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EXCLUSIVE : लॉकडाउन के दौरान डिप्रेशन से बचने डॉ. सुरभि दुबे ने बताए उपाय

लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में मानसिक रुप से तनाव ग्रस्त (डिप्रेशिव पेशेंट) मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं, जिसे लेकर मेकाहारा के मनोचिकित्सक विभाग के डॉक्टर सुरभि दुबे से ETV भारत ने खास बातचीत की.

conversation with psychiatrist on depression
डिप्रेशन पर मनोचिकित्सक से खास बातचीत
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Published : May 16, 2020, 1:01 PM IST

रायपुरः कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन को 50 दिन से भी ज्यादा हो गया है. केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए लॉकडाउन 4 की भी घोषणा कर दी है, जो 18 मई से लागू हो जाएगा. लॉकडाउन की वजह से एक ओर जहां कोरोना जैसी वैश्विक माहामारी से बचने का कारगर उपाय बताया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर इस के कुछ और भी परिणाम सामने आ रहे हैं.

डॉ. सुरभि दुबे से खास बातचीत

लॉकडाउन के कारण लोगों को लगातार घर पर रहना पड़ रहा है, जिसकी वजह से लोगों में मानसिक तनाव, डिप्रेशन जैसी बीमारी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के सबसे बड़े और व्यस्ततम अस्पताल माने जाने वाले मेकाहारा में डिप्रेशन के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस विषय पर मेकाहारा के मनोचिकित्सक विभाग के डॉक्टर सुरभि दुबे से ETV भारत की खास बातचीत हुई.

लॉकडाउन के दौरान बढ़ी मानसिक बीमारी

साइकेट्रिस्ट सुरभि दुबे ने बताया कि अमूमन डिप्रेशन के मामले 10 से 12 फीसदी होते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन बढ़ने से मामले तकरीबन 20 फीसदी तक हो गए हैं. रोजाना ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जो लोग लॉकडाउन के कारण बेहद परेशान हैं. उन्होंने बताया कि 'जो लोग आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों की समस्या आगे की परिस्थिति को लेकर है, क्या होगा? कैसी होंगी? लॉकडाउन कब तक खुलेगा? क्या यह बीमारी उनको तो नहीं हो जाएगी ? यह उनके परिवार के किसी को नहीं हो जाएगी इसकी भी चिंता उन्हें लगातार है. इसके अलावा ऐसे भी केस सामने आ रहे हैं जिसमें लोग अपने कैरियर को लेकर बहुत परेशान हैं. कुछ केस में ऐसा भी देखा गया है कि लोगों के परिजन घर के बाहर कहीं अटके हुए हैं या वह खुद किसी दूसरे राज्य में फंसे हुए है, जिसकी वजह वे डिप्रेशन में है.

नशा भी है एक कारण
डॉक्टर सुरभि बताती है कि जो लोग नशा करते थे, वह भी लगातार डिप्रेशन में जा रहे हैं, क्योंकि लंबे समय तक उन्हें नशीला पदार्थ नहीं मिला है. जिसके कारण अपने घर में भी वह खुश नहीं हैं और वे मानसिक तनाव में रहने लगे हैं.

बच्चों में भी हो रहा डिप्रेशन
डॉक्टर सुरभि ने बताया कि 'लॉकडाउन के दौरान बच्चों में भी डिप्रेशन के मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना से सुरक्षा के मद्देनजर बच्चों को स्कूल और खेलने के लिए घर के बाहर नहीं भेजा जा रहा है, लेकिन अब उन्हें एक एरिया में सीमित कर दिया गया है. ऐसे मामले ज्यादातर उन बच्चों में देखने को मिल रहा है, जो पहले से ही साइकाइट्रिक हेल्प ले रहे हैं'.

