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अशुभ माने जाने वाली दक्षिण दिशा नर्सिंग होम, डॉक्टर, बिल्डर्स के लिए शुभकारी, ये है वजह - South direction is good for whom

दक्षिण दिशा का यूं तो अशुभ माना जाता है लेकिन ये दिशा नर्सिंग होग डाक्टर और बिल्डर्स के लिए शुभकारी (Shubhakari for Dakshin Disha Nursing Home Doctor Builders ) होता है.

nursing home
नर्सिंग होम
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Published : May 6, 2022, 9:01 PM IST

रायपुर: दक्षिण दिशा पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव माना जाता है. दक्षिण दिशा के स्वामी मंगल और यम माने (Shubhakari for Dakshin Disha Nursing Home Doctor Builders ) जाते हैं. कुछ हद तक राहु, केतु और शुक्र का भी इस दिशा में प्रभाव पड़ता है. सामान्य रूप से आमजन दक्षिण दिशा में मकान दुकान ऑफिस लेने से बचने का प्रयास करते हैं. वास्तव में सभी दिशाएं अनुकूल होती है. दक्षिण दिशा में पराक्रम और साहस के देवता मंगल का वास होता है. मंगल अपने आप में एक शुभ ग्रह है. मंगल ग्रह चिकित्सा, मिलिट्री, साहस, पुलिस, मेडिकल, फार्मेसी और रक्त का कारक ग्रह है. दक्षिण दिशा में बिल्डर्स डेवलपर जमीन जायदाद का काम करने वाले और मकान से संबंधित सामग्रियों का क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारी बहुत सफल माने जाते हैं.

बिल्डर्स के लिए शुभकारी

मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त: इस तरह के सभी कार्यों में मंगल का वास रहता है. जमीन जायदाद, खेती, फार्म हाउस आदि का प्रतिनिधि ग्रह सूर्य मित्र मंगल ग्रह माना गया है. मंगल को सेनापति का भी दर्जा है. इसी तरह से ज्वेलरी आर्ट डिजाइनिंग, ज्वेलरी डिजाइनिंग और बड़े-बड़े ज्वेलर्स भी मंगल की दिशा में यानी दक्षिण आग्नेय कोण में जमीन जायदाद सफल रहते हैं. सोना-चांदी प्लेटिनम आदि के देवता शुक्र ग्रह माने गए हैं. शुक्र ग्रह की दिशा अग्नि मानी जाती है. जो कि दक्षिण पूर्वी कोना कहलाता है. इस तरह से आभूषण बनाने वालों को भी यह दिशा बहुत अनुकूल परिणाम प्रदान करती है. सौंदर्य ब्यूटी पार्लर टेलरिंग आदि के भी कार्य करने वाले जातकों को शुक्र की वजह से दक्षिण दिशा बहुत ही चमत्कारिक परिणाम देती है.

ऐसे बिल्डरों को दक्षिण दिशा अनुकूल परिणाम: इसी तरह बड़े-बड़े बिल्डिंग बनाने वाले कॉलोनी डेवलपर्स का काम करने वाले बिल्डरों को दक्षिण दिशा अनुकूल परिणाम देने वाली होती है. ऐसे जातकों को अपना ऑफिस अपना दुकान या घर दक्षिण दिशा में लेना चाहिए. फार्मेसी मेडिकल केमिकल आदि का काम करने वाले जातक जो कि मंगल से संचालित होते हैं. मंगल दक्षिण दिशा का राजा है. इसलिए इस क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यापारियों को दक्षिण दिशा के गोदाम ऑफिस कार्यालय घर दुकान चमत्कारिक सिद्ध होते हैं. बड़े-बड़े नर्सिंग होम चिकित्सालय मल्टी स्पेशल हॉस्पिटल आदि का भी प्रतिनिधि ग्रह सेनापति मंगल माने गए हैं. मंगल ग्रह शरीर में रक्त अस्थि मज्जा हड्डियों का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है. प्लाज्मा श्वेत रक्त कणिकाएं लाल रक्त कणिकाएं आदि सभी में मंगल का प्रभाव रहता है. इस प्रकार दक्षिण दिशा के चिकित्सक भी अपने क्षेत्र में दक्षिण-दिशा में अपने क्लीनिक नर्सिंग होम मल्टी स्पेशल हॉस्पिटल को संचालित कर पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें :नया घर बनाने जा रहे हैं तो पहले जान लें ये वास्तु टिप्स, नहीं तो होगी परेशानी

