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20 साल का छत्तीसगढ़: जैसी परिकल्पना थी वैसा नहीं बन सका हमारा छत्तीसगढ़: जागेश्वर प्रसाद

छत्तीसगढ़ राज्य अपने स्थापना के 20 वर्ष पूरा कर चुका है. छत्तीसगढ़ राज्य बनाने के पीछे न जाने कितनों से संघर्ष किया, कई लोगों ने यातनाएं सही, तब जाकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ. इन सभी बातों को लेकर ETV भारत ने राज्य आंदोलन में शामिल जागेश्वर प्रसाद से खास बातचीत की.

Special story on Chhattisgarh Foundation Day
जागेश्वर प्रसाद से खास बातचीत
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Published : Oct 31, 2020, 4:08 PM IST

Updated : Oct 31, 2020, 9:39 PM IST

रायपुर: 1 नवंबर साल 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई. आज छत्तीसगढ़ राज्य को अस्तित्व में आए पूरे 20 साल हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ राज्य अब 21वें साल में प्रवेश करने जा रहा है. छत्तीसगढ़ को राज्य बनाने के लिए बहुत से आंदोलन किए गए हैं. छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के लिए लोगों ने लाठियां खाई है और जेल की यातनाएं भी सही हैं. राज्य स्थापना दिवस के मौके पर ETV भारत ने राज्य आंदोलन में शामिल जागेश्वर प्रसाद से खास बातचीत की. जिन्होंने साल 1965 से छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना तक लगातार आंदोलन किया.

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 20 वर्ष

जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य बनाने की जरूरत क्यों पड़ी, इसे समझना जरूरी है. छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधन से संपन्न है, पूरे मध्यप्रदेश का 65% राजस्व अकेला छत्तीसगढ़ देता था. लेकिन इसके बावजूद भी छत्तीसगढ़ के लोगों का शोषण होता था. उपेक्षा होती थी और दमन होता था. इन्हीं 3 कारणों के चलते छत्तीसगढ़ राज्य की परिकल्पना सर्वप्रथम पंडित सुंदरलाल शर्मा ने की. इसके बाद डॉ. खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ सभा का आयोजन किया था.

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 20 वर्ष

1965 में छत्तीसगढ़ समाज पार्टी की स्थापना

जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि सही मायने में छत्तीसगढ़ राज्य के मूल उद्देश्य को लेकर 16 मई 1965 से छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी (छसपा) की स्थापना हुई. उसी दिन से प्रथम छत्तीसगढ़ी अधिवेशन रायपुर के आरडी तिवारी स्कूल में आयोजित किया गया था. वहां छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का शंखनाद किया गया. जिसके बाद साल 1965 से लेकर जब तक छत्तीसगढ़ राज्य नहीं बना तब तक लगातार आंदोलन जारी रहा.

Special story on Chhattisgarh Foundation Day
छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर किए गए आंदोलन

हजारों रैलियां और गिरफ्तारियां हुई

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए हजारों रैलियां और हजारों लोगों ने गिरफ्तारियां दी है. जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि राज्य निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ के हर गांव, कस्बे, ब्लॉक जिला मुख्यालय में हजारों बैठक, सम्मेलन, रैली और प्रदर्शन किया गया. इसके साथ ही चक्काजाम, रेल रोको, जेल भरो आंदोलन भी किया गया. जिसमें हजारों लोगों ने अपनी गिरफ्तारियां दी.

Special story on Chhattisgarh Foundation Day
छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर किए गए आंदोलन

