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SPECIAL: शिक्षकों के आधे से ज्यादा पद खाली, कैसे पढ़ेंगे और बढ़ेंगे छत्तीसगढ़ के युवा ? - Shortage of professors

छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है. इसे इस बात से समझा जा सकता है कि प्रदेश के आधे के आधे से अधिक सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों, असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद खाली पड़े हैं. जिससे छात्रों की पढ़ाई ठीक तरीके से नहीं हो पा रही है. छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

Shortage of professors in government colleges of Chhattisgarh
सरकारी कॉलेज में प्रोफेसरों की कमी
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Published : Nov 13, 2020, 9:03 PM IST

रायपुर: शिक्षा को बेसिक जरूरतों में सबसे अहम माना गया है. हमें शिक्षा का अधिकार मिला हुआ है. लेकिन अगर छत्तीसगढ़ की बात करें तो उच्च शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इस बात से समझा जा सकता है कि प्रदेश के आधे के आधे से अधिक सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों, असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद खाली पड़े हैं. प्रदेश में छात्रों की शिक्षा के साथ लापरवाही बरती जा रही है.

प्रदेश के शासकीय कॉलेजों में परमानेंट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर ना होने की वजह से छात्रों को सही तरीके से गाइडेंस नहीं मिल पा रहा है और उनकी शिक्षा अधूरी रह जा रही है. छात्रों की पढ़ाई ठीक तरीके से नहीं हो पा रही है.

सरकारी कॉलेज में प्रोफेसरों की कमी

आधे से ज्यादा कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी

आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे प्रदेश में 553 शासकीय कॉलेज हैं. इन कॉलेजों में करीब 595 प्रोफेसर की पोस्ट खाली हैं. वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर की बात की जाए तो 553 कॉलेजों में कुल 2500 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद हैं. जिनमें से 1500 पोस्ट खाली पड़ी हैं. इन खाली प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की जगहों पर गेस्ट लेक्चरर पढ़ा रहे हैं.

गेस्ट लेक्चरर के भरोसे कॉलेज

छात्रों ने बताया कि कॉलेज उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उनके 6 महीने का कोर्स प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के बजाय एक गेस्ट लेक्चरर पूरा कराया जा रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है. गेस्ट लेक्चरर 6 महीने का कोर्स पूरा करवाकर दूसरी जगह चल जाते हैं. जिससे छात्रों को सही गाइडेंस नहीं मिल पाती और एग्जाम में वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं.

पढ़ें- पटना: कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हंगामा, भूपेश बघेल की मौजूदगी में भिड़े विधायक और कार्यकर्ता


छात्रों की शिक्षा के साथ बरती जा रही लापरवाही

छात्रों ने बताया कि सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की जगह गेस्ट लेक्चरर से काम चलाया जा रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई में काफी समस्या हो रही है. छात्रों ने प्रदेश सरकार, कुलपति, उच्च अधिकारियों से मांग की है कि कॉलेजों में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर अप्वॉइंट किया जाए.

ऑनलाइन क्लास में कई दिक्कतें

कोरोना काल में पिछले 8 महीनों से प्रदेश भर की सभी यूनिवर्सिटी-कॉलेज बंद हैं. ऐसे में छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. ऑनलाइन क्लासेस लेने में छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कई छात्र ऐसे हैं जो दूसरे जिलों से आते हैं. गांव में उनके मोबाइल नेटवर्क में समस्या होने से वे अपना असाइनमेंट समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

जेसीसीजे की मांग

जेसीसीजे प्रदेश प्रवक्ता भागवानु नायक ने कहा कि किसी भी नगर देश समाज की तरक्की और सफलता के पीछे शिक्षा का एक बहुत बड़ा योगदान होता है. छत्तीसगढ़ में देखें तो शिक्षा की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. कॉलेजों में खाली पड़े प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली पड़े हैं. यह अपने आप में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने शिक्षा मंत्री से मांग की है कि जल्द ही इन पदों पर भर्ती की जाए. जिससे प्रदेश के छात्रों को दिक्कत न हो.