इन बातों का रखे ध्यान: मंगल ग्रह के जातकों को नियमित रूप से हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड, हनुमान बाहुक और हनुमान जी की आरती का गायन करना चाहिए. जिससे उनके व्यवसाय में उत्तरोत्तर वृद्धि हो सके. यदि मंगल का क्षेत्र दूषित हो तो दक्षिण दिशा की ओर भारी भरकम प्लांट भारी-भारी अलमारियां डबल बेड और भारी सामानों को दक्षिण दिशा में रखकर इसका लाभ लिया जा सकता है. घर के दादा-दादी या नाना-नानी का कक्ष भी दक्षिण दिशा में होना चाहिए. भारतीय परंपरा में रसोई पाकशाला का स्थान दक्षिण पूर्वी कोने में निर्धारित किया गया. यहां पर अग्नि का वास होता है, जिससे बना हुआ भोजन परिवार को अच्छी तुष्ट और पुष्ट करता है. दक्षिण दिशा इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर आदि का कार्य करने वाले जातकों को भी अच्छे परिणाम प्रदान करती है.

विद्युत के प्रवाह में अनुकूलता:दक्षिण दिशा में इलेक्ट्रिक विद्युत का प्रवाह अनुकूलता प्रदान करता है. इसलिए सॉफ्टवेयर हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल आदि के व्यापारियों को भी दक्षिण दिशा में लिया गया. गोदाम ऑफिस दुकान अच्छे परिणाम प्रदान करते हैं. चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंप्यूटर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को भी अपनी दक्षिण दिशा को विकसित करके रखना चाहिए. दक्षिण दिशा में पर्याप्त साफ-सफाई पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए. दक्षिण दिशा में कम से कम खिड़की और दरवाजे होनी चाहिए. दरवाजों का आकार दूसरे दरवाजों की तुलना में छोटा होना चाहिए. इसी तरह एयर वेंटीलेशन खिड़की भी दूसरे की तुलना में कुछ छोटी हो सकती है. सूर्य का प्रभाव सुबह 10:00 बजे के पश्चात दक्षिण दिशा में बहुत अनुकूल होकर सामने आता है. ऐसे जातकों को दक्षिण पूर्व की ओर मुख करके सूर्य को नियमित अर्ध्य देना चाहिए.

रायपुर: दक्षिण दिशा पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव माना जाता है. दक्षिण दिशा के स्वामी मंगल और यम माने (Shubhakari for Dakshin Disha Nursing Home Doctor Builders ) जाते हैं. कुछ हद तक राहु, केतु और शुक्र का भी इस दिशा में प्रभाव पड़ता है. सामान्य रूप से आमजन दक्षिण दिशा में मकान दुकान ऑफिस लेने से बचने का प्रयास करते हैं. वास्तव में सभी दिशाएं अनुकूल होती है. दक्षिण दिशा में पराक्रम और साहस के देवता मंगल का वास होता है. मंगल अपने आप में एक शुभ ग्रह है. मंगल ग्रह चिकित्सा, मिलिट्री, साहस, पुलिस, मेडिकल, फार्मेसी और रक्त का कारक ग्रह है. दक्षिण दिशा में बिल्डर्स डेवलपर जमीन जायदाद का काम करने वाले और मकान से संबंधित सामग्रियों का क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारी बहुत सफल माने जाते हैं.

बिल्डर्स के लिए शुभकारी

मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त: इस तरह के सभी कार्यों में मंगल का वास रहता है. जमीन जायदाद, खेती, फार्म हाउस आदि का प्रतिनिधि ग्रह सूर्य मित्र मंगल ग्रह माना गया है. मंगल को सेनापति का भी दर्जा है. इसी तरह से ज्वेलरी आर्ट डिजाइनिंग, ज्वेलरी डिजाइनिंग और बड़े-बड़े ज्वेलर्स भी मंगल की दिशा में यानी दक्षिण आग्नेय कोण में जमीन जायदाद सफल रहते हैं. सोना-चांदी प्लेटिनम आदि के देवता शुक्र ग्रह माने गए हैं. शुक्र ग्रह की दिशा अग्नि मानी जाती है. जो कि दक्षिण पूर्वी कोना कहलाता है. इस तरह से आभूषण बनाने वालों को भी यह दिशा बहुत अनुकूल परिणाम प्रदान करती है. सौंदर्य ब्यूटी पार्लर टेलरिंग आदि के भी कार्य करने वाले जातकों को शुक्र की वजह से दक्षिण दिशा बहुत ही चमत्कारिक परिणाम देती है.

