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कोरोना संक्रमित क्यों नहीं लगवा सकते Vaccine, क्या हो सकते हैं साइड इफेक्ट ? डॉक्टर से जानिए

रायपुर मेडिकल कॉलेज (Raipur Medical College) के ह्रदय रोग विशेषज्ञ और एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट के विभागाध्यक्ष डॉ स्मित श्रीवास्तव से ETV भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन के 2 डोज लगाने के बीच कम से कम 1 महीने का अंतर जरूर रखना चाहिए. डॉ. स्मित ने और क्या जानकारी दी, जानिए इस खास बातचीत में.

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हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ स्मित श्रीवास्तव से खास बातचीत
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Published : May 28, 2021, 3:18 PM IST

Updated : May 28, 2021, 4:47 PM IST

रायपुर: पूरे देश सहित प्रदेश में वैक्सीनेशन का तीसरा चरण जारी है. लेकिन इस दौरान लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. जैसे- अगर वह कोरोना संक्रमित हुए और उन्हें वैक्सीन लगा दी गई तो शरीर पर क्या साइड इफेक्ट होगा ? कई बार यह भी देखा गया है कि कोरोना संक्रमित होने के बावजूद लोगों के शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखता है और वे वैक्सीन लगवा लेते हैं. इससे उनके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? इस बात को लेकर भी लोग चर्चा कर रहे हैं. इसके अलावा वैक्सीन लगवाने के दौरान लोगों को किस तरह की सावधानी रखनी चाहिए. ये ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है. इन सवालों के जवाब के लिए ETV भारत ने रायपुर मेडिकल कॉलेज के ह्रदय रोग विशेषज्ञ और एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट के विभागाध्यक्ष डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव से खास बातचीत की.

कोरोना संक्रमित क्यों नहीं लगवा सकते वैक्सीन

सवाल : कोरोना वैक्सीन लगाने के दौरान कोरोना गाइड लाइन के अनुसार किन किन बातों का ध्यान रखा जाता है ?

डॉ. स्मित: वैक्सीनेशन के दौरान यह देखा जाता है कि जिस व्यक्ति को कोरोना हो चुका है. उस व्यक्ति को 1 महीने बाद वैक्सीन लगाई जाए, भले ही उस व्यक्ति को पहला डोज लग चुका हो, और उसके बाद उसे कोरोना हुआ है. कोरोना होने के 1 महीने बाद ही वैक्सीन का दूसरा डोज लगेगा. यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन लग जाएगी तो ऐसा नहीं है कि उसको बहुत ज्यादा रिएक्शन होंगे. लेकिन रिएक्शन होने की संभावना रहती है और इसी संभावनाओं को खत्म करने के लिए यह सुझाव दिया गया है.

Vaccine wastage: CG Teeka का डाटा नहीं मान रहा केंद्र इसलिए आंकड़े गलत: CM बघेल

सवाल : पहली से दूसरी वैक्सीन के बीच कितने दिन का अंतर होना चाहिए. क्योंकि यह अंतर लगातार बढ़ता गया है?

डॉ. स्मित: वैक्सीनेशन को लेकर लगातार शोध किया जा रहा है. इस शोध के बाद पता चला है कि वैक्सीन का पहला डोज लगने के बाद एंटीबॉडी तैयार हो जाता है. यदि दूसरे डोज के बीच अंतर ज्यादा रखा जाए तो इससे लोग लंबे समय तक सुरक्षित रहे सकते हैं. इसलिए अलग-अलग व्यक्तियों में टीके लगाने के लिए दो वैक्सीने के बीच का अंतर अलग-अलग है. लेकिन इससे कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है. सिर्फ वैक्सीन लगाना जरूरी है और इससे ही हम कोरोना से सुरक्षित रह सकते हैं. अब तक करोड़ों लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. लेकिन कहीं ऐसा नहीं देखा गया है कि वैक्सीन लगने की वजह से किसी की मौत हुई हो, हां यह जरूर हो सकता है कि 11-12 लाख लोगों में एक व्यक्ति की वैक्सीनेशन के कारण मौत हुई हो. जबकि वैक्सीन नहीं लगाया गया तो 100 में से लगभग 3 लोगों की मौत हो जाती है. इसलिए 2 गज की दूरी मास्क सहित वैक्सीन जरूरी है.