शिक्षा गुणवत्ता में पड़ता है विपरीत असर

शिक्षाविद डॉक्टर जवाहर सूरी शेट्टी ने बताया कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रोफेसेर, असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी है. गेस्ट लेक्चरर से काम चलाया जा रहा है इससे शिक्षा के गुणवत्ता में विपरीत असर पड़ता है. एक क्वॉलिफाइड प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और जो गेस्ट लेक्चरर हैं, दोनों के पढ़ाई में काफी अंतर होता है. गेस्ट लेक्चरर के मन में हमेशा डर रहता है कि उन्हें अगली बार रखा जाएगा या नहीं. इसके चलते उनमें एकरूपता और निरंतरता नहीं होती है. डॉ. शेट्टी ने बताया कि यह स्वाभाविक सी बात है की परमानेंट और टेंपरेरी टीचर में बहुत फर्क होता है. गेस्ट लेक्चरर होने चाहिए, लेकिन परमानेंट के अलावा यानी प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हो जाए उसके बाद गेस्ट लेक्चरर को इंडस्ट्री से या उद्योग से बुलाएं, जिससे छात्रों को प्रैक्टिकल नॉलेज मिल पाए.

अभी स्कूल कॉलेज शुरू नहीं, भर्ती करके क्या करेंगे ?

इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश संचार प्रमुख और पाठ्य पुस्तक निगम के चेयरमैन शैलेश नितिन त्रिवेदी का अलग ही तर्क है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार अध्यापक शिक्षक सब की भर्ती के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते विशेष परिस्थिति है. कॉलेज अभी तक शुरू नहीं हो पाए हैं. ऐसे समय इन नियुक्तियों को लेकर सवाल करना थोड़ा सा व्यवहारिकता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पूरा देश चुनौतियों का सामना कर रहा है. सरकार ने किसानों से किए गए कमिटमेंट पूरे हुए हैं. सरकार की उपलब्धियों को समझा जाना चाहिए कि कोरोना के बावजूद सरकार संघर्ष कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार अपने वादों को पूरा करने के लिए काम कर कहीं है. आज तक स्कूल कॉलेज शुरू नहीं हो पाए हैं. ऐसे समय में प्राध्यापक भर्ती करके का सवाल किया जाए ये गलत है, लेकिन उसके बाद भी सरकार इस दिशा में गंभीर है और इस दिशा में बराबर काम कर रही है.

रायपुर: शिक्षा को बेसिक जरूरतों में सबसे अहम माना गया है. हमें शिक्षा का अधिकार मिला हुआ है. लेकिन अगर छत्तीसगढ़ की बात करें तो उच्च शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इस बात से समझा जा सकता है कि प्रदेश के आधे के आधे से अधिक सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों, असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद खाली पड़े हैं. प्रदेश में छात्रों की शिक्षा के साथ लापरवाही बरती जा रही है.

प्रदेश के शासकीय कॉलेजों में परमानेंट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर ना होने की वजह से छात्रों को सही तरीके से गाइडेंस नहीं मिल पा रहा है और उनकी शिक्षा अधूरी रह जा रही है. छात्रों की पढ़ाई ठीक तरीके से नहीं हो पा रही है.

सरकारी कॉलेज में प्रोफेसरों की कमी

आधे से ज्यादा कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी

आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे प्रदेश में 553 शासकीय कॉलेज हैं. इन कॉलेजों में करीब 595 प्रोफेसर की पोस्ट खाली हैं. वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर की बात की जाए तो 553 कॉलेजों में कुल 2500 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद हैं. जिनमें से 1500 पोस्ट खाली पड़ी हैं. इन खाली प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की जगहों पर गेस्ट लेक्चरर पढ़ा रहे हैं.

गेस्ट लेक्चरर के भरोसे कॉलेज

छात्रों ने बताया कि कॉलेज उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उनके 6 महीने का कोर्स प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के बजाय एक गेस्ट लेक्चरर पूरा कराया जा रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है. गेस्ट लेक्चरर 6 महीने का कोर्स पूरा करवाकर दूसरी जगह चल जाते हैं. जिससे छात्रों को सही गाइडेंस नहीं मिल पाती और एग्जाम में वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं.

