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एपीजे अब्दुल कलाम जयंती पर उनकी छत्तीसगढ़ से जुड़ी कुछ खास यादें

एपीजे अब्दुल कलाम जयंती पर उनकी छत्तीसगढ़ से जुड़ी कुछ खास यादें पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर एसके पांडे से जानें. पूरी रिपोर्ट पढ़ें...

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Published : Oct 15, 2022, 9:33 PM IST

Updated : Oct 15, 2022, 11:00 PM IST

पूर्व वाइस चांसलर एसके पांडे
पूर्व वाइस चांसलर एसके पांडे

रायपुर: भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती आज मनाई गई. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे. 15 अक्टूबर को एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती को छात्र दिवस के रुप में पूरे देश में मनाया जाता है. छात्रों के प्रति एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेम को देखते हुए उनकी जयंती के मौके पर छात्र दिवस मनाया जाता है. ईटीवी भारत आज एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती के मौके पर छत्तीसगढ़ से जुड़ी उनकी यादों के बारे में बताने जा रहा है. ईटीवी भारत ने पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर एसके पांडे से खास बातचीत की.

एपीजे अब्दुल कलाम जयंती पर उनकी छत्तीसगढ़ से जुड़े कुछ खास यादें



एपीजे अब्दुल कलाम का शिक्षकों और छात्रों से रहा है विशेष प्रेम: पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस वाइस चांसलर एसके पांडे ने बताया कि " एपीजे अब्दुल कलाम जब प्रेसिडेंट थे तब उनका रायपुर आना हुआ था. पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के कन्वोकेशन में उनका आना तय हो गया था. तब मैं वहां पर शिक्षक था. पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के शिक्षक चाहते थे कि एपीजे अब्दुल कलाम के साथ उनकी मुलाकात हो लेकिन समय नहीं मिल रहा था तभी मैंने एपीजे अब्दुल कलाम को एक मेल किया. इस मेल का जवाब एपीजे अब्दुल कलाम का मेरे पास तो नहीं आया लेकिन प्रोटोकॉल वालों के पास उनका मेल आया और इसके बाद जब एपीजे अब्दुल कलाम कन्वोकेशन में आए. सभी शिक्षकों के साथ वह मिले और सबसे बातचीत भी की."



पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस वाइस चांसलर एसके पांडे ने बताया " एपीजे अब्दुल कलाम का एक और वाक्य मुझे याद है जब वह छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में आए थे. उस समय ताम्रध्वज साहू वहां के विधायक हुआ करते थे. शिक्षक दिवस के मौके पर एपीजे अब्दुल कलाम को बेमेतरा आना था लेकिन शिक्षक दिवस के मौके पर वह नहीं आ पाए. शिक्षक दिवस के बाद वह बेमेतरा आए. एपीजे अब्दुल कलाम छत्तीसगढ़ के छोटे से जिले में शिक्षक दिवस के मौके पर आए. एपीजे अब्दुल कलाम छत्तीसगढ़ आना और रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय नहीं आना ऐसा हो नहीं सकता था. मैंने फिर एपीजे अब्दुल कलाम को मेल किया और बेमेतरा आने के एक दिन पहले एपीजे अब्दुल कलाम रायपुर आए और शाम को हमारे पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी में लेक्चर दिया. उस दौरान इतनी भीड़ पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी में हो गई थी कि हमें यूनिवर्सिटी के बाहर उनके लेक्चर को सुनाने के लिए अलग से स्क्रीन लगाया कुर्ती लगाई."



एपीजे अब्दुल कलाम ने छत्तीसगढ़ के लोगों पर लिखी ग्लोरी टू द ग्रेट पीपल ऑफ छत्तीसगढ़: पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के वाइस वाइस चांसलर एसके पांडे ने बताया " एपीजे अब्दुल कलाम नया रायपुर स्थित मुक्तांगन में भी आए हुए हैं. वहां उन्होंने कई पेड़ भी लगाए हैं. एपीजे अब्दुल कलाम का छत्तीसगढ़ से एक अलग तरीके का जुड़ाव रहा है. यहां के लोगों से उनका विशेष प्रेम रहा है. जब एपीजे अब्दुल कलाम साइंटिस्ट थे तब भी कई बार वह छत्तीसगढ़ आए थे और यहां के लोगों से मिले थे. एपीजे अब्दुल कलाम छत्तीसगढ़ के लोगों से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने ग्लोरी टू द ग्रेट पीपल ऑफ छत्तीसगढ़ नाम से एक कविता भी लिखी थी."

