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Etv Bharat Face to Face : आजादी के बाद भी RSS ने संविधान का किया अपमान : शैलेष नितिन त्रिवेदी

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Published : May 21, 2022, 7:36 PM IST

Etv Bharat Face to Face : छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी (Shailesh Nitin Trivedi) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने पाठ्यपुस्तक निगम की चुनौतियों के साथ आरएसएस पर भी हमला बोला है.

Etv Bharat Face to Face
शैलेष नितिन त्रिवेदी से खास मुलाकात

रायपुर : छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी (Shailesh Nitin Trivedi) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. बातचीत के दौरान त्रिवेदी ने कहा कि निगम, सस्ते दर पर कागज की खरीदी और गुणवत्ता के पैमाने पर देश में अव्वल स्थान पर रहा. शैलेश नितिन त्रिवेदी छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष बनने से पहले छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के प्रमुख थे. बातचीत के दौरान त्रिवेदी ने बीजेपी और आरएसएस पर भी निशाना साधा.

शैलेष नितिन त्रिवेदी से खास मुलाकात
सवाल : आप के अध्यक्ष बनने के बाद छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के कामकाज में क्या बदलाव आया ?

जवाब : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने जब मुझे पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष पद की जवाबदारी सौंपी थी, उस समय बड़ी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां थी. कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन था . ऐसी स्थिति में किताबें प्रिंट करवाना, कागज की सप्लाई सुनिश्चित करना और किताबों का वितरण कर पाना बहुत कठिन काम था. लेकिन निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों, परिवहन कर्ताओं और आपूर्तिकर्ताओं ने इस काम को पूर्ण किया. छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष बनने के बाद, मेरे कार्यकाल में बहुत सारे परिवर्तन किए. हमने प्रिंटिंग की तकनीक को बदला जिससे निगम को आर्थिक लाभ हुआ.

सवाल : क्या छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, देश का पहला ऐसा निगम है, जिसने सबसे कम कीमत में अच्छी क्वालिटी की पेपर खरीदी की है ?
जवाब : पाठ्य पुस्तक निगम में कागज की खरीदी मिलों से की जाती है. फिर उसे प्रिंटर को दिया जाता है. मुझे बेहद खुशी है कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने पूरे देश के निगमों की तुलना में सबसे सस्ता कागज खरीदा है. परिवहन का चार्ज ज्यादा लगने के बावजूद, हमने मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में सस्ता और गुणवत्ता की मापदंड में सबसे अच्छे कागज की खरीदी की है. यह निगम की बड़ी उपलब्धि है.

सवाल : क्या आपको लगता है कि छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, कला, और स्थानीय महापुरुषों को शिक्षा के पाठ्यक्रमों में औऱ ज्यादा स्थान देने के लिए पहल की जानी चाहिए ?
जवाब : संविधान दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने घोषणा की थी, कि छत्तीसगढ़ के छात्रों को संविधान की जानकारी देने वाली पुस्तकें वितरित की जाएंगी. छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने अपनी लाभांश की राशि से, मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप प्रदेश के छात्रों को संविधान की जानकारी देने वाली पुस्तकें उपलब्ध करवाई. हम मुख्यमंत्री द्वारा की गई दूसरी घोषणा के अनुरूप द्विभाषी पुस्तकें भी स्कूलों में उपलब्ध करवा रहे हैं. इन पुस्तकों में हिंदी के साथ स्थानीय लोक बोली में भी पाठ दिए गए हैं. यह भी पूरे देश में, छत्तीसगढ़ सरकार की अनूठी और अभिनव पहल है.

सवाल : बीजेपी का आरोप रहता है, कि कांग्रेस सरकार द्वारा, अपनी विचारधारा के ही महापुरुषों को शिक्षा के पाठ्यक्रमों में स्थान दिया जा रहा है. क्या इसमें सच्चाई है ?
जवाब : भाजपा ने अपने शासनकाल में इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे महापुरुषों ने आजादी की लड़ाई लड़ी. इन्होंने अपने जीवन के कई वर्ष जेल में बिताए. किसने रोका था भाजपा और आरएसएस के लोगों को, उस समय जेल जाने से ? आजादी की लड़ाई लड़ते-लड़ते जेल गए होते, तो इनका नाम भी आता. संविधान निर्माण में बाबा साहब अंबेडकर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. आरएसएस के लोग तो आजादी के बाद भी, वर्षों तक हमारे संविधान का अपमान करते रहे. अनादर करते रहे. इनके द्वारा आज भी संविधान के मूल स्वरूप को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में ये लोग किस तरह स्थान पाना चाहते हैं, मैं यह समझ पाने में असमर्थ हूँ.