भिलाई में दिव्यांगों के लिए लगा विशेष कोरोना टीकाकरण कैंप, दुर्ग में पहली बार पैर में लगा टीका

सवाल : यदि कोरोना संक्रमित को वैक्सीन लगती है तो उसके कुछ हद तक साइड इफेक्ट हो सकते हैं, इस संभावनाओं के बाद भी अब तक वैक्सीनेशन सेंटर में पहुंचने वाले लोगों की कोरोना जांच या उनकी कोरोना रिपोर्ट देखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

डॉ. स्मित: अब तक ऐसा नहीं देखा गया है कि यदि कोरोना संक्रमित को वैक्सीन लगाई गई हो और उसका प्रभाव सामान्य लोगों को लगाई गई वैक्सीन से अलग रहा हो. वैक्सीनेशन के बाद जैसा सामान्य लोगों में शरीर दर्द, बुखार या फिर अन्य कोई प्रभाव पड़ता है. उसी तरह संक्रमित व्यक्ति को भी वैक्सीन लगाए जाने के बाद प्रभाव देखने को मिल सकता हैं. किसी भी टीकाकरण के दौरान सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं. यही कारण है कि अभी तक घर पहुंच टीका लगाने की व्यवस्था नहीं की गई है. छोटे बच्चों को भी वैक्सीन लगाई जाती है तो वैक्सीनेशन सेंटर में पूरी तैयारी होती है. किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव हो तो तुरंत उसका उपचार किया जा सके. वैक्सीनेशन के पहले हर मरीज की हिस्ट्री चेक की जाती है और उसके बाद ही उन्हें वैक्सीन लगाई जाती है.

सवाल : वर्तमान में सीजीटीका ऐप (CG Teeka एप ) के माध्यम से जो वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. उसमें उनकी हिस्ट्री नहीं ली जा रही है. सिर्फ आधार कार्ड की जानकारी होना अनिवार्य है.

डॉ. स्मित: अब तक करोड़ों वैक्सीन लग चुकी है और कई बार ऐसा हुआ होगा कि कोरोना संक्रमित होते हुए भी वैक्सीन लगवा लिए होंगे. यदि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है तो उसकी बॉडी के अंदर एंटीबॉडी 28 दिन से 6 महीने तक पाई जाती है.

धमतरी में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए इधर-उधर भटक रहे युवा

सवाल : यदि कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचता है तो उससे उसके आसपास के लोग, मेडिकल स्टाफ सहित वहां मौजूद अन्य लोगों को पर भी प्रभाव पड़ सकता है और भी लोग संक्रमित हो सकते हैं .

डॉ. स्मित: यदि कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति वैक्सीन लगाने पहुंचता है तो उसे जरूर वहां मौजूद लोग संक्रमित हो सकते हैं. लेकिन कोरोना कि वैक्सीन लगने से कोरोना पॉजिटिविटी व्यक्ति को कोई अलग से दिक्कत हो ऐसी संभावना बहुत कम होती है. यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन लगाई जाती है और यदि उसका कोई साइड इफेक्ट होना है तो वह वैक्सीनेशन सेंटर में ही 10-15 मिनट के दौरान पता चल जाता है और अब तक करोड़ों लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है. लेकिन ऐसी कोई स्थिति नहीं आई है. वैक्सीन लगने के बाद किसी को रिएक्शन हुआ हो.

सवाल : कोरोना संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन लगने से कोई ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होगा, लेकिन यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति वैक्सीनेशन सेंटर में आता है तो उससे जरूर दूसरे लोग संक्रमित हो सकते हैं. ऐसे में इस संक्रमण को रोकने के लिए क्या व्यवस्था की जा सकती है.