ऐसे समझिए संघर्ष का क्रम

  • जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि छत्तीसगढ़ी समाज ने 16 जनवरी 1967 को सर्वप्रथम राष्ट्रपति को मांग पत्र प्रेषित किया. जिसमें 5 हजार से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किया था. यह प्रस्ताव रायपुर के ईदगाहभाटा में आयोजित आम सभा में पास किया गया. सभा की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ी समाज के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय रामानंद शुक्ला ने की थी.
  • साल 1971 में छत्तीसगढ़ी को संवैधानिक रूप से मातृभाषा का दर्जा देने की मांग रखकर आंदोलन किए गए. बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के काउंटरों पर कब्जा कर छत्तीसगढ़ी भाषा में अनाउंसमेंट करवाया गया. साथ ही 1971 में जनगणना कार्य में मात्र भाषा कॉलम पर छत्तीसगढ़ी भाषा लिखवाने का भी काम किया गया था.
  • 2 दिसंबर 1978 को छसपा (छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी) के संस्थापक और तत्कालीन अध्यक्ष आचार्य नरेंद्र दुबे, 15 प्रतिनिधि मंडल सहित तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ राज्य की अनिवार्यता और गठन के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई.
    Special story on Chhattisgarh Foundation Day
    छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर किए गए आंदोलन
  • छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए 21 नवंबर 1978 को दिल्ली रैली करने जा रहे हजारों कार्यकर्ताओं को झांसी में रोक दिया गया. छत्तीसगढ़ी समाज के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली जाने वाली सभी ट्रेनों को कई घंटे तक रोके रखा. जिसकी वजह से सैकड़ों लोग ट्रेन में फंसे रह गए. फिर रेलवे प्रशासन ने सभी की वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की. उस समय भोपाल में उतरकर रैली के जरिए कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा.
  • इसी तरह साल 1984, 1988, में विशाल रैली प्रदर्शन कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया.
  • 10 मई 1989 को छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण एवं धारा 170 (ख) के मुद्दे को लेकर विधानसभा में पर्चा फेंका गया था. जिससे 3 लोगों को विधानसभा उठते तक सजा हुई थी.
  • 13 फरवरी 1994 को विधानसभा भवन के सामने छसपा ने विशाल प्रदर्शन कर 5 हजार से ज्यादा लोगों ने गिरफ्तारी दर्ज कराकर, मध्य प्रदेश सरकार को राज्य बनाने के लिए बाध्य किया. जिसके चलते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विधानसभा में संकल्प पारित किया.
  • 19 फरवरी 1996 को रायपुर में ऐतिहासिक और विशाल रैली प्रदर्शन का आयोजन किया गया. जिसमें 15 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए. इसमें सबसे ज्यादा संख्या में छात्रों ने भागीदारी निभाई थी.
  • 24 जुलाई 2000 को सर्वप्रथम छसपा ने दिल्ली में संसद मार्च रैली का आयोजन किया. जिसमें 8 हजार से ज्यादा लोगों ने शिरकत की थी. इसमें से करीब 5 हजार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इस प्रदर्शन और गिरफ्तारी के दबाव में आकर केंद्र शासन ने आश्वासन दिया था कि 48 घंटे में विधेयक पेश करेंगे और 31 जुलाई को केंद्र सरकार ने संसद में चर्चा कर छत्तीसगढ़ को नया राज्य बनाने के लिए विधेयक पास किया.

सरकारों ने नहीं किया वैसा काम: जागेश्वर

जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य की परिकल्पना छत्तीसगढ़ को शोषण मुक्त राज्य बनाने के लिए की गई थी. लेकिन जिस उद्देश्य को लेकर यह राज्य बनाया गया, यहां की सरकारों ने वैसा काम नहीं किया. इसका कारण यह है कि सत्ता से लेकर अन्य सभी अधिकारियों और अन्य जगहों पर स्थानीय लोगों को प्राथमिकता नहीं दी गई. जिसके चलते छत्तीसगढ़ के निवासियों का शोषण हुआ. साथ ही जितने भी सत्तासीन छत्तीसगढ़ के लोग हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनता के प्रति वफादारी नहीं दिखाकर अपनी पार्टी के लिए वफादारी दिखाई. जिसके चलते यह शोषण जारी रहा.

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छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर किए गए आंदोलन

गलत नीतियों का करते रहेंगे पर्दाफाश

जागेश्वर प्रसाद के मुताबिक शोषण मुक्त छत्तीसगढ़िया राज, हर हाथ में काम, हर खेत में पानी, नारी को सम्मान, ये सारी चीजें छत्तीसगढ़ के लोगों को मिलना चाहिए. यह तभी होगा जब मूल रूप से पार्टी बंदी से ऊपर उठकर इस मिट्टी के प्रति प्रेम और हमदर्दी होगी. ऐसी नैतिकवान, नैत्तित्व के हाथ में हम बागडोर सौंपना चाहते हैं. यह जब तक नहीं होगा तब तक शोषण जारी रहेगा. हम लगातार शासन को यह आगाह कर रहे हैं कि जब तक शोषण खत्म नहीं हो जाता, तब तक सरकार की खिलाफत करते रहेंगे. सरकार की गलत नीतियों का पर्दाफाश करते रहेंगे.

