस समय इंसान खड़ा हो जाए तो वह कुछ नहीं करते और चुपचाप वहां से चले जाते हैं।

Conclusion:जब हमने कुछ लोगों से बात करने की कोशिश की तब हमने वाहा राजधानी रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी जी आर चंद्राकर को देखा जो वाहा अपने डॉग को वैक्सीन का कंजक्शन दिलवाने डॉक्टर के पास आए हुए थे उन्होंने बताया कि उन्होंने एक स्ट्रीट डॉग पाला है जो कि उनकी बेटियों ने केरल से लाया था उन्होंने बताया कि जब उनकी बिटिया केरल में पढ़ती थी तो वहां पर बाढ़ आया था जिसके कारण कुछ स्ट्रीट डॉग्स के बच्चे उन्हें बारिश में एक शतर के नीचे छुपे मिले वहां से उन्होंने बच्चों को बचाया और उनको खाना खिलाया उसके बाद जब उनकी बेटियां रायपुर शिफ्ट होने लगी तो वह डॉग को अपने साथ लेते आ गई और आज भी डॉग उनके साथ रहता है और वह उनसे काफी प्यार करते हैं।

बाइट :- डॉक्टर संजय जैन (पशु चिकित्सक)
बाइट :- डॉ विपिन कुमार सिंह (पशु चिकित्सक)
बाइट :- रायपुर जिला शिक्षक अधिकारी जीआर चंद्राकर
बाइट :- वैभव तेलांग (डॉग ओनर)

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर



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