डॉ. स्मित: यदि कोई संक्रमित व्यक्ति कहीं भी जा रहा हो, जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बाजार या किसी भी अन्य जगह पर तो वह वैसे ही लोगों को संक्रमित कर रहा है, लेकिन हर जगह कोरोना संक्रमित की जांच की जाए, ऐसा संभव नहीं है, कई बार किसी प्रकार का लक्षण ना होते हो अभी कई लोग संक्रमित होते हैं और यदि वह व्यक्ति बिना जानकारी के किसी को संक्रमित कर दें ऐसी संभावनाएं हमेशा बनी रहती है.

कोरोना टीका के प्रति जागरूक करने मजदूरों के बीच जाकर पूर्व संसदीय सचिव ने लगवाई वैक्सीन

सवाल : तो क्या वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचने वाले लोग खुद अपनी सुरक्षा का ख्याल रखें और मास्क सैनिटाइजर सहित और जो जरूरी उपाय कोरोना से बचने के लिए किए जाने चाहिए वह करें.

डॉ. स्मित: जिस तरह लोग आम जगहों पर कोरोना से बचने के लिए उपाय करते हैं. उसी तरह का उपाय वैक्सीनेशन सेंटर में भी करें. जिससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद भी आप संक्रमित होने से बच सकें. लोग जैसे-जैसे वैक्सीन लगाते जाएंगे. वैसे-वैसे उन लोगों के द्वारा दूसरों को कोरोना होने की संभावना कम होगी. यदि एक बड़ी जनसंख्या वैक्सीन लगाव लेती है तो स्वभाविक है कि कोरोना धीरे-धीरे लिमिटेड हो जाएगा. जैसा की पोलियो ओर चेचक के दौरान देखा गया कि अब टीकाकरण के बाद गिने-चुने मामले ही सामने आते हैं. वायरस के खिलाफ लड़ने में वैक्सीन सबसे ज्यादा कारगर होती है. इतना दवाई कारगर साबित नहीं होती है. क्योंकि वैक्सीन शरीर के अंदर नेचुरल प्रोसेस के तहत वायरस से लड़ती है. जबकि दवाइयां नेचुरल प्रोसेस का पार्ट नहीं है, इसलिए उनकी सीमा होती है.

रायपुर: पूरे देश सहित प्रदेश में वैक्सीनेशन का तीसरा चरण जारी है. लेकिन इस दौरान लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. जैसे- अगर वह कोरोना संक्रमित हुए और उन्हें वैक्सीन लगा दी गई तो शरीर पर क्या साइड इफेक्ट होगा ? कई बार यह भी देखा गया है कि कोरोना संक्रमित होने के बावजूद लोगों के शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखता है और वे वैक्सीन लगवा लेते हैं. इससे उनके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? इस बात को लेकर भी लोग चर्चा कर रहे हैं. इसके अलावा वैक्सीन लगवाने के दौरान लोगों को किस तरह की सावधानी रखनी चाहिए. ये ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है. इन सवालों के जवाब के लिए ETV भारत ने रायपुर मेडिकल कॉलेज के ह्रदय रोग विशेषज्ञ और एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट के विभागाध्यक्ष डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव से खास बातचीत की.

कोरोना संक्रमित क्यों नहीं लगवा सकते वैक्सीन

सवाल : कोरोना वैक्सीन लगाने के दौरान कोरोना गाइड लाइन के अनुसार किन किन बातों का ध्यान रखा जाता है ?

डॉ. स्मित: वैक्सीनेशन के दौरान यह देखा जाता है कि जिस व्यक्ति को कोरोना हो चुका है. उस व्यक्ति को 1 महीने बाद वैक्सीन लगाई जाए, भले ही उस व्यक्ति को पहला डोज लग चुका हो, और उसके बाद उसे कोरोना हुआ है. कोरोना होने के 1 महीने बाद ही वैक्सीन का दूसरा डोज लगेगा. यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन लग जाएगी तो ऐसा नहीं है कि उसको बहुत ज्यादा रिएक्शन होंगे. लेकिन रिएक्शन होने की संभावना रहती है और इसी संभावनाओं को खत्म करने के लिए यह सुझाव दिया गया है.