रायपुर: 1 नवंबर साल 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई. आज छत्तीसगढ़ राज्य को अस्तित्व में आए पूरे 20 साल हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ राज्य अब 21वें साल में प्रवेश करने जा रहा है. छत्तीसगढ़ को राज्य बनाने के लिए बहुत से आंदोलन किए गए हैं. छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के लिए लोगों ने लाठियां खाई है और जेल की यातनाएं भी सही हैं. राज्य स्थापना दिवस के मौके पर ETV भारत ने राज्य आंदोलन में शामिल जागेश्वर प्रसाद से खास बातचीत की. जिन्होंने साल 1965 से छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना तक लगातार आंदोलन किया.

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 20 वर्ष

जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य बनाने की जरूरत क्यों पड़ी, इसे समझना जरूरी है. छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधन से संपन्न है, पूरे मध्यप्रदेश का 65% राजस्व अकेला छत्तीसगढ़ देता था. लेकिन इसके बावजूद भी छत्तीसगढ़ के लोगों का शोषण होता था. उपेक्षा होती थी और दमन होता था. इन्हीं 3 कारणों के चलते छत्तीसगढ़ राज्य की परिकल्पना सर्वप्रथम पंडित सुंदरलाल शर्मा ने की. इसके बाद डॉ. खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ सभा का आयोजन किया था.

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 20 वर्ष

1965 में छत्तीसगढ़ समाज पार्टी की स्थापना

जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि सही मायने में छत्तीसगढ़ राज्य के मूल उद्देश्य को लेकर 16 मई 1965 से छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी (छसपा) की स्थापना हुई. उसी दिन से प्रथम छत्तीसगढ़ी अधिवेशन रायपुर के आरडी तिवारी स्कूल में आयोजित किया गया था. वहां छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का शंखनाद किया गया. जिसके बाद साल 1965 से लेकर जब तक छत्तीसगढ़ राज्य नहीं बना तब तक लगातार आंदोलन जारी रहा.

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छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर किए गए आंदोलन

हजारों रैलियां और गिरफ्तारियां हुई

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए हजारों रैलियां और हजारों लोगों ने गिरफ्तारियां दी है. जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि राज्य निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ के हर गांव, कस्बे, ब्लॉक जिला मुख्यालय में हजारों बैठक, सम्मेलन, रैली और प्रदर्शन किया गया. इसके साथ ही चक्काजाम, रेल रोको, जेल भरो आंदोलन भी किया गया. जिसमें हजारों लोगों ने अपनी गिरफ्तारियां दी.

Special story on Chhattisgarh Foundation Day
छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर किए गए आंदोलन