ऐसे बिल्डरों को दक्षिण दिशा अनुकूल परिणाम: इसी तरह बड़े-बड़े बिल्डिंग बनाने वाले कॉलोनी डेवलपर्स का काम करने वाले बिल्डरों को दक्षिण दिशा अनुकूल परिणाम देने वाली होती है. ऐसे जातकों को अपना ऑफिस अपना दुकान या घर दक्षिण दिशा में लेना चाहिए. फार्मेसी मेडिकल केमिकल आदि का काम करने वाले जातक जो कि मंगल से संचालित होते हैं. मंगल दक्षिण दिशा का राजा है. इसलिए इस क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यापारियों को दक्षिण दिशा के गोदाम ऑफिस कार्यालय घर दुकान चमत्कारिक सिद्ध होते हैं. बड़े-बड़े नर्सिंग होम चिकित्सालय मल्टी स्पेशल हॉस्पिटल आदि का भी प्रतिनिधि ग्रह सेनापति मंगल माने गए हैं. मंगल ग्रह शरीर में रक्त अस्थि मज्जा हड्डियों का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है. प्लाज्मा श्वेत रक्त कणिकाएं लाल रक्त कणिकाएं आदि सभी में मंगल का प्रभाव रहता है. इस प्रकार दक्षिण दिशा के चिकित्सक भी अपने क्षेत्र में दक्षिण-दिशा में अपने क्लीनिक नर्सिंग होम मल्टी स्पेशल हॉस्पिटल को संचालित कर पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें :नया घर बनाने जा रहे हैं तो पहले जान लें ये वास्तु टिप्स, नहीं तो होगी परेशानी

इन बातों का रखे ध्यान: मंगल ग्रह के जातकों को नियमित रूप से हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड, हनुमान बाहुक और हनुमान जी की आरती का गायन करना चाहिए. जिससे उनके व्यवसाय में उत्तरोत्तर वृद्धि हो सके. यदि मंगल का क्षेत्र दूषित हो तो दक्षिण दिशा की ओर भारी भरकम प्लांट भारी-भारी अलमारियां डबल बेड और भारी सामानों को दक्षिण दिशा में रखकर इसका लाभ लिया जा सकता है. घर के दादा-दादी या नाना-नानी का कक्ष भी दक्षिण दिशा में होना चाहिए. भारतीय परंपरा में रसोई पाकशाला का स्थान दक्षिण पूर्वी कोने में निर्धारित किया गया. यहां पर अग्नि का वास होता है, जिससे बना हुआ भोजन परिवार को अच्छी तुष्ट और पुष्ट करता है. दक्षिण दिशा इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर आदि का कार्य करने वाले जातकों को भी अच्छे परिणाम प्रदान करती है.

विद्युत के प्रवाह में अनुकूलता:दक्षिण दिशा में इलेक्ट्रिक विद्युत का प्रवाह अनुकूलता प्रदान करता है. इसलिए सॉफ्टवेयर हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल आदि के व्यापारियों को भी दक्षिण दिशा में लिया गया. गोदाम ऑफिस दुकान अच्छे परिणाम प्रदान करते हैं. चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंप्यूटर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को भी अपनी दक्षिण दिशा को विकसित करके रखना चाहिए. दक्षिण दिशा में पर्याप्त साफ-सफाई पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए. दक्षिण दिशा में कम से कम खिड़की और दरवाजे होनी चाहिए. दरवाजों का आकार दूसरे दरवाजों की तुलना में छोटा होना चाहिए. इसी तरह एयर वेंटीलेशन खिड़की भी दूसरे की तुलना में कुछ छोटी हो सकती है. सूर्य का प्रभाव सुबह 10:00 बजे के पश्चात दक्षिण दिशा में बहुत अनुकूल होकर सामने आता है. ऐसे जातकों को दक्षिण पूर्व की ओर मुख करके सूर्य को नियमित अर्ध्य देना चाहिए.

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