Vaccine wastage: CG Teeka का डाटा नहीं मान रहा केंद्र इसलिए आंकड़े गलत: CM बघेल

सवाल : पहली से दूसरी वैक्सीन के बीच कितने दिन का अंतर होना चाहिए. क्योंकि यह अंतर लगातार बढ़ता गया है?

डॉ. स्मित: वैक्सीनेशन को लेकर लगातार शोध किया जा रहा है. इस शोध के बाद पता चला है कि वैक्सीन का पहला डोज लगने के बाद एंटीबॉडी तैयार हो जाता है. यदि दूसरे डोज के बीच अंतर ज्यादा रखा जाए तो इससे लोग लंबे समय तक सुरक्षित रहे सकते हैं. इसलिए अलग-अलग व्यक्तियों में टीके लगाने के लिए दो वैक्सीने के बीच का अंतर अलग-अलग है. लेकिन इससे कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है. सिर्फ वैक्सीन लगाना जरूरी है और इससे ही हम कोरोना से सुरक्षित रह सकते हैं. अब तक करोड़ों लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. लेकिन कहीं ऐसा नहीं देखा गया है कि वैक्सीन लगने की वजह से किसी की मौत हुई हो, हां यह जरूर हो सकता है कि 11-12 लाख लोगों में एक व्यक्ति की वैक्सीनेशन के कारण मौत हुई हो. जबकि वैक्सीन नहीं लगाया गया तो 100 में से लगभग 3 लोगों की मौत हो जाती है. इसलिए 2 गज की दूरी मास्क सहित वैक्सीन जरूरी है.

भिलाई में दिव्यांगों के लिए लगा विशेष कोरोना टीकाकरण कैंप, दुर्ग में पहली बार पैर में लगा टीका

सवाल : यदि कोरोना संक्रमित को वैक्सीन लगती है तो उसके कुछ हद तक साइड इफेक्ट हो सकते हैं, इस संभावनाओं के बाद भी अब तक वैक्सीनेशन सेंटर में पहुंचने वाले लोगों की कोरोना जांच या उनकी कोरोना रिपोर्ट देखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

डॉ. स्मित: अब तक ऐसा नहीं देखा गया है कि यदि कोरोना संक्रमित को वैक्सीन लगाई गई हो और उसका प्रभाव सामान्य लोगों को लगाई गई वैक्सीन से अलग रहा हो. वैक्सीनेशन के बाद जैसा सामान्य लोगों में शरीर दर्द, बुखार या फिर अन्य कोई प्रभाव पड़ता है. उसी तरह संक्रमित व्यक्ति को भी वैक्सीन लगाए जाने के बाद प्रभाव देखने को मिल सकता हैं. किसी भी टीकाकरण के दौरान सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं. यही कारण है कि अभी तक घर पहुंच टीका लगाने की व्यवस्था नहीं की गई है. छोटे बच्चों को भी वैक्सीन लगाई जाती है तो वैक्सीनेशन सेंटर में पूरी तैयारी होती है. किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव हो तो तुरंत उसका उपचार किया जा सके. वैक्सीनेशन के पहले हर मरीज की हिस्ट्री चेक की जाती है और उसके बाद ही उन्हें वैक्सीन लगाई जाती है.

सवाल : वर्तमान में सीजीटीका ऐप (CG Teeka एप ) के माध्यम से जो वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. उसमें उनकी हिस्ट्री नहीं ली जा रही है. सिर्फ आधार कार्ड की जानकारी होना अनिवार्य है.