रायपुर : छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी (Shailesh Nitin Trivedi) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. बातचीत के दौरान त्रिवेदी ने कहा कि निगम, सस्ते दर पर कागज की खरीदी और गुणवत्ता के पैमाने पर देश में अव्वल स्थान पर रहा. शैलेश नितिन त्रिवेदी छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष बनने से पहले छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के प्रमुख थे. बातचीत के दौरान त्रिवेदी ने बीजेपी और आरएसएस पर भी निशाना साधा.

शैलेष नितिन त्रिवेदी से खास मुलाकात
सवाल : आप के अध्यक्ष बनने के बाद छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के कामकाज में क्या बदलाव आया ?

जवाब : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने जब मुझे पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष पद की जवाबदारी सौंपी थी, उस समय बड़ी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां थी. कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन था . ऐसी स्थिति में किताबें प्रिंट करवाना, कागज की सप्लाई सुनिश्चित करना और किताबों का वितरण कर पाना बहुत कठिन काम था. लेकिन निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों, परिवहन कर्ताओं और आपूर्तिकर्ताओं ने इस काम को पूर्ण किया. छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष बनने के बाद, मेरे कार्यकाल में बहुत सारे परिवर्तन किए. हमने प्रिंटिंग की तकनीक को बदला जिससे निगम को आर्थिक लाभ हुआ.

सवाल : क्या छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, देश का पहला ऐसा निगम है, जिसने सबसे कम कीमत में अच्छी क्वालिटी की पेपर खरीदी की है ?
जवाब : पाठ्य पुस्तक निगम में कागज की खरीदी मिलों से की जाती है. फिर उसे प्रिंटर को दिया जाता है. मुझे बेहद खुशी है कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने पूरे देश के निगमों की तुलना में सबसे सस्ता कागज खरीदा है. परिवहन का चार्ज ज्यादा लगने के बावजूद, हमने मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में सस्ता और गुणवत्ता की मापदंड में सबसे अच्छे कागज की खरीदी की है. यह निगम की बड़ी उपलब्धि है.

सवाल : क्या आपको लगता है कि छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, कला, और स्थानीय महापुरुषों को शिक्षा के पाठ्यक्रमों में औऱ ज्यादा स्थान देने के लिए पहल की जानी चाहिए ?
जवाब : संविधान दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने घोषणा की थी, कि छत्तीसगढ़ के छात्रों को संविधान की जानकारी देने वाली पुस्तकें वितरित की जाएंगी. छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने अपनी लाभांश की राशि से, मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप प्रदेश के छात्रों को संविधान की जानकारी देने वाली पुस्तकें उपलब्ध करवाई. हम मुख्यमंत्री द्वारा की गई दूसरी घोषणा के अनुरूप द्विभाषी पुस्तकें भी स्कूलों में उपलब्ध करवा रहे हैं. इन पुस्तकों में हिंदी के साथ स्थानीय लोक बोली में भी पाठ दिए गए हैं. यह भी पूरे देश में, छत्तीसगढ़ सरकार की अनूठी और अभिनव पहल है.

सवाल : बीजेपी का आरोप रहता है, कि कांग्रेस सरकार द्वारा, अपनी विचारधारा के ही महापुरुषों को शिक्षा के पाठ्यक्रमों में स्थान दिया जा रहा है. क्या इसमें सच्चाई है ?
जवाब : भाजपा ने अपने शासनकाल में इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे महापुरुषों ने आजादी की लड़ाई लड़ी. इन्होंने अपने जीवन के कई वर्ष जेल में बिताए. किसने रोका था भाजपा और आरएसएस के लोगों को, उस समय जेल जाने से ? आजादी की लड़ाई लड़ते-लड़ते जेल गए होते, तो इनका नाम भी आता. संविधान निर्माण में बाबा साहब अंबेडकर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. आरएसएस के लोग तो आजादी के बाद भी, वर्षों तक हमारे संविधान का अपमान करते रहे. अनादर करते रहे. इनके द्वारा आज भी संविधान के मूल स्वरूप को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में ये लोग किस तरह स्थान पाना चाहते हैं, मैं यह समझ पाने में असमर्थ हूँ.

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