रायपुर :रायपुर का सिद्धपीठ मां महामाया मंदिर ऐतिहासिक है. यहां नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की विशेष पूजा होती है. 1500 साल पहले कलचुरी काल में मंदिर बनाया गया था. मां महामाया कलचुरी राजाओं की कुलदेवी हैं. यह मंदिर तंत्र विद्या के आधार पर बनाया गया है. राजाओं ने तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए ही यह मंदिर बनवाया था.
मां के नौ रुपों की पूजा की जाती है: महामाया मंदिर ट्रस्ट सदस्य विजय कुमार झा ने बताया कि, "नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी मां का विशेष श्रृंगार होता है. देवी के नौ रूपों की विधि विधान से पूजा होती है. नवरात्रि के समय मंदिर में भक्तों की भीड़ हजारों की तादाद में होती है. भक्तों के साथ ही यहां दीप प्रज्ज्वलित करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है."
पहली ज्योति कुंवारी कन्या प्रज्वलित करती है : यहां बरसों पुरानी परंपरा है कि नवरात्र के समय कुंवारी कन्या के हाथ से दीप प्रज्ज्वलित कराया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां महामाय खुद कुंवारी कन्या के रूप में आकर दीप प्रज्ज्वलित करती हैं. यहां नवरात्रि में विशेष पूजा होती है. पंचमी और अष्टमी के दिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है. पंचमी और अष्टमी पर विशेष पूजा भी होती है. अष्टमी को निशा पूजा भी होती है. मां का नवरात्रि के समय प्रतिदिन दिन में तीन बार श्रृंगार किया जाता है.
भक्तों की होती है मन्नतें पूरी : मां महामाया मंदिर में लाल कपड़े में नारियल बांधकर भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद मांगते हैं. मां महामाया के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है. मां महामाया सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. मां महामाया काली स्वरूपा सिद्ध देवी हैं. यहां महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, काल भैरव और लाल भैरव की एक साथ पूजा आराधना की जाती है .