डॉ. स्मित: अब तक करोड़ों वैक्सीन लग चुकी है और कई बार ऐसा हुआ होगा कि कोरोना संक्रमित होते हुए भी वैक्सीन लगवा लिए होंगे. यदि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है तो उसकी बॉडी के अंदर एंटीबॉडी 28 दिन से 6 महीने तक पाई जाती है.

धमतरी में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए इधर-उधर भटक रहे युवा

सवाल : यदि कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचता है तो उससे उसके आसपास के लोग, मेडिकल स्टाफ सहित वहां मौजूद अन्य लोगों को पर भी प्रभाव पड़ सकता है और भी लोग संक्रमित हो सकते हैं .

डॉ. स्मित: यदि कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति वैक्सीन लगाने पहुंचता है तो उसे जरूर वहां मौजूद लोग संक्रमित हो सकते हैं. लेकिन कोरोना कि वैक्सीन लगने से कोरोना पॉजिटिविटी व्यक्ति को कोई अलग से दिक्कत हो ऐसी संभावना बहुत कम होती है. यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन लगाई जाती है और यदि उसका कोई साइड इफेक्ट होना है तो वह वैक्सीनेशन सेंटर में ही 10-15 मिनट के दौरान पता चल जाता है और अब तक करोड़ों लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है. लेकिन ऐसी कोई स्थिति नहीं आई है. वैक्सीन लगने के बाद किसी को रिएक्शन हुआ हो.

सवाल : कोरोना संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन लगने से कोई ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होगा, लेकिन यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति वैक्सीनेशन सेंटर में आता है तो उससे जरूर दूसरे लोग संक्रमित हो सकते हैं. ऐसे में इस संक्रमण को रोकने के लिए क्या व्यवस्था की जा सकती है.

डॉ. स्मित: यदि कोई संक्रमित व्यक्ति कहीं भी जा रहा हो, जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बाजार या किसी भी अन्य जगह पर तो वह वैसे ही लोगों को संक्रमित कर रहा है, लेकिन हर जगह कोरोना संक्रमित की जांच की जाए, ऐसा संभव नहीं है, कई बार किसी प्रकार का लक्षण ना होते हो अभी कई लोग संक्रमित होते हैं और यदि वह व्यक्ति बिना जानकारी के किसी को संक्रमित कर दें ऐसी संभावनाएं हमेशा बनी रहती है.

कोरोना टीका के प्रति जागरूक करने मजदूरों के बीच जाकर पूर्व संसदीय सचिव ने लगवाई वैक्सीन

सवाल : तो क्या वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचने वाले लोग खुद अपनी सुरक्षा का ख्याल रखें और मास्क सैनिटाइजर सहित और जो जरूरी उपाय कोरोना से बचने के लिए किए जाने चाहिए वह करें.

डॉ. स्मित: जिस तरह लोग आम जगहों पर कोरोना से बचने के लिए उपाय करते हैं. उसी तरह का उपाय वैक्सीनेशन सेंटर में भी करें. जिससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद भी आप संक्रमित होने से बच सकें. लोग जैसे-जैसे वैक्सीन लगाते जाएंगे. वैसे-वैसे उन लोगों के द्वारा दूसरों को कोरोना होने की संभावना कम होगी. यदि एक बड़ी जनसंख्या वैक्सीन लगाव लेती है तो स्वभाविक है कि कोरोना धीरे-धीरे लिमिटेड हो जाएगा. जैसा की पोलियो ओर चेचक के दौरान देखा गया कि अब टीकाकरण के बाद गिने-चुने मामले ही सामने आते हैं. वायरस के खिलाफ लड़ने में वैक्सीन सबसे ज्यादा कारगर होती है. इतना दवाई कारगर साबित नहीं होती है. क्योंकि वैक्सीन शरीर के अंदर नेचुरल प्रोसेस के तहत वायरस से लड़ती है. जबकि दवाइयां नेचुरल प्रोसेस का पार्ट नहीं है, इसलिए उनकी सीमा होती है.

Last Updated : May 28, 2021, 4:47 PM IST
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