पढ़ेंः-जांजगीर-चांपा: दूसरे राज्यों से आए 5 प्रवासी मजदूर निकले कोरोना पॉजिटिव

डॉक्टर सुरभि ने डिप्रेशन से बचने के लिए कई उपाय बताए, उन्होंने बताया कि 'लोगों को पहले अपना डेली रूटिन बनाना चाहिए, जिसमें फिजिकल एक्टिविटी डांसिंग, जूम्बा, योगा, आदि को शामिल करना जरूरी है. जिससे लोग मानसिक और शारीरिक दोनों तरीके से फिट रह सकते हैं'.

रायपुरः कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन को 50 दिन से भी ज्यादा हो गया है. केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए लॉकडाउन 4 की भी घोषणा कर दी है, जो 18 मई से लागू हो जाएगा. लॉकडाउन की वजह से एक ओर जहां कोरोना जैसी वैश्विक माहामारी से बचने का कारगर उपाय बताया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर इस के कुछ और भी परिणाम सामने आ रहे हैं.

डॉ. सुरभि दुबे से खास बातचीत

लॉकडाउन के कारण लोगों को लगातार घर पर रहना पड़ रहा है, जिसकी वजह से लोगों में मानसिक तनाव, डिप्रेशन जैसी बीमारी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के सबसे बड़े और व्यस्ततम अस्पताल माने जाने वाले मेकाहारा में डिप्रेशन के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस विषय पर मेकाहारा के मनोचिकित्सक विभाग के डॉक्टर सुरभि दुबे से ETV भारत की खास बातचीत हुई.

लॉकडाउन के दौरान बढ़ी मानसिक बीमारी

साइकेट्रिस्ट सुरभि दुबे ने बताया कि अमूमन डिप्रेशन के मामले 10 से 12 फीसदी होते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन बढ़ने से मामले तकरीबन 20 फीसदी तक हो गए हैं. रोजाना ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जो लोग लॉकडाउन के कारण बेहद परेशान हैं. उन्होंने बताया कि 'जो लोग आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों की समस्या आगे की परिस्थिति को लेकर है, क्या होगा? कैसी होंगी? लॉकडाउन कब तक खुलेगा? क्या यह बीमारी उनको तो नहीं हो जाएगी ? यह उनके परिवार के किसी को नहीं हो जाएगी इसकी भी चिंता उन्हें लगातार है. इसके अलावा ऐसे भी केस सामने आ रहे हैं जिसमें लोग अपने कैरियर को लेकर बहुत परेशान हैं. कुछ केस में ऐसा भी देखा गया है कि लोगों के परिजन घर के बाहर कहीं अटके हुए हैं या वह खुद किसी दूसरे राज्य में फंसे हुए है, जिसकी वजह वे डिप्रेशन में है.

नशा भी है एक कारण
डॉक्टर सुरभि बताती है कि जो लोग नशा करते थे, वह भी लगातार डिप्रेशन में जा रहे हैं, क्योंकि लंबे समय तक उन्हें नशीला पदार्थ नहीं मिला है. जिसके कारण अपने घर में भी वह खुश नहीं हैं और वे मानसिक तनाव में रहने लगे हैं.

बच्चों में भी हो रहा डिप्रेशन
डॉक्टर सुरभि ने बताया कि 'लॉकडाउन के दौरान बच्चों में भी डिप्रेशन के मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना से सुरक्षा के मद्देनजर बच्चों को स्कूल और खेलने के लिए घर के बाहर नहीं भेजा जा रहा है, लेकिन अब उन्हें एक एरिया में सीमित कर दिया गया है. ऐसे मामले ज्यादातर उन बच्चों में देखने को मिल रहा है, जो पहले से ही साइकाइट्रिक हेल्प ले रहे हैं'.

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डॉक्टर सुरभि ने डिप्रेशन से बचने के लिए कई उपाय बताए, उन्होंने बताया कि 'लोगों को पहले अपना डेली रूटिन बनाना चाहिए, जिसमें फिजिकल एक्टिविटी डांसिंग, जूम्बा, योगा, आदि को शामिल करना जरूरी है. जिससे लोग मानसिक और शारीरिक दोनों तरीके से फिट रह सकते हैं'.

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