रायपुर: उत्पत्ति एकादशी (Utpatti ekadashi) मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को मनाई जाती है. एकादशी के पवित्र त्यौहार की शुरुआत इसी दिन से शुरू हुई थी. इसलिए इसे उत्पत्ति एकादशी (Uthana ekadashi) कहा जाता है. आज के शुभ दिन में पुंसवन सीमांत श्रुति स्नान व अन्य वैदिक संस्कार का शुभ विधान है. इस एकादशी को बहुत पवित्र माना गया है. यह अगहन की एकादशी भी कहलाती है. वहीं, इस बार 30 नवंबर को एकादशी में त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है. हस्त नक्षत्र आयुष्मान योग बालवकरण और सौम्य नामक सुंदर संयोग में यह एकादशी परिलक्षित हो रही है.
इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा विराजमान
इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे. मंगलवार का दिन होने की वजह से श्री हनुमान जी की भी आराधना, साधना, उपासना करना श्रेष्ठ रहेगा. इस दिन प्रातः काल में सूर्योदय से पहले स्नान जानकर नवीन वस्त्र धारण कर भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन पाठ आदि किया जाता है. भगवान विष्णु महामंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय जो कि द्वादश अक्षर मंत्र कहलाता है. इसका पाठ करना चाहिए. विष्णु सहस्त्रनाम विष्णु चालीसा आदि का भी जाप का शुभ माना गया है. पुरुष सुक्तम लक्ष्मी सुक्तम का पाठ करना विशेष फल देता है. इस शुभ दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का अधिकाधिक पाठ करना चाहिए. इस दिन पीला सफेद आदि शुभ वस्त्रों को धारण करना चाहिए. भगवान श्री हरि विष्णु को पीला फूल पुष्पों की माला आदि चढ़ाई जानी चाहिए. पूरी निष्ठा श्रद्धा और मनोयोग से उत्पत्ति एकादशी का व्रत करने पर अनेक यज्ञों के बराबर परिणाम प्राप्त होते हैं.
इसलिए है विशेष
इस एकादशी का अपने आप में विशिष्ट महत्व माना गया है. अनेक कन्यादान के पुण्य फल के बराबर इस व्रत को करने पर लाभ मिलता है. मनुष्य मोक्ष को प्राप्त होता है. आज के शुभ दिन संयमित और अनुशासित होकर जीवन जीना चाहिए. यह व्रत अगहन मास में होने की वजह से बहुत ही पावन और कल्याणकारी माना गया है. मंगलवार का शुभ दिन होने से शुभता का बोध होता है. आज के दिन सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का भी पाठ करना चाहिए.