प्रयागराज: गंगा किनारे रेती में दफनाए गए शवों को कुत्तों द्वारा नोचे जाने का सिलसिला लगातार जारी है. मंगलवार को जहां श्रृंगवेरपुर घाट से दिल दहलाने वाला वीडियो सामने आया था. वहीं बुधवार को फाफामऊ घाट और नैनी के देवरख में ऐसा देखने को मिला. गंगा के किनारे शहर और ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग घाटों पर पिछले दिनों बड़ी संख्या में शव दफनाए गए हैं. मंगलवार और बुधवार को तेज हवा के साथ हुई बरसात के बाद कई कब्रें खुल गईं, जिसके बाद इन शवों को आवारा कुत्ते अपना निशाना बना रहे हैं.
जिले में कई घाटों पर गंगा की रेती में बड़ी संख्या में शव दफनाए गए हैं. बरसात होने के बाद आवारा कुत्तों ने शवों को कब्र खोदकर नोचना शुरू कर दिया. पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की टीम घाटों का लगातार निरीक्षण कर रही है. इसके बावजूद कुत्तों के आतंक से शवों को सुरक्षित बचाना इन टीमों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
घाट पर निगरानी के लिए लगाई गई टीमें
जानवरों के द्वारा कब्र खोदकर शवों को नुकसान पहुंचाने की जानकारी मिलने के बाद अब घाटों पर खुले हुए शवों पर मिट्टी डालकर उसे ढकने का काम करवाया जा रहा है. लेकिन ये टीमें सिर्फ खानापूर्ति कर कुछ शवों को मिट्टी से ढककर अपनी ड्यूटी पूरी कर रही हैं. फाफामऊ घाट पर बुधवार की शाम प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस की टीम ने निरीक्षण किया. इस दौरान टीम के साथ मौजूद दो मजदूरों से खुले हुए कब्रों पर मिट्टी डलवाई गई.
इसे भी पढ़ें: शवों का अनादर : रेत में दफन लाशों को नोचते आवारा कुत्ते
मौके पर ही झूठा साबित हुआ दावा
मौके पर मौजूद अफसर का कहना है कि शवों को कुत्ते से बचाने के लिए मिट्टी डलवाई जा रही है. उन्होंने इस घाट पर किसी भी शव के खुले होने की बात से इनकार किया. लेकिन उसी घाट पर कुत्ता कब्र खोदकर उसमें दफन किए गए शव को नोच रहा था. घाट पर जिनकी ड्यूटी लगाई गई थी, उनका ध्यान भी इस ओर नहीं जा रहा था. हालांकि फाफामऊ घाट पर इतने बड़े इलाके में शव दफनाए गए हैं कि टीमों द्वारा उसकी निगरानी कर पाना आसान काम नहीं है.
इसे भी पढ़ें: प्रयागराज में 50 दिन बाद मिले सौ से कम कोरोना संक्रमित
शवों को जानवर से बचाना किसी चुनौती से कम नहीं
फाफामऊ श्मशान घाट पर गंगा के किनारे कुछ दिनों में लोगों ने इतने शव दफना दिए हैं कि यह श्मशान घाट अब कब्रिस्तान बन गया है. घाट पर चारों तरफ सिर्फ गंगा की रेती में दफन किए गए शव ही नजर आते हैं. जिस जगह ये शव दफनाए गए हैं, वह गंगा का कछारी इलाका है. चारों तरफ से खुला होने की वजह से यहां कुत्तों से शवों को बचा पाना किसी चुनौती से कम नहीं है.