ऐसे समझिए संघर्ष का क्रम

  • जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि छत्तीसगढ़ी समाज ने 16 जनवरी 1967 को सर्वप्रथम राष्ट्रपति को मांग पत्र प्रेषित किया. जिसमें 5 हजार से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किया था. यह प्रस्ताव रायपुर के ईदगाहभाटा में आयोजित आम सभा में पास किया गया. सभा की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ी समाज के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय रामानंद शुक्ला ने की थी.
  • साल 1971 में छत्तीसगढ़ी को संवैधानिक रूप से मातृभाषा का दर्जा देने की मांग रखकर आंदोलन किए गए. बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के काउंटरों पर कब्जा कर छत्तीसगढ़ी भाषा में अनाउंसमेंट करवाया गया. साथ ही 1971 में जनगणना कार्य में मात्र भाषा कॉलम पर छत्तीसगढ़ी भाषा लिखवाने का भी काम किया गया था.
  • 2 दिसंबर 1978 को छसपा (छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी) के संस्थापक और तत्कालीन अध्यक्ष आचार्य नरेंद्र दुबे, 15 प्रतिनिधि मंडल सहित तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ राज्य की अनिवार्यता और गठन के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई.
    Special story on Chhattisgarh Foundation Day
    छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर किए गए आंदोलन
  • छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए 21 नवंबर 1978 को दिल्ली रैली करने जा रहे हजारों कार्यकर्ताओं को झांसी में रोक दिया गया. छत्तीसगढ़ी समाज के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली जाने वाली सभी ट्रेनों को कई घंटे तक रोके रखा. जिसकी वजह से सैकड़ों लोग ट्रेन में फंसे रह गए. फिर रेलवे प्रशासन ने सभी की वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की. उस समय भोपाल में उतरकर रैली के जरिए कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा.
  • इसी तरह साल 1984, 1988, में विशाल रैली प्रदर्शन कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया.
  • 10 मई 1989 को छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण एवं धारा 170 (ख) के मुद्दे को लेकर विधानसभा में पर्चा फेंका गया था. जिससे 3 लोगों को विधानसभा उठते तक सजा हुई थी.
  • 13 फरवरी 1994 को विधानसभा भवन के सामने छसपा ने विशाल प्रदर्शन कर 5 हजार से ज्यादा लोगों ने गिरफ्तारी दर्ज कराकर, मध्य प्रदेश सरकार को राज्य बनाने के लिए बाध्य किया. जिसके चलते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विधानसभा में संकल्प पारित किया.
  • 19 फरवरी 1996 को रायपुर में ऐतिहासिक और विशाल रैली प्रदर्शन का आयोजन किया गया. जिसमें 15 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए. इसमें सबसे ज्यादा संख्या में छात्रों ने भागीदारी निभाई थी.
  • 24 जुलाई 2000 को सर्वप्रथम छसपा ने दिल्ली में संसद मार्च रैली का आयोजन किया. जिसमें 8 हजार से ज्यादा लोगों ने शिरकत की थी. इसमें से करीब 5 हजार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इस प्रदर्शन और गिरफ्तारी के दबाव में आकर केंद्र शासन ने आश्वासन दिया था कि 48 घंटे में विधेयक पेश करेंगे और 31 जुलाई को केंद्र सरकार ने संसद में चर्चा कर छत्तीसगढ़ को नया राज्य बनाने के लिए विधेयक पास किया.

सरकारों ने नहीं किया वैसा काम: जागेश्वर

जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य की परिकल्पना छत्तीसगढ़ को शोषण मुक्त राज्य बनाने के लिए की गई थी. लेकिन जिस उद्देश्य को लेकर यह राज्य बनाया गया, यहां की सरकारों ने वैसा काम नहीं किया. इसका कारण यह है कि सत्ता से लेकर अन्य सभी अधिकारियों और अन्य जगहों पर स्थानीय लोगों को प्राथमिकता नहीं दी गई. जिसके चलते छत्तीसगढ़ के निवासियों का शोषण हुआ. साथ ही जितने भी सत्तासीन छत्तीसगढ़ के लोग हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनता के प्रति वफादारी नहीं दिखाकर अपनी पार्टी के लिए वफादारी दिखाई. जिसके चलते यह शोषण जारी रहा.

Special story on Chhattisgarh Foundation Day
छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर किए गए आंदोलन

गलत नीतियों का करते रहेंगे पर्दाफाश

जागेश्वर प्रसाद के मुताबिक शोषण मुक्त छत्तीसगढ़िया राज, हर हाथ में काम, हर खेत में पानी, नारी को सम्मान, ये सारी चीजें छत्तीसगढ़ के लोगों को मिलना चाहिए. यह तभी होगा जब मूल रूप से पार्टी बंदी से ऊपर उठकर इस मिट्टी के प्रति प्रेम और हमदर्दी होगी. ऐसी नैतिकवान, नैत्तित्व के हाथ में हम बागडोर सौंपना चाहते हैं. यह जब तक नहीं होगा तब तक शोषण जारी रहेगा. हम लगातार शासन को यह आगाह कर रहे हैं कि जब तक शोषण खत्म नहीं हो जाता, तब तक सरकार की खिलाफत करते रहेंगे. सरकार की गलत नीतियों का पर्दाफाश करते रहेंगे.

Last Updated : Oct 31, 2020, 9:39 PM IST
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