पढ़ें- पटना: कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हंगामा, भूपेश बघेल की मौजूदगी में भिड़े विधायक और कार्यकर्ता


छात्रों की शिक्षा के साथ बरती जा रही लापरवाही

छात्रों ने बताया कि सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की जगह गेस्ट लेक्चरर से काम चलाया जा रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई में काफी समस्या हो रही है. छात्रों ने प्रदेश सरकार, कुलपति, उच्च अधिकारियों से मांग की है कि कॉलेजों में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर अप्वॉइंट किया जाए.

ऑनलाइन क्लास में कई दिक्कतें

कोरोना काल में पिछले 8 महीनों से प्रदेश भर की सभी यूनिवर्सिटी-कॉलेज बंद हैं. ऐसे में छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. ऑनलाइन क्लासेस लेने में छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कई छात्र ऐसे हैं जो दूसरे जिलों से आते हैं. गांव में उनके मोबाइल नेटवर्क में समस्या होने से वे अपना असाइनमेंट समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

जेसीसीजे की मांग

जेसीसीजे प्रदेश प्रवक्ता भागवानु नायक ने कहा कि किसी भी नगर देश समाज की तरक्की और सफलता के पीछे शिक्षा का एक बहुत बड़ा योगदान होता है. छत्तीसगढ़ में देखें तो शिक्षा की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. कॉलेजों में खाली पड़े प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली पड़े हैं. यह अपने आप में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने शिक्षा मंत्री से मांग की है कि जल्द ही इन पदों पर भर्ती की जाए. जिससे प्रदेश के छात्रों को दिक्कत न हो.

शिक्षा गुणवत्ता में पड़ता है विपरीत असर

शिक्षाविद डॉक्टर जवाहर सूरी शेट्टी ने बताया कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रोफेसेर, असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी है. गेस्ट लेक्चरर से काम चलाया जा रहा है इससे शिक्षा के गुणवत्ता में विपरीत असर पड़ता है. एक क्वॉलिफाइड प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और जो गेस्ट लेक्चरर हैं, दोनों के पढ़ाई में काफी अंतर होता है. गेस्ट लेक्चरर के मन में हमेशा डर रहता है कि उन्हें अगली बार रखा जाएगा या नहीं. इसके चलते उनमें एकरूपता और निरंतरता नहीं होती है. डॉ. शेट्टी ने बताया कि यह स्वाभाविक सी बात है की परमानेंट और टेंपरेरी टीचर में बहुत फर्क होता है. गेस्ट लेक्चरर होने चाहिए, लेकिन परमानेंट के अलावा यानी प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हो जाए उसके बाद गेस्ट लेक्चरर को इंडस्ट्री से या उद्योग से बुलाएं, जिससे छात्रों को प्रैक्टिकल नॉलेज मिल पाए.

अभी स्कूल कॉलेज शुरू नहीं, भर्ती करके क्या करेंगे ?

इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश संचार प्रमुख और पाठ्य पुस्तक निगम के चेयरमैन शैलेश नितिन त्रिवेदी का अलग ही तर्क है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार अध्यापक शिक्षक सब की भर्ती के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते विशेष परिस्थिति है. कॉलेज अभी तक शुरू नहीं हो पाए हैं. ऐसे समय इन नियुक्तियों को लेकर सवाल करना थोड़ा सा व्यवहारिकता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पूरा देश चुनौतियों का सामना कर रहा है. सरकार ने किसानों से किए गए कमिटमेंट पूरे हुए हैं. सरकार की उपलब्धियों को समझा जाना चाहिए कि कोरोना के बावजूद सरकार संघर्ष कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार अपने वादों को पूरा करने के लिए काम कर कहीं है. आज तक स्कूल कॉलेज शुरू नहीं हो पाए हैं. ऐसे समय में प्राध्यापक भर्ती करके का सवाल किया जाए ये गलत है, लेकिन उसके बाद भी सरकार इस दिशा में गंभीर है और इस दिशा में बराबर काम कर रही है.

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