ETV Bharat / state

sheetala Ashtami 2023: शीतलाष्टमी कब है? बासी खाने की परंपरा क्या है, जानिए - Basoda

Sheetlastmi jayanti 2023: भक्तवत्सल माता शीतला माता भक्तों पर कृपा करने वाली होती है. प्यारे बच्चों पर माता शीतला की विशेष कृपा रहती है. शीतलाष्टमी के त्यौहार में बासी यानी एक दिन पहले बनाए गए भोजन करने की परंपरा है, इसलिए इसे बसोरा भी कहा जाता है.

sheetala Ashtami 2023
शीतलाष्टमी में बासी भोजन खाने की है परंपरा
author img

By

Published : Mar 10, 2023, 1:44 PM IST

Updated : Mar 14, 2023, 8:05 AM IST

शीतलाष्टमी में बासी भोजन खाने की है परंपरा

रायपुर : शीतलाष्टमी का पावन पर्व 15 मार्च 2023 बुधवार के दिन है. बसोरा के दिन जेष्ठा नक्षत्र, सिद्धि योग, बालव और कौलव करण का शुभ योग देखने को मिल रहा है. आज के ही दिन से खरमास प्रारंभ होंगे. आज के दिन रसोई में किसी भी तरह का भोजन नहीं पकाया जाता. ऐसा करके माता रसोई को, अन्नपूर्णा माता को विश्राम दिया जाता है. आज के पूरे दिन शीतला सप्तमी अर्थात 1 दिन पहले बनाए हुए भोजन को ग्रहण किया जाता है.


बासी भोजन करने की है रीति: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "शीतला सप्तमी को बनाए हुए भोजन को दूसरे दिन बासी के रूप में खाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि आज के शुभ दिन भोजन नहीं बनाए जाने पर शीतला माता बहुत प्रसन्न होती हैं. बच्चों को चिकन पॉक्स, तीव्र ज्वर, छोटी माता, बड़ी माता, खसरा बीमारियों से रक्षा करती है. यह पर्व राजराजेश्वरी शीतला माता की पूजा का विशेष पर्व है. आज के दिन परिवार जनों, कुटुंबी जनों और इष्ट मित्रों के साथ शीतला माता का दर्शन किया जाता है. माता शीतला को पीले वस्त्र, पीले फूल, चंदन, रोली, कुमकुम, गुलाल, परिमल के साथ ही विभिन्न तरह के सिंदूर लगाए जाते हैं."


बच्चों की लंबी उम्र के लिए माता शीतला से कामना :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "आज के शुभ दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए माता शीतला की विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करती है. इस शुभ दिन माता शीतला को अबीर, गुलाल, चंदन, रोली अक्षत अर्पित किया जाता है. आज के दिन बच्चे सहित माता शीतला के दर्शन करने पर लाभ मिलता है.

ये भी पढ़ें- जानिए शीतलाष्टमी का महत्व

माता अन्नपूर्णा को मिलता है विश्राम : रसोई में प्रवेश नहीं किया जाता है. शीतला सप्तमी को ही समस्त रसोई की क्रिया पूरी कर ली जाती है. आज का दिन मां अन्नपूर्णा को विश्राम देने का दिवस होता है. यह पावन पर्व बिहार में भी उत्साह के साथ मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में बसोरा पर्व मनाने की परंपरा है. बिहार में आज के दिन 1 दिन पूर्व बनाई हुई कढ़ी चावल सेवन करते हैं. उत्साह के साथ पकोड़े का भी आनंद लेते हैं."

शीतलाष्टमी में बासी भोजन खाने की है परंपरा

रायपुर : शीतलाष्टमी का पावन पर्व 15 मार्च 2023 बुधवार के दिन है. बसोरा के दिन जेष्ठा नक्षत्र, सिद्धि योग, बालव और कौलव करण का शुभ योग देखने को मिल रहा है. आज के ही दिन से खरमास प्रारंभ होंगे. आज के दिन रसोई में किसी भी तरह का भोजन नहीं पकाया जाता. ऐसा करके माता रसोई को, अन्नपूर्णा माता को विश्राम दिया जाता है. आज के पूरे दिन शीतला सप्तमी अर्थात 1 दिन पहले बनाए हुए भोजन को ग्रहण किया जाता है.


बासी भोजन करने की है रीति: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "शीतला सप्तमी को बनाए हुए भोजन को दूसरे दिन बासी के रूप में खाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि आज के शुभ दिन भोजन नहीं बनाए जाने पर शीतला माता बहुत प्रसन्न होती हैं. बच्चों को चिकन पॉक्स, तीव्र ज्वर, छोटी माता, बड़ी माता, खसरा बीमारियों से रक्षा करती है. यह पर्व राजराजेश्वरी शीतला माता की पूजा का विशेष पर्व है. आज के दिन परिवार जनों, कुटुंबी जनों और इष्ट मित्रों के साथ शीतला माता का दर्शन किया जाता है. माता शीतला को पीले वस्त्र, पीले फूल, चंदन, रोली, कुमकुम, गुलाल, परिमल के साथ ही विभिन्न तरह के सिंदूर लगाए जाते हैं."


बच्चों की लंबी उम्र के लिए माता शीतला से कामना :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "आज के शुभ दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए माता शीतला की विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करती है. इस शुभ दिन माता शीतला को अबीर, गुलाल, चंदन, रोली अक्षत अर्पित किया जाता है. आज के दिन बच्चे सहित माता शीतला के दर्शन करने पर लाभ मिलता है.

ये भी पढ़ें- जानिए शीतलाष्टमी का महत्व

माता अन्नपूर्णा को मिलता है विश्राम : रसोई में प्रवेश नहीं किया जाता है. शीतला सप्तमी को ही समस्त रसोई की क्रिया पूरी कर ली जाती है. आज का दिन मां अन्नपूर्णा को विश्राम देने का दिवस होता है. यह पावन पर्व बिहार में भी उत्साह के साथ मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में बसोरा पर्व मनाने की परंपरा है. बिहार में आज के दिन 1 दिन पूर्व बनाई हुई कढ़ी चावल सेवन करते हैं. उत्साह के साथ पकोड़े का भी आनंद लेते हैं."

Last Updated : Mar 14, 2023, 8:05 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.