ETV Bharat / state

बघेल का बहीखाता: बजट से क्या है किसानों की उम्मीदें

author img

By

Published : Feb 15, 2020, 4:11 PM IST

Updated : Feb 15, 2020, 6:29 PM IST

प्रदेश के नए वित्तीय वर्ष 2020-21 की बजट को लेकर कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को काफी उम्मीदें हैं. किसानों का कहना है कि प्रदेश में सिंचाई का रकबा और बढ़ाने की जरूरत है. हर खेत को पानी, बिजली और रास्ता मिले तभी किसान उन्नति कर पाएंगे. इसके बिना तो अन्य योजनाओं का उचित लाभ भी नहीं मिल पाएगा. प्रदेश में छोटे और मझोले किसानों के बीच भेदभाव खत्म होना चाहिए. सिर्फ नरवा गरुवा घुरवा अउ बारी की बात कहकर किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत नहीं किया जा सकता.

बघेल का बहीखाता
बघेल का बहीखाता

रायपुर: भूपेश सरकार जल्द ही अपना बजट विधानसभा में पेश करेगी. इस बजट से पहले हम कृषि प्रधान राज्य छत्तीसगढ़ में अलग-अलग सेक्टर से जुड़े लोगों से बातचीत कर समझने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्य सरकार से उनकी क्या उम्मीदें हैं. इसी कड़ी में ETV भारत ने कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों से खास बातचीत की.

बघेल का बहीखाता

प्रदेश में 60 फीसदी लोग कृषि और इससे संबंधित कार्य में लगे हुए हैं. प्रदेश के नए वित्तीय वर्ष 2020-21 की बजट को लेकर कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को काफी उम्मीदें हैं.

योजनाओं का नहीं मिल पाया है लाभ

किसानों का कहना है कि प्रदेश में सिंचाई का रकबा और बढ़ाने की जरूरत है. हर खेत को पानी, बिजली और रास्ता मिले तभी किसान उन्नति कर पाएंगे. इसके बिना तो अन्य योजनाओं का उचित लाभ भी नहीं मिल पाएगा. प्रदेश में छोटे और मझोले किसानों के बीच भेदभाव खत्म होना चाहिए. सिर्फ नरवा गरुवा घुरवा अउ बारी की बात कहकर किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत नहीं किया जा सकता.

बेहतर मार्केटिंग और प्रोसेसिंग की व्यवस्था हो

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नवाचारी और औषधि फसलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए तभी आय बढ़ेगी. कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर कहते हैं कि कृषि की लागत को समझकर उत्पादन और लाभ को बढ़ाने वाली बजट की जरूरत है. फसलों के मूल्य का सही आकलन तभी होगा, जब बेहतर मार्केटिंग और प्रोसेसिंग की व्यवस्था हो. सरकार को पंचवर्षीय योजनाएं लाने की जरूरत है. किसानों को मिल रही योजना की सही तरह से निगरानी होनी चाहिए. अधिकारियों के भरोसे योजना नहीं चल सकती. अनुदान की मौजूदा व्यवस्था को बदलने की भी दरकार है.

कृषि पर आधारित है आधारित है मार्केट की अर्थव्यवस्था

अर्थशास्त्री डॉ. विनोद जोशी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदान है. पूरे मार्केट की अर्थव्यवस्था कृषि पर ही आधारित है. यदि किसानों और कृषि से जुड़े परिजनों के पास सुख-समृद्धि नहीं आएगी तो पूरे प्रदेश में आर्थिक व्यवस्था चौपट हो सकती है. प्रदेश में टिकाऊ ओपन देसी योजनाएं बनाए जाने की जरूरत है. किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिलना अत्यधिक जरूरी है. साथ ही मौसम की बेरुखी और प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को सही समय पर सरकारी मदद की जरूरत होती है.

मछली पालन और व्यवसायिक गतिविधियों पर काम करने की जरूरत

अगर फसल बीमा जैसी योजनाओं पर केंद्र के साथ ही राज्य की भी कुछ योजनाओं का लाभ दिया जाए, तो उन्हें बड़ा फायदा हो सकता है. साथ ही किसानों के सामने भी केवल कृषि ही नहीं बल्कि इससे जुड़े अन्य व्यवसाय जैसे कृषि, मछली पालन और व्यवसायिक गतिविधियों पर काम करने की जरूरत है.