रायपुर: भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती आज मनाई गई. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे. 15 अक्टूबर को एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती को छात्र दिवस के रुप में पूरे देश में मनाया जाता है. छात्रों के प्रति एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेम को देखते हुए उनकी जयंती के मौके पर छात्र दिवस मनाया जाता है. ईटीवी भारत आज एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती के मौके पर छत्तीसगढ़ से जुड़ी उनकी यादों के बारे में बताने जा रहा है. ईटीवी भारत ने पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर एसके पांडे से खास बातचीत की.

एपीजे अब्दुल कलाम जयंती पर उनकी छत्तीसगढ़ से जुड़े कुछ खास यादें



एपीजे अब्दुल कलाम का शिक्षकों और छात्रों से रहा है विशेष प्रेम: पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस वाइस चांसलर एसके पांडे ने बताया कि " एपीजे अब्दुल कलाम जब प्रेसिडेंट थे तब उनका रायपुर आना हुआ था. पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के कन्वोकेशन में उनका आना तय हो गया था. तब मैं वहां पर शिक्षक था. पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के शिक्षक चाहते थे कि एपीजे अब्दुल कलाम के साथ उनकी मुलाकात हो लेकिन समय नहीं मिल रहा था तभी मैंने एपीजे अब्दुल कलाम को एक मेल किया. इस मेल का जवाब एपीजे अब्दुल कलाम का मेरे पास तो नहीं आया लेकिन प्रोटोकॉल वालों के पास उनका मेल आया और इसके बाद जब एपीजे अब्दुल कलाम कन्वोकेशन में आए. सभी शिक्षकों के साथ वह मिले और सबसे बातचीत भी की."



पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस वाइस चांसलर एसके पांडे ने बताया " एपीजे अब्दुल कलाम का एक और वाक्य मुझे याद है जब वह छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में आए थे. उस समय ताम्रध्वज साहू वहां के विधायक हुआ करते थे. शिक्षक दिवस के मौके पर एपीजे अब्दुल कलाम को बेमेतरा आना था लेकिन शिक्षक दिवस के मौके पर वह नहीं आ पाए. शिक्षक दिवस के बाद वह बेमेतरा आए. एपीजे अब्दुल कलाम छत्तीसगढ़ के छोटे से जिले में शिक्षक दिवस के मौके पर आए. एपीजे अब्दुल कलाम छत्तीसगढ़ आना और रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय नहीं आना ऐसा हो नहीं सकता था. मैंने फिर एपीजे अब्दुल कलाम को मेल किया और बेमेतरा आने के एक दिन पहले एपीजे अब्दुल कलाम रायपुर आए और शाम को हमारे पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी में लेक्चर दिया. उस दौरान इतनी भीड़ पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी में हो गई थी कि हमें यूनिवर्सिटी के बाहर उनके लेक्चर को सुनाने के लिए अलग से स्क्रीन लगाया कुर्ती लगाई."



एपीजे अब्दुल कलाम ने छत्तीसगढ़ के लोगों पर लिखी ग्लोरी टू द ग्रेट पीपल ऑफ छत्तीसगढ़: पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के वाइस वाइस चांसलर एसके पांडे ने बताया " एपीजे अब्दुल कलाम नया रायपुर स्थित मुक्तांगन में भी आए हुए हैं. वहां उन्होंने कई पेड़ भी लगाए हैं. एपीजे अब्दुल कलाम का छत्तीसगढ़ से एक अलग तरीके का जुड़ाव रहा है. यहां के लोगों से उनका विशेष प्रेम रहा है. जब एपीजे अब्दुल कलाम साइंटिस्ट थे तब भी कई बार वह छत्तीसगढ़ आए थे और यहां के लोगों से मिले थे. एपीजे अब्दुल कलाम छत्तीसगढ़ के लोगों से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने ग्लोरी टू द ग्रेट पीपल ऑफ छत्तीसगढ़ नाम से एक कविता भी लिखी थी."

Last Updated : Oct 15, 2022, 11:00 PM IST
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