रायपुर: रेवती नक्षत्र, हर्षण योग, विषकुंभ योग मीन और मेष राशि में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का पावन पर्व मनाया जा रहा है. आज के दिन खीर खाने का विधान है. इस खीर को पूर्ण चंद्रमा के प्रभाव में रखकर अमृत में बनाए जाने का विधान है. आज की रात में छतों पर विधिपूर्वक बनाई गई खीर को चंद्रमा की शीतल किरणों से आच्छादित किया जाता है. चंद्रमा अपनी संपूर्ण 16 कलाओं के साथ इस दिन शिखर पर होता है. चंद्रमा के संपूर्ण विशाल रूप से भूमि में रखी हुई खीर अमृतमय बन जाती है.
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शरद पूर्णिमा लेकर आया शुभ संयोग
शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा, नवाने पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती और आश्विन पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है. आज ही के दिन माता लक्ष्मी और इंद्र का भी पूजन का विधान है. सुबह योग ध्यान करके पूर्णिमा का व्रत संकल्प लिया जाता है. यह दिन बहुत ही शुभ और पवित्र माना गया है.
दान करना शुभ
आज के दिन दान करना, गंगा स्नान करना और सरोवर में स्नान करना शुभ माना जाता है. आज के शुभ दिन जात, कर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, नवीन वस्त्र, धारण, गृह प्रवेश, वाहन खरीदी आदि करना बहुत शुभ है. आज के दिन सगाई आदि करना भी शुभ माना गया है. श्वेत वस्तु जैसे चावल, आटा और अबीर आदि का दान करना भी बहुत ही पवित्र माना गया है.
महालक्ष्मी और इंद्र की पूजा से बढ़ती है धन समृद्धि
यह पर्व वाल्मीकि जयंती के रूप में भी प्रसिद्ध है. लगभग दोपहर 2 बजे पंचक काल समाप्त हो जाएगा. उसके बाद शुभ कार्य करना बहुत ही कल्याणकारी माना गया है. बुधवार दिन चंद्र दर्शन करना, चंद्र पूजन करना, चंद्रमा, चालीसा पढ़ना और भगवान शिव को चंद्रमा चढ़ाना बहुत ही अनुकूल माने गए हैं.
भोलेनाथ भगवान की प्रार्थना उपासना और पूजा की जाती है. भगवान शिव का रुद्राभिषेक और जलाभिषेक किया जाता है. ऐसी मान्यता है अमृत कलश धनवंतरी देव का प्राकट्य होता है. महालक्ष्मी और इंद्र की पूजा से धन समृद्धि और ऐश्वर्य कीर्ति में बढ़ोतरी होती है.