मेहनत और फसल का सही दाम मिल सके

कुल मिलाकर खेती-किसानी और कृषि बजट को किसानों के हित लाने की जरूरत है ताकि किसानों को उनकी मेहनत और फसल का सही दाम मिल सके. चुनावी घोषणाओं पर अमल करने के साथ ही किसानों को स्थानीय स्तर पर भी छोटी-छोटी चुनौतियों से सामना करने के लिए कई जमीनी योजनाओं की जरूरत है. उम्मीद है इन सब बातों पर गौर करते हुए छत्तीसगढ़ का बजट बनाया जाएगा.

रायपुर: भूपेश सरकार जल्द ही अपना बजट विधानसभा में पेश करेगी. इस बजट से पहले हम कृषि प्रधान राज्य छत्तीसगढ़ में अलग-अलग सेक्टर से जुड़े लोगों से बातचीत कर समझने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्य सरकार से उनकी क्या उम्मीदें हैं. इसी कड़ी में ETV भारत ने कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों से खास बातचीत की.

बघेल का बहीखाता

प्रदेश में 60 फीसदी लोग कृषि और इससे संबंधित कार्य में लगे हुए हैं. प्रदेश के नए वित्तीय वर्ष 2020-21 की बजट को लेकर कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को काफी उम्मीदें हैं.

योजनाओं का नहीं मिल पाया है लाभ

किसानों का कहना है कि प्रदेश में सिंचाई का रकबा और बढ़ाने की जरूरत है. हर खेत को पानी, बिजली और रास्ता मिले तभी किसान उन्नति कर पाएंगे. इसके बिना तो अन्य योजनाओं का उचित लाभ भी नहीं मिल पाएगा. प्रदेश में छोटे और मझोले किसानों के बीच भेदभाव खत्म होना चाहिए. सिर्फ नरवा गरुवा घुरवा अउ बारी की बात कहकर किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत नहीं किया जा सकता.

बेहतर मार्केटिंग और प्रोसेसिंग की व्यवस्था हो

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नवाचारी और औषधि फसलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए तभी आय बढ़ेगी. कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर कहते हैं कि कृषि की लागत को समझकर उत्पादन और लाभ को बढ़ाने वाली बजट की जरूरत है. फसलों के मूल्य का सही आकलन तभी होगा, जब बेहतर मार्केटिंग और प्रोसेसिंग की व्यवस्था हो. सरकार को पंचवर्षीय योजनाएं लाने की जरूरत है. किसानों को मिल रही योजना की सही तरह से निगरानी होनी चाहिए. अधिकारियों के भरोसे योजना नहीं चल सकती. अनुदान की मौजूदा व्यवस्था को बदलने की भी दरकार है.

कृषि पर आधारित है आधारित है मार्केट की अर्थव्यवस्था

अर्थशास्त्री डॉ. विनोद जोशी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदान है. पूरे मार्केट की अर्थव्यवस्था कृषि पर ही आधारित है. यदि किसानों और कृषि से जुड़े परिजनों के पास सुख-समृद्धि नहीं आएगी तो पूरे प्रदेश में आर्थिक व्यवस्था चौपट हो सकती है. प्रदेश में टिकाऊ ओपन देसी योजनाएं बनाए जाने की जरूरत है. किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिलना अत्यधिक जरूरी है. साथ ही मौसम की बेरुखी और प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को सही समय पर सरकारी मदद की जरूरत होती है.

मछली पालन और व्यवसायिक गतिविधियों पर काम करने की जरूरत

अगर फसल बीमा जैसी योजनाओं पर केंद्र के साथ ही राज्य की भी कुछ योजनाओं का लाभ दिया जाए, तो उन्हें बड़ा फायदा हो सकता है. साथ ही किसानों के सामने भी केवल कृषि ही नहीं बल्कि इससे जुड़े अन्य व्यवसाय जैसे कृषि, मछली पालन और व्यवसायिक गतिविधियों पर काम करने की जरूरत है.

मेहनत और फसल का सही दाम मिल सके

कुल मिलाकर खेती-किसानी और कृषि बजट को किसानों के हित लाने की जरूरत है ताकि किसानों को उनकी मेहनत और फसल का सही दाम मिल सके. चुनावी घोषणाओं पर अमल करने के साथ ही किसानों को स्थानीय स्तर पर भी छोटी-छोटी चुनौतियों से सामना करने के लिए कई जमीनी योजनाओं की जरूरत है. उम्मीद है इन सब बातों पर गौर करते हुए छत्तीसगढ़ का बजट बनाया जाएगा.

Last Updated : Feb 15, 2